रेवांचल टाईम्स - मंडला बीते दिनों में कांग्रेस के उम्मीदवारो के पक्ष में मतदान करने को लेकर भुआ बिछिया विधानसभा क्षेत्र के ग्राम रामनगर आकर प्रचार के दौरान वह बात कह दी जिससे जिले में निवासरत अनुचित वर्ग, पिछडा वर्ग, सामान्य वर्ग, में भय देखा जा रहा है और चुनाव पिछड़ा और सामान्य वर्ग में छटवीं अनुसूची का देखा जा रहा है। डर दोनों वर्ग के लोगों में...
मंडला जिला आदिवासी और पिछड़ा जिला है। जिसके कारण यहां जितने भी विधायक और सांसद जीत कर आए और सिर्फ जनता को लूटने का काम किया है। और चुनाव के आते बड़े बड़े वादे विधायक और सांसद करते है। मगर मंडला जिले की जनता अब समझदार हो चुकी है। वही काग्रेस के प्रचार में काग्रेस की शीर्ष नेता 6 नवम्बर को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका बाड़ा का मंडला जिले के रामनगर में आगमन हुआ रामनगर में आदिवासी राजा महराजाओं की राजधानी कर्मभूमी है। और मंडला जिले की विधानसभा कॉंग्रेस जीत कर आती है। बहुप्रतिक्षित आदिवासियों की मांग छटवीं अनुसूची को मंडला जिले में लागू किया जाएगा। मगर उस बात को लेकर आज तक तमाम प्रकार की चर्चाएँ आम जनता के बीच हो रही है। वह छटवी अनुसूची की व्याख्या समझने में लगा है। वास्तव में जिले में छटवी अनुसूची के बारे में हर मतदाता जानना चाहता है। वही कांग्रेस अपने सभा मंचों से छटवी अनुसूची कानून के बारे में जानकारी दे हम आपको बता दें कि वर्तमान में जिले में पाँचवी अनुसूची गतिशील है जिससे आदिवासी समाज के हितों की रक्षा की जा रही हैं जिसके साथ ही बिगत दिनों प्रदेश में शिवराज सरकार ने पेसा कानून मंडला जिले में लागू किया है। उसके क्या परिणाम होगें यह वक्त के साथ जनता के सामने है।
पेसा कानून को लेकर मामला न्यायलय में लग चुका है। गौण खनिजों को जिला प्रशासन नीलाम नहीं कर सकता
वही पेसा कानून को लेकर मामला हाईकोर्ट में लग चुका है जिसमें जिले के गौण खनिजों को जिला प्रषासन नीलाम नहीं कर सकता जिस पर न्यायालय ने संबंधित विभाग से जानकारी चाही है। जबकि मंडला में छूटी अनुसूची लगने से सारे अधिकारी आदिवासी समाज के पास होगें जिले के जल, जंगल, जमीन सब पर प्रथम हक आदिवासी समाज को होगा। अनुच्छेद 244 (2) एवं 275 (1) के अंतगत विशेष प्रावधान दिए गए है। इन जिलों को राज्यपाल की ओर से स्वायत्त दी जा सकेगी एवं स्वतंत्र जिलों का गठन एवं पुर्नगठन किया जा सकेगा। जिले की सीमा क्या होगी और किसे हटाया या जोड़ा जाएँ यह हो सकेगा। एक और यह सब राज्य सरकार की कार्यकारी षक्तियों के तहत होगा। जिससे जिले में विधायी न्यायिक प्रशासनिक स्वायत्ता मिलेगी। एक जिले की स्वतंत्र आटोनोमिक परिषद होगी जिसके 30 सदस्या होगें इसमें सभी सदस्यों को जनसंख्या के आधार पर नियत किया जावेगा याने जिसकी आबादी जितनी ज्यादा उसी का नियम कानून प्रावधान होगा। परिषद कृषि ग्राम परिषद स्वास्थ स्वच्छता विरासत रीतिरिवाज एवं खनन से जुड़े कानून नियम बनाने का हक होगा जिल की भूमि पर प्रथम अधिकार आदिवासी समाज का होगा वर्तमान में हमें विकसति भूमि जिला कलेक्टर सहमति देते है। तब क्रय विक्रय होता है अब प्रथम हक आदिवासी समाज को होगा।
पिछड़ा और सामान्य वर्ग के वोटरो में छटवीं अनुसूची का देखा गया, डर
काँग्रेस सरकार चाहती है। कि आदिवासी सरंक्षण के मंडला जिले में छटवीं अनुसूची लगाना बेहद जरूरी है।क्यों कि पाँचवी अनुसूची भी कांग्रेस की दिग्गविजय सिंह की सरकार ने लगाई थी। जिसका मंडला में विरोध हुआ था। पर धीरे धीरे उसे अलग हिस्सों में लगा दिया गया था। काँग्रेस जो कहती है उसे वचन समझिए पूरा करती है। पर कुछ इस कानून में ऐसे प्रावधान भी है जिससे गैर आदिवासी समाज को वि परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।जरूरी है। कि कांग्रेस मंच पर विस्तार से समझाएँ और आदिवासी विकास की नींव को मजबूत कर सके जिससे आदिवासी उत्थान हो जिसके सरंक्षण लालन पालन रोजगार के लिए सरकार विभिन्न प्रयास कर रही है। आदिवासी समाज का राजपाठ था फिर ऐसा क्या हुआ कि कहीं ना कहीं इस अनुसूची में यह निहित है कि आदिवासी समाज को सरक्षण मिले और वे ही जल जंगल सामाजिक जमीन के वास्तविक मालिक हो होगा। जिले में तीनों विधानसभा में चुनाव सम्पन्न हुए पर मतदाताओं को डर सता रहा की कहीं अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है और मंडला जिले के तीनों विधानसभाओं में अगर कांग्रेस के प्रत्याशी जीतकर आते है तो क्या छटी अनुचित लग पायेगी बड़ा सवाल.... अब ये तीन तारीख़ के परिणाम के आने के बाद ही पता चल सकता है कि...
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