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Sunday, November 5, 2023

अष्ट लक्ष्मी यज्ञ एवं श्रीमद भागवत पुराण के आयोजन को लेकर रवि पुष्य महायोग पर हुई ध्वज स्थापना...





रेवांचल टाईम्स - मण्डला, 17 दिसंबर से 25 दिसंबर तक आयोजित होने वाले श्री अष्ट लक्ष्मी यज्ञ  एवं श्रीमद भागवत पुराण को लेकर रविवार को ध्वज स्थापना की गई। कार्यक्रम स्थल मेहरे बाबा कुटी प्रागंण में विधि विधान से पूजन अर्चन करते हुए ध्वज स्थापित किया गया। यहां पर कार्यक्रम के मुख्य यजमान गोवर्धन प्रसाद अग्रवाल व श्रीमति हेमलता अग्रवाल से कथावाचक यज्ञाचार्य पं. नीलू महाराज एवं साध्वी कल्पतरू कल्पना माता जी ने पूजन अर्चन कराया। यहां पर भगवान श्रीगणेश एवं लड्डू गोपाल की आराधना करते हुए आयोजित कार्यक्रम के बारे में उपस्थितजनों को विस्तार से बताया गया। पंडित नीलू महाराज ने कहा कि आज का दिन विशेष शुभ दिन है। रवि पुष्य महायोग के साथ अष्टमी की तिथि में 8 शुभ योग की युति हो रही है ऐसे महायोग में ध्वज स्थापना धर्म और समाज में मानवता की श्रेष्ठता लाएगा। ध्वज स्थापना में शारदात्मानंद जी महाराज रामकृष्ण आश्रम, रामदास जी महाराज सहस्त्रधारा वाले, सच्चिदानंद महाराज सुरंगदेवरी, सच्चिदानंद महाराज नावघाट वाले की उपस्थिति में व सभी यजमानों एवं पवित्र आत्माओं के पावन सान्निध्य में यज्ञ स्थल पर वैदिक मंत्रों से ध्वज स्थापित किया गया। यहां पर उत्कृष्ट योग में नवग्रह के पौधे भी स्थापित किए गए। बता दें यह यज्ञशाला वैदिक पद्यति से निर्मित होगी। 9 कुंडीय यज्ञ शाला में पूर्व द्वार पर शंख, दक्षिण द्वार पर चक्र, पश्चिम द्वार पर गदा एवं उत्तर द्वार पर कमल स्थापित किया जायेगा। वहीं खंभात की खाडी गुजरात से लाए गये अति विशिष्ट श्रीयंत्र का मान सरोवर से लाए गये श्रीयंत्र का अभिषेक होगा और रवि पुष्य योग रविवार से श्रीयंत्र का नित्य अर्चन प्रारंभ हो जायेगा जो यज्ञ पर्यन्त चलेगा। अष्टलक्ष्मी महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ में जिस गौर गणेश का पूजन होगा यह गौर गणेश की गोबर की मूर्ति भारत की सबसे बड़ी गौशाला जडखोर राजस्थान की गौशाला से लाई गई है यह गौशाला श्रीकृष्ण की नित्य गौ चरण स्थली है। जहां पर 40 हजार गौवंश है। सप्त मृतिका में उपयोग होने वाली गौ रज श्री सूर श्याम गौ शाला चंद्र सरोवर गोवर्धन उत्तर प्रदेश से लाई गई है। चंद्र सरोवर गोवर्धन से जल और मिट्टी लाई गई है यहां चंद्रमा का प्राकट्य हुआ था। साथ ही मानसी गंगा का जल और श्री राधा कुंड का जल गोवर्धन परिक्रमा मार्ग से लाया गया है। वहीं यजमान के रूप में इंजी. लोकेश बिसेन छिंदवाड़ा, उदय नारायण सचान देवदरा, नीतेश पांडे देवदरा, वेद प्रकाश मिश्रा देवदरा, शैलेश गुप्ता लालीपुर होंगे। श्रीअष्ट लक्ष्मी महायज्ञ में तीन ध्वज स्थापित किये जायेंगे। यज्ञ में सबसे पहले जल पूजन होगा जल तत्व के सांकेतिक भगवान झूलेलाल हैं भगवान झूलेलाल के परम भक्त चकरघटा बिलासपुर के श्रीलाल साई 25 दिसंबर को मेहर बाबा कुटी यज्ञ स्थल में आएगें। यज्ञ शाला के अंदर के कलशों  में 35 पवित्र नदियों का जल एवं चार समुद्रों का जल एवं 24 तीर्थों की मिट्टी छोड़ी जायेगी जिनमें नैमिसारन्य, काशी, वृंदावन, चारों धाम, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिका, बद्रीका धाम, हरिद्वार, रेवा सागर संगम पुष्कर की मिट्टी प्रमुख हैं। जो यहां यज्ञ के दौरान देखने को मिलेगी। इस महायज्ञ में अनंत श्री सम्पन्न श्री जगदगुरू शंकराचार्य महाभाग स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ज्योतिष बद्रिकाश्रम पीठाधीश्वर का आगमन होने जा रहा है। जिन्होंने यज्ञ में शामिल होने की अनुमति दी है। मण्डला में पहली बार दो-दो शंकराचार्यो का एक साथ आना महज संयोग है। वहीं तीसरे प्रमाणित पीठ पर प्रतिष्ठित शंकराचार्य को लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान नीरज अग्रवाल, आकाश दीक्षित, किशोर रजक, नरेश कछवाहा, ओमकार रजक, रंजीत कछवाहा, राजा यादव, आशीष ज्योतिषी, रोहित बघेल, अनुराग यादव, संजीव ठाकुर, अनुराग यादव, शेरसिंह पन्द्राम पूर्व सरपंच देवदरा, प्रमोद मिश्रा, चन्दू नाभिक, सतीश शुक्ला, प्रकाश नारायण दुबे, नीलम पांडे, किरण रजक, शिवम दुबे, राजा दुबे, होरी लाल पटैल, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नरेश कछवाहा, सरिता ठाकुर, श्रीमति विद्या दुबे, मोन्टी कछवाहा, नरेश अग्रवाल, रमेश पांडे, डॉ. विजेन्द्र शुक्ला, राजेश बाजपेयी सहित गणमान्य नागरिक  उपस्थित रहे।

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