वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अधिकारियों ने शासन को धान मामले में लगाया करोड़ों का चुना जिला कलेक्टर के आदेश के बाद भी विभाग नही करा सका अपराध दर्ज आखिर क्यों ... - revanchal times new

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Tuesday, November 21, 2023

वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अधिकारियों ने शासन को धान मामले में लगाया करोड़ों का चुना जिला कलेक्टर के आदेश के बाद भी विभाग नही करा सका अपराध दर्ज आखिर क्यों ...






रेवांचल टाईम्स - मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में पैसे वाले रसूखदार सब नियम कानून को अपनी जेब मे रख कर खुलेआम भ्रष्टाचार और पद का दुरूपयोग करते हुए ग़बन कर रहे है जाँच होती है और जांच में जाँच करने वाले अधिकारी कर्मचारी के द्वारा दोषी भी भी सिद्ध किया जाता है और फिर खेल शुरू होता है भ्रष्टाचार का मामले को दबाने का बोली लगना शुरू होती है और फिर जाके मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

    वही जानकारी के अनुसार तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप बिसारियां की साथ गांठ से हुआ वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में महाघोटाला मामला ठंडे बस्ते में

        वही देश के प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री कहते रहें की घोटाला करने वालों को सलाखों के पीछे डालना है। मगर आज तक शासन और प्रशासन ने घोटाला करने वाले अधिकारियों को पकड़ नही सकें है। जबकि जॉच होने के बाद भी बड़ा खुलासा हो चुका है। जांच में जिला कलेक्टर ने स्पष्ट आदेश अपराध दर्ज करवाने का दिया है। मगर कहते है। की जब सईया कोतवाल तो डर कहे का उसी तर्ज पर वेयर हाउसिंग कारपोरेशन नैनपुर और मंडला के अधिकारियों ने

    मध्य प्रदेश वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में आए दिन घोटाले होते रहते हैं कुछ दिनों पूर्व ही वेयर हाउसिंग कारपोरेशन जबलपुर में  पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप बिसारिया को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। पर इनके कार्यकालों में में कई बड़े बड़े कार्यों को अंजाम दिया गया है कई असंवैधानिक भर्ती,बिल,घोटाले इनके कार्यकाल में जबलपुर संभाग में किए गए हैं। संपूर्ण मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार के द्वारा ओपन केप निर्माण करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को सबसिटी प्रदान की गई थी जिसके निर्माण करने के दौरान अधिकारियों की मिली भगत से गुणवत्ता विहीन केपो का निर्माण करवाया गया। जिसके पश्चात् केप में भंडारण के लिए गो ग्रीन वेयर हाउस प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद की कंपनी को भंडारण का ठेका दिया गया था। जिसमें भंडारित स्कंध को सुरक्षित रखने और व्यवस्थित रखना की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की थी साथ ही कंपनी के द्वारा संपूर्ण रिकॉर्ड की ऑनलाइन प्रविष्टि किया जाना था जिसके आधार पर वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम को स्टोरेज बिल प्रेषित किया जाता है और नागरिक आपूर्ति निगम से प्राप्त किराया के उपरांत संबंधित कंपनी अथवा प्रायवेट गोदाम संचालकों को किराया भुगतान किया जाने की प्रोसेस की जाती है। परंतु तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप बिसारिया के द्वारा समस्त शाखा प्रबंधकों को आदेशित करके गो ग्रीन कंपनी के देयकों को ऑफलाइन बनवा कर भुगतान कर दिया जबकि नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा ऑनलाइन प्राप्त देयकों के बिल ही पास किये जाते है जबकि नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा पास नहीं किया गया है ना ही कंपनी के द्वारा भुगतान किए गए स्कंध की ऑनलाइन एंट्री की गई है जिस कारण से शाखा प्रबंधको के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम को स्टोरेज बिल प्रेषित नहीं किए गए हैं। कई समाचारों पर प्राथमिकता के आधार पर केपो खराब होने वाले स्कंध की खबर को प्रकाशित किया गया था जिसकी सूचना क्षेत्रीय प्रबंधक को थी क्या क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा अपनी अधीनस्थ शाखा ऑन का निरीक्षण करके वस्तु स्थिति का ध्यान नहीं रखा गया और यदि आपको केप में भंडारित स्कंध के खराब होने की जानकारी पूर्व से ही थी तो आपके द्वारा नियमों से हटके संबंधित कंपनी के देयको को का भुगतान क्यों किया गया। वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के प्रबंध संचालक द्वारा संबंधित कंपनी के विरुद्ध FIR करने के लिए आदेशित किया गया है परंतु प्रश्न यह उठता है की कोई भी बाहर से आई हुई कंपनी बिना अधिकारियों से मिली मिली भगत से इतनी बड़ी घटना को अंजाम कैसे दे सकते हैं हो सकता है कि कुछ स्कंध खराब हो गया हो और कुछ स्कंध अधिकारियों की मिली भगत से कंपनी द्वारा बेच दिया गया हो ऐसे बहुत से राज दबे हुए हैं जब तक इसकी निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती यह सब राज दवे ही रहेंगे इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा उच्च स्तरीय जांच होना बहुत आवश्यक है।

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