रेवांचल टाईम्स - मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में निर्माण कार्यों में कैसी मनमानी विभाग और ठेकेदारों की चल रही है ये आख़िर देखेगा कौन ओर गुणवत्ता हीन हो रहे कार्यों पर रोक कौन लगा पाऐगा और आखिर सरकारी धन की कब तक होली खेली जाऐगी और नियम को दरकिनार कर हो रहे कार्यों को लेकर कब जागेगा प्रशासन में बैठे मुखिया,
मंडला जिले के विकास खण्डो में नव निर्माण भवन बनाये जा रहे है जहां पर विभाग की मिलीभगत और चंद नोटों के आगे दुम हिलाते जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी ने निर्माण कार्यों को अनदेखा कर रहे है और ठेकेदारों के द्वारा जो भवन बन रहे है वह समय से पहले ही खंडहर नजर आ रहे है क्योंकि जिन्हें अच्छे और गुणवत्तापूर्ण कार्य करने की जिम्मेदारी सरकार ने सौपी है वह तो ठेकेदारों के आगे पीछे घूमते नजर आते है।
वही जानकारी के अनुसार विकास खंड नैनपुर के अंतर्गत ग्राम धर्राची में आंगनबाड़ी केंद्र भवन का नवनिर्माण में ठेकेदार की मनमानी और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए घटिया और मानक के अनुरूप मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त निर्माण कार्य में लेंटर के दौरान दो ट्रॉली 40 एम एम गिट्टी से भवन का छत का स्लेब किया गया है जबकि लेंटर स्लैब में उपयोग में होने वाली गिट्टी 20 एम एम की होनी चाहिए, जिससे निर्माण की गुणवत्ता में सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए यह भी बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में काफी घटिया मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा है, यहां सीमेंट एवं अन्य मटेरियल जिससे आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले मासूमों पर हमेशा खतरा मंडराता रहेगा। ग्रामीणों ने बताया कि यह निर्माण ग्राम पंचायत के सचिव और सरपंच तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी की आंखों में धूल झोंक कर घटिया तरीके से किया जा रहा है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने उक्त लेंटर के दौरान क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से किया गया, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी से भी की गई पर अभी तक आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में हो रही अनियमितता और लापरवाही के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। और भवन का छत बना दिया गया!
अनिश्चितता को दरकिनार करते हुये भविष्य से खेला जा रहा, नहीं हो रही छत की तराई
महत्वपूर्ण विषय यह कि छत ढलाई के कितने दिन तक पानी देना चाहिए जो छत की तराई होने पर मजबूत बन सके लेकिन यहाँ तो छत की अनिश्चितता को दरकिनार करते हुये भविष्य से खेला जा रहा है | आमतौर पर छत ढलाई के दूसरे दिन छत की तराई करने की सलाह दी जाती है, छत में पानी अच्छी तरह से भरने की सलाह दी जाती है लगातार 28 दिनों तक ऐसी ही प्रक्रिया की जाती है। 28 दिन तक क्यारियों में पानी भरा न जाए तो छत की अनिश्चितता बढ़ सकती है ,भविष्य में भवन पर खतरा हो सकता है और यही खतरा को बढ़ाने का काम आंगनवाड़ी भवन के निर्माता कर रहे है, भवन के छत में में क्यारिया तो बना दी गई है लेकिन पानी डालना भूल गए है, तराई में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है |
हैंडपंप बोर खुला छोड़कर कर रहे किसी घटना का इंतजार
वही माध्यमिक शाला धर्राची के प्रांगण में स्थित हेंडपम्प बोर को खोल कर तथा उसमे नवनिर्माण आंगनवाड़ी भवन के लिये सबमर्शबल वाटर पम्प से पानी का उपयोग किया गया लेकिन स्लेब होने बाद हेंडपम्प बोर को खुला छोड़ दिया गया है जिससे लगातार खतरा मंडरा रहा है | चूकि लंबे समय से बच्चों के बोरवेल में गिरने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे में स्कूल का हेंडपम्प बोर को खुला छोड़ देने वालों पर प्रशासन का डंडा कहाँ तक चलेगा या फिर कोई घटना के बाद ही जागेगा प्रशासन या प्रबंधन |
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