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Tuesday, October 3, 2023

पूरे जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक, परेशान हैं मरीज जिम्मेदार विभाग मौन...



रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में कोई भी विकास खण्ड या कस्बा इन फर्जी डॉक्टरो से अछूता नही है खुले आम डिस्पेंसरी खोल कर लोगों को इंजेक्शन बॉटल लगा रहे है और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदार सब अपनी खुली आँखों से देख रहे है पर कार्यवाही के नाम पर शून्य है अब इसके पीछे की क्या वजय है ये जनचर्चा का विषय बनी हुई हैं।

          वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नारायणगंज तहसील अंतर्गत  गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है , चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं , मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं, खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 30 से 35 साल के बीच है , मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में जबलपुर तथा मंडला जिला अस्पताल  भेज दिया जाता है , जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।


नारायणगंज तहसील क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र कुम्हा, पाठा, चौकी, कुडामैली देवरी, अमदरा सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं , वहीं नारायणगंज स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं ,  इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं 


बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर


झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है , मंडला स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई , इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं, गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं , झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है 


स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई


झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है , और कई की हालत बिगड़ी है, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की ,  ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।


केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज


बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है, ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है


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