रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिला जो कि नर्मदा के तट पर बसा हुआ है, छोटा और शांत आदिवासी बाहुल्य जिला है, पर मंडला के स्वास्थ्य के क्षेत्र पर पिछड़ेपन की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हो या जिला प्रशासन इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नही दे रहे है और स्थानीय विधायक सांसद मंचो से बड़ी बड़ी शिक्षा स्वास्थ्य और मुलभूत सुविधाएं दिलाने के वादे कर चुके है और समस्या जनता की जश की तश बनी हुई है।
आज जिले मे लोगो के स्वास्थ्य के साथ झोलाछाप डॉक्टर हो या फिर डिस्पेंसरी हो सब ग्रामीण लोगों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है जिससे बहुत ही विचारणीय स्थिति निर्मित हो गई है । सम्पूर्ण जिले मे मरीजो को दवाई किसी ब्रांडेड नाम से दवाई लिखने की होड़ मची हुई है जनरिक नाम से (साल्ट नेम) नही लिखी जा रही पहले तो यह सिर्फ बडे बडे जिलो या तहसील स्तर तक ही सीमित था यह स्थिति अब तो ग्रामीण अंचल के छोटे छोटे गांव तक की हो गई है । वही आयुष चिकित्सक और झोलाछाप डाक्टर जो एमबीबीएस डिग्री के बिना इलाज ऐलोपैथी दवा लिख रहे हैं और इंजेक्शन बाटल लगा रहे है, ज्यादातर झोलाछाप पश्चिम बंगाल अन्य जिलों से आए हुए हे इनके द्वारा ग्रामीण इलाकों मे रहकर बिना किसी मान्यता उपाधी धड़ल्ले से ऐलोपैथी प्रेक्टीस कर जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है इनके द्वारा अपनी अपनी हिस्सेदारी वाली रिटेल मैडीकल स्टोर दुकानों पर प्रोपागंडा कंपनियों की दवाइयां रखवा दी जाती है और भोले भाले ग्रामीणों को अच्छे इलाज का बोलकर एवज मे प्रोपागंडा कम्पनी को अच्छी कंपनी कि दवाई बनाकर यह दवाई सिर्फ वही मिलेगी (साठगांठ वाली मेडिकल स्टोर) बोल कर बड़े डॉक्टर की तरह पर्ची लिखते मरीज जो की यह सब समझ नही पाता और इन सब के खेल के बीच पर मरिजो को स्टेराइड हाई डोज़ इंजेक्शन लगाने और हायर एंटीबायोटिक दवाओं इंजेक्शन लगाकर के शारीरिक रूप से किडनी लीवर दिल की बिमारी हो रही है और आर्थिक रूप से लूटा जा रहा है । चुकी कोई भी मध्य वर्ग का व्यक्ति जो खुद किसी परिवार का मुखिया होता है जब वह बीमार हो जाता है तो उसका आय का साधन वैसे ही बंद हो जाता है परंतु जब इस तरह का कृत्य उसके साथ होता है तो वह आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा प्रताड़ित हो जाता है । जिले के जिम्मेदारों को नही है चिंता,
चुकी इस पर सबसे ज्यादा संज्ञान लेने की जरूरत है तो जिले पर बैठे शासन और प्रशासन पर बैठे हुए लोगो को है।
परंतु दुर्भाग्य बस जिम्मेदारों के द्वारा झोलाझाप संघ से मोटी रकम लेकर आंखे बंद कर लेने से मरीज जो की ग्रामीण आंचलिक क्षेत्र से है ऐसे मरिजो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है वह अपने आप को प्रताड़ित हुआ सा महसूस करता है जब वह शारीरिक रूप से ठीक भी नही हो पाता और आर्थिक रूप से नुकसान हो जाता है । चुकी हमे जो पता चला है की मार्केट पर उदहारणतः बुखार की पैरासिटामोल साल्ट की बहुत सी दवाइयां अलग अलग ब्रांड नेम से उपलब्ध है । जैसे जिन पर अलग अलग MRP है । परंतु लिखी वही जायेगी पर्ची पर जिस पर झोलाछाप कि हिस्सेदारी होगी ।इस सब के बीच जो मूल रूप से मरीज का इलाज प्राथमिकता न हो कर ।हिस्सेदारी को प्राथमिकता दी जा रही है ।यह बहुत ही गंभीर विषय है इस पर तत्काल प्रशासन को संज्ञान ले कर रोक लगाने की जरूरत है ।चुकी केंद्र सरकार के द्वारा निरंतर एडवाइजरी जारी करके जेनरिक दवाइयां लिखने को बोला जाता है परंतु मध्यप्रदेश के मंडला जिले पर इन सब बातो का कोई फर्क नहीं होता चुकी यहां पर हिस्सेदारी को प्राथमिकता दी जाती है। हमारे द्वारा जब इसकी जानकारी निकाली गई।तब यह ज्ञात हुआ की जिला स्वास्थ्य पर बैठे हुए कुछ लोगो के द्वारा भी अपने परिवार वालो रिश्तेदारों के नाम से दवाई की किसी पीजी कंपनी की एजेंसी ले कर चिकित्सकों पर दवाव बना कर अपनी दवाइयों को बेचने का दवाव बनाने का कृत्य किया जा रहा है। इस विषय को ले कर के जब हमारी बात एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन के नेतृत्व कर्ता से हुई तो उनका भी स्पष्ट रुख था की इस तरह की जितनी ब्रांडेड दवाऔ के नाम पर प्रोपागंडा कम्पनी दवाऔ कि बिक्री चल रही है स्वास्थ्य और दवा के क्षेत्र पर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है चुकी यह लोगो के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है
इस पर तुरंत संज्ञान ले कर
उचित कार्यवाही करने की जरूरत है
और संलिप्त सभी लोगो को सामने ला कर मामले को उजागर करने की आवश्कता है।
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