रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला मुख्यालय के पूरे शहर में देश के प्रधानमंत्री जी की स्वच्छ भारत अभियान का उड़ाया जा रहा है मज़ाक एक सपना की स्वच्छता से परिपूर्ण हो भारत शहर नगर और गाँव पर कुछ लापरवाह जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारीयो की वजय से स्वच्छता अभियान के केवल कागजों तक ही सिमिट कर रहा गया है। और इस नगर की साफ सफाई के लिए सरकार लाखों करोड़ों खर्च कर रही है पर वो पैसा कहाँ जा रहा ये किसी को पता नही है।
आज मंडला नगर पालिका परिषद में कचरे उठाने के और साफ़ सफाई के लिए लाखों करोड़ों रुपये सरकार दे रही है पर आज जगह जगह सड़को में और नगर के अंदर गंदगी आसानी से देखने को मिल जायेगी जगह जगह कचरे के ढेर लगे हुए नाली गंदगी से बज बजा रही है और प्लास्टिक के डिस्पोजल, पाऊच, कैरी बैग, व प्लास्टिक से बनने वाले अनेक प्रकार की सामग्रियों का चलन वृहद रूप से चल रहा हैं। नियम का पालन करते कोई दिखाई नहीं दे रहा है। अनेकों बार प्रचार-प्रसार कर जागरूक भी किया जाता हैं इसके बाद भी जिला मुख्यालय में जोरों से प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने सामाग्रियों के विक्रय के अलावा जमकर उपयोग में किया जा रहा है।
प्रत्येक छोटे बड़े व्यापारियों के पास प्लास्टिक उपलब्ध
बता दें की जिला मुख्यालय में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का उपयोग सामाग्रियां खरीदने में उपयोग किया जाता है। जिला मुख्यालय में ऐसे अनेकों व्यापारी हैं जो थोक और फुटकर में प्लास्टिक के कैरीबैग, के अलावा प्लास्टिक से बने अन्य प्रकार की सामग्रियां की बिक्री हो रहीं हैं। प्लास्टिक बिक्री और ट्रांसपोर्टिंग में प्रतिबंधित लगाया जाता तो काफी हद तक प्लास्टिक की बिक्री और उपयोग में अंकुश लगाया जा सकता था। लेकिन मंडला की जनता और व्यापारी ही नहीं चाहते कि प्लास्टिक के उपयोग और बिक्री में प्रतिबंध लगे।
शासकीय नुमांइदे कड़ाई से नहीं करते कार्यवाही
उल्लेखनीय हैं कि बीच-बीच में एक मुहिम चलाकर शासन द्वारा छुटपुट कार्यवाही कर अपनी पीठ थप-थपा ली जाती हैं। लेकिन प्लास्टिक की रोकथाम के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा हैं, जिससे प्लास्टिक का प्रचलन लगातार बढ़ते ही जा रहा है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ मानव जीवन के लिए जहर फैलाया जा रहा है। प्लास्टिक के कारण पालतू मवेशियों की मौतें भी हो रहीं हैं। जिसके जिम्मेदार प्लास्टिक के निर्माता से लेकर क्रय विक्रय करने वाले सबसे ज्यादा हैं। कुछ लोगों के द्वारा प्लास्टिक से बने सामाग्रियों को एकत्र कर जला देते हैं, जिससे जहरीला धुआं पर्यावरण को दूषित करता है। लेकिन जिम्मेदारों के इससे कोई लेना-देना नहीं है।
त्यौहार पावन से लेकर अन्य समारोह में होता है प्लास्टिक से बने सामाग्रियों का उपयोग
शासकीय कार्यक्रम हो या निजी कार्यक्रम, सभी कार्यक्रमों में प्लास्टिक के डिस्पोजल, प्लास्टिक के पाऊच हजारों की संख्या में उपयोग कर सड़कों से लेकर कार्यक्रम स्थल और मैदानों में फैलाया जाता है। इसी तरह राजनीतिक दलों से लेकर शासकीय कर्मचारियों के द्वारा रैली, धरना प्रदर्शन के दौरान प्लास्टिक के पानी पाऊच और डिस्पोजल को उपयोग कर फैंक दिया जा हैं। प्रतिबंधित के बाद भी भारी संख्या में प्लास्टिक से बने सामाग्रियां कहा से सप्लाई की जाती है। उस समय स्थानीय प्रशासन और समाजसेवी कहां गायब हो जाते हैं। कब तक समाजसेवी और शासन-प्रशासन दिखावा कर प्लास्टिक के विक्रय और उपयोग करने में रोक लगाने का ढिंढोरा पीटते रहेंगे। जिले के जिम्मेदार लम्बे समय से ऐ देखते और सुनते आ रहे हैं कि प्लास्टिक की रोकथाम के लिए देश की सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार भी आज तक प्लास्टिक के निर्माता से लेकर विक्रय और उपयोग में पूर्ण तरह से प्रतिबंध नहीं लगा पाई। इसी तरह के नियम कानून बनते रहेंगे लेकिन धरातल में इसको रोकने वाला शासन- प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाए। जिसके चलते प्लास्टिक का खुलेआम विक्रय और उपयोग हो रहा है।
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