दैनिक रेवांचल टाइम्स केवलारी - बैनगंगा नदी के किनारे में कई आकस्मिक मौतें हो चुकी हैं केवलारी नगर के मध्य में बनने वाला सी एम राइस स्कूल जो कि नगर के मध्य में बनना था उसे कुछ राजनीतिक,प्रभावशाली, अपन स्वार्थी तत्वों के द्वारा नगर से दूर ले जाने का खेल चल रहा है आखिर क्यों वह भवन नगर से दूर तीन-चार किलोमीटर स्थित शासकीय भूमि पर बने जिस भूमि पर ये लोग दबाब की राजनीति कर रहें हैं वहाँ पूर्व में, पहले भी कई शासकीय भवनों के निर्माण की स्वीकृति चाहे वह आई टी आई कालेज भवन हो या फिर शासकीय महाविद्यालय भवन,इन भवनों का नाम भूमि परिवर्तन भी हो चुका था परन्तु उसके बाद उस जगह पर शासकीय भवनों का निर्माण नहीं हो पाया क्योंकि एक ओर बैनगंगा नदी का किनारा,बैनगंगा नदी की बाढ़ डूब क्षेत्र, जहाँ पर कुछ वर्ष पूर्व राजस्व विभाग के भवनों में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया था लोगो का कीमती सामान भी डूब गया था जिससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। नदी के पास वैसे भी स्कूल भवन नही होना चाहिए क्योंकि छोटे छोटे नंन्हे मुन्ने,छात्र छात्राओं की सुरक्षा का सवाल उठता है।पास में ही शमशान घाट होने से भी भय का वातावरण निर्मित होगा ।सुनसान जगह होने से छात्राओं में असुरक्षा की भावना के साथ ही कोई भी घटना, दुर्घटना होने पर कौन जिम्मेदार होगा यह भी जबाबदेही स्कूल को नगर से दूर ले जाने वाले लेंगे।बैनगंगा नदी के समीप स्कूल भवन पहुँचने के उस जगह के लिए दो दो बरसाती नाले के साथ ही उस जगह पर पहुंचने के लिए दो तरफ से उबड़ खाबड़ सड़क है,पहुँच मार्ग का अभाव,आवागमन के साधन नही होना भी चिंता का विषय है। अतः ग्रामवासियों, क्षेत्रवासियों, छात्र,छात्राओं, एवं उनके पालको ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से,शिक्षा मंत्री से,जिला कलेक्टर से नगर के मध्य में सी एम राइस स्कूल भवन बनाने की माँग की है ताकि लोगों को अपने बच्चों से निश्चिंतता बनेगी। नए प्रस्तावित स्थल में सी एम राइस स्कूल को स्वार्थी तत्वों के द्वारा नगर से दूर ले जाने का उद्देश्य सिर्फ सिर्फ अपने जमीन प्लाटों की कीमत बढ़ाना है ।उन्हें गरीब,दूरस्थ ग्रामों से आनेजाने वाले ग्रामीण बच्चों से कोई लेना देना नहीं। शासन और प्रशासन इन कॉलोनीयों और प्लांट वालों की बातों में, राजनीतिक दबाव में ना आते हुए कार्य करें यही अपील ग्रामीण जनों ने ,केवलारी नगर की जनता,क्षेत्रवासियों ने मांग की है।नगर के मध्य सी एम राइस स्कूल भवन नही होने की दशा में स्कूली छात्र छात्राओं, उनके पालकों, क्षेत्रवासियों के द्वारा बड़ा धरना प्रदर्शन, आमरण अनशन जैसी स्थिति के साथ ही आनेवाले विधानसभा चुनाव में बड़े जनप्रतिनिधियों को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।
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