दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग सर्व शिक्षा अभियान चलाकर भले ही सरकार विद्यालयों में बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का दावा करती हों।परंतु ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की स्तिथि इसके बिल्कुल विपरीत नजर आती हैं ये हम नहीं कह रहे बल्कि तस्वीरे बोलती है की कैसे सरकारी स्कूलों में पढाई करने आने वाले बच्चो से कभी कभी साफ सफाई का कार्य भी करा लिया जाता है। जबकि स्कूली बच्चों से स्कूल में किसी भी प्रकार का शारीरिक श्रम करने की सख्त मनाही है यहां मजबूरी यह है की गांव के भोले भाले स्कूली बच्चों को शिक्षको के द्वारा दिए गए फरमान का मानने से इंकार करना भी गुस्ताखी ही होगी । नतीजतन स्कूल प्रबंधन द्वारा दिए गए कार्य चाहे भले ही वह विद्यालय परिसर में साफ सफाई करने का हो बच्चे बखूवी करते हैं ताजा मामला बजाग विकास खंड के ग्राम सिंगारसत्ती मे स्थित एकीकृत माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिला है जहा सोमवार को छुट्टी के समय लगभग साढ़े चार बजे स्कूली छात्राएं विद्यालय परिसर में झाड़ू लगाते नजर आई।वही स्कूल के कुछ छात्र भी स्कूल के गेट के समीप कचरा बीनते दिखे।परंतु एक शिक्षक ने कुछ लोगो को स्कूल की तरफ आते देख बच्चो को तत्काल वहा से हटा दिया वही दो छात्राये झाड़ू लगाती रही बाद में उन्हें भी मना किया गया।जब इस संबंध में स्कूल के प्रधान पाठक से जवाब मांगा गया तो उन्होंने इसे कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है कहकर टाल दिया। और बताया गया की आज स्कूल में भ्रत्य नही आया है इसलिए बच्चो ने मिलकर सफाई की है चुकी विद्यालय में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है इसलिए बच्चो से सफाई का कार्य कराया गया है सवाल यह है की विद्यालय में इन कामों के लिए सिर्फ बच्चो को ही क्यों चुना जाता है जब सफाई करना इतना ही जरूरी था और जरूरी भी है तो क्या शिक्षक स्वयं छात्र छात्राओं के साथ मिलकर इस कार्य को नहीं कर सकते
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