दैनिक रेवांचल टाइम्स - आदिवासी बाहुल्य जिलों में स्वीकृत निर्माण कार्यो की कोई जिम्मेदार सुध लेने तक को तैयार नही है ग्रामीणों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिल सके ईसके लिए शासन द्वारा पुल पुलिया निर्माण हेतु करोड़ों रुपए का बजट जारी किया जाता है जिससे की ग्रामीणों को बारिश के मौसम में आवाजाही में परेशानी न हो और बांढ जैसी स्तिथि से निजात मिल सके इसी समस्या को दृष्टिगत रखते हुए विकास खंड के ग्राम सिंगारसत्ती में एन डी बी से बर्ष 2017 - 18 में चकरार नदी पर पुल निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी परन्तु इसे विडंबना ही कहे की जिले में होने वाले अधिकांशत: निर्माण कार्य निर्माण कंपनी की उदासीनता और विभागीय लचर प्रणाली के चलते कभी भी समय पर पूर्ण नहीं हो पाते ।जिससे की आधे अधूरे निर्माण कार्य से लोगो की मुसीबतें और बढ़ जाती हैं और शासन का पैसा और समय दोनो ब्यर्थ बर्बाद होता है लेकिन प्रशासन और ठेकेदार के मजबूत गठबंधन होने से लोगों को समय पर ऐसी सुबिधाओ का लाभ प्राप्त नहीं हो पाता ।
बजाग मुख्यालय से 5 किलो मीटर दूर सिंगार सत्ती में चकरार नदी पर करोड़ो की लागत से पुल का निर्माण धीमी गति से किया जा रहा है ठेकेदार की लापरवाही से पांच साल बीतने को है परंतु आज भी कार्य अधूरा पड़ा हुआ है निर्माण स्थल पर आमलोगों की जानकारी हेतु कोई बोर्ड भी नही लगाया गया है विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार डिंडोरी जिले में नेशनल डेब्लपमेंट बैंक से सेतू विभाग को बड़े पुलो के निर्माण के लिए शासन से लगभग चौबीस करोड़ का पैकेज स्वीकृत हुआ था जिसके अंतर्गत जिले के विभिन्न विकासखंडों में 7 पुलो का निर्माण होना था जिसमे से एक पुल ग्राम सिंगारसत्ती की चकरार नदी में बरसो से बन रहा है जिसका कार्य प्रारंभ वर्ष 17-18 में किया गया था जिसकी पूर्णता अवधि वर्ष 20-21 तक थी जबकि दो वर्ष अधिक बीत जाने के बाबजूद भी पुल निर्माण कार्य 6 महिनों से बंद पड़ा हैं हालाकि इस पर विभागीय अमले द्वारा बताया गया की बीच में कोविड के चलते एक वर्ष कार्य को रोकना पड़ा। अधूरे पुल निर्माण को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि प्रसाशन और ठेकेदार गहरी नींद में सोए हुए हैं जिसका खामियाजा लोगो को बरसात की मौसम में भुगतना पड़ रहां।ग्रामीणों ने पुल का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराने की अपील प्रशासन से की है।
इनका कहना है फाइनेंशियल कारणों से कार्य को बीच में रोकना पड़ा।ठेकेदार पर पेनाल्टी भी लगाई जा रही है मार्च 2024 तक कार्य पूर्ण होने की संभावना है भूपेंद्र टेकाम उपयंत्री
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