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Monday, September 11, 2023

हर शुभ काम से पहले क्यों होती है गणेश जी की पूजा? इसके पीछे छिपी है एक बेहद ही रोचक कथा



किसी भी अच्छे काम की शुरुआत हमेश भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के बाद ही की जाती है. कहते हैं कि गणपति के आशीर्वाद से शुरू किया काम हमेशा सफल होता है. इसलिए सनातन धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य गणेश जी की पूजा के बिना शुरू नहीं होता. ऐसे में कई बार लोगों के मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि सृष्टि के कर्ताधर्ता कहे जाने वाले भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा से पहले आखिर भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है? (Lord Ganesh Puja) जबकि गणपति भगवान शिव के पुत्र हैं और शिव से पहले भी उनकी पूजा की जाती है. आपके इस सवाल का जवाब धर्म ग्रंथों में दिया गया है. आइए जानते हैं आखिर क्यों होती है सबसे पहले गणेश जी की पूजा?
प्रथम पूजनीय देवता हैं गणेश जी

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सभी देवी-देवताओं के बीच इस बात पर विवाद हुआ कि आखिर धरती पर सबसे पहले किस देवता का पूजन होना चाहिए. सभी अपने-आपको एक-दूसरे से श्रेष्ठ बताने लगे. ​देवताओं के बीच उत्पन्न हुए इस विवाद को देखकर नारद जी ने सभी देवताओं को भगवान शिव की शरण में जाने की सलाह दी.

सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनको पूरी स्थिति के बारे में बताया. जब भगवान शिव ने देवताओं के इस झगड़े को देखा तो इसे सुलझाने के लिए एक योजना बनाई. उन्होंने इसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की. प्रतियोगिता के अनुसार सभी देवताओं को अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के लिए कहा गया. जो भी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सबसे पहले वापस आएगा उसे ही धरती पर प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया जाएगा.

भगवान​ शिव की बात सुनकर सभी देवता अपना-अपना वाहन लेकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े. इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे और उनकी सवारी चूहा था. चूहे की गति बहुत धीमी होती है और ऐसे में गणेश जी सोच में पड़ गए. इसके बाद उन्होंने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा की और हाथ जोड़कर उनके समक्ष खड़े हो गए.

जब सभी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर वापस लौटे तब वहां गणेश जी पहले से मौजूद थे और भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित कर दिया. जिसे सुनकर सभी देवता अचंभित हो गए कि चूहे की सवारी से पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर इतनी जल्दी कैसे लगाया जा सकता है. तब भगवान शिव ने बताया कि माता-पिता को ब्रह्माण्ड व पूरे लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उन्हें देवताओं के समान पूजा जाता है. गणेश जी ने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय माता-पिता की परिक्रमा की है. भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता उनके निर्णय से सहमत हो गए और तभी से गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं.दैनिक रेवांचल टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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