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Monday, September 18, 2023

सीआरपी एफ के जवानों ने धूमधाम से मनाया विश्वकर्मा जयंती का महापर्व.अमन सुख शांति की मांगी कामना...



रेवांचल टाईम्स - मंडला रविवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने पुलिस लाइन सीआरपीएफ मुख्यालय में धूमधाम से विश्वकर्मा जयंती का महापर्व मनाया गया। यह कार्यक्रम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 148 वाहिनी के मुख्यालय  के कमांडेड अधिकारी विक्रांत सारंगपाणी एवं द्वितीय कमान अधिकारी अमित मिश्रा, उप कमांडेंट मनोरंजन कुमार, सहायक कमांडेंट मनीष कुमार, चिकित्सा अधिकारी भागलक्ष्मी एस. के निर्देशानुसार सर्वप्रथम विश्वकर्मा जी की पूजा ,हवन, प्रसाद वितरण, वाहनों की पूजा ,और भंडारे का आयोजन किया गया। यहां सर्वप्रथम भगवान विश्वकर्मा जी की विधि विधान से पूजन अर्चन करते हुए हवन किया गया। इसके पश्चात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के समस्त वाहनो की भी पूजन अर्चन की गई। इस अवसर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कमांडेड अधिकारी विक्रांत सारंगपाणी ने कहा कि हमारे बटालियन मुख्यालय में सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं विश्वकर्मा जयंती का महापर्व हमारे लिए सबसे बड़ा पर्व है जिसे हम धूमधाम से मनाते है। इसी दर्ज में बटालियन मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर द्वितीय कमांडेड अधिकारी अमित मिश्रा ने कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा प्राकट्य दिवस हर साल कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की विशेष रूप पूजा-आराधना की जाती है। हर साल सृष्टि के सबसे बड़े और अद्भुत शिल्पकार विश्वकर्माजी की पूजा का पर्व बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा जी सृष्टि के पहले शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार जब ब्रम्हाजी ने सृष्टि की रचना की तो इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी भगवान विश्वकर्मा जी को दी। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रम्हा जी के सातवें पुत्र हैं। उप कमांडेंट मनोरंजन कुमार ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को ही सृष्टि का अभियंता कहा जाता है। सृष्टि को भगवान विश्वकर्मा ही चला रहे हैं, जितने भी आविष्कार या कोई मशीनरी काम कर रहे हैं, सब भगवान विश्वकर्मा की ही देन है। ऐसी मान्यता है कि जितने भी कल कारखाना और गाड़ियां इंजन चल रहे हैं, सब विश्वकर्मा भगवान की ही देन है। एक दिन विश्वकर्मा यानी सृष्टि के इंजीनियर का होता है। हर साल इसे 17 सितंबर को मनाया जाता है। हमारे हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन कोई भी मशीनरी या औजार का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दिन सभी मशीनों औजारों के साथ अस्त्र-शस्त्र की विधिवत पूजा होती है। पूजा करने से पहले मशीनों औजारों को साफ किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा के बाद इसका उपयोग नहीं किया जाता है। विश्वकर्मा यानी सृष्टि के इंजीनियर के नाम पर मशीनों और औजारों को एक दिन का रेस्ट दिया जाता है। सहायक कमांडेंट मनीष कुमार ने कहा कि विश्वकर्मा शिल्पशास्त्र के आविष्कारक और सर्वश्रेठ ज्ञाता माने जाते हैं। जिन्होने विश्व के प्राचीनतम तकनीकी ग्रंथों की रचना की थी। इन ग्रंथों में न केवल भवन वास्तु विद्या, रथ आदि वाहनों के निर्माण बल्कि विभिन्न रत्नों के प्रभाव व उपयोग आदि का भी विवरण है। माना जाता है कि उन्होनें ही देवताओं के विमानों की रचना की थी। सीआरपीएफ चिकित्सा अधिकारी भाग लक्ष्मी एस ने कहा कि विश्वकर्मा वैदिक देवता के रूप में सर्वमान्य हैं। इनको गृहस्थ आश्रम के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माता और प्रवर्तक भी कहा गया है। अपने विशिष्ट ज्ञान-विज्ञान के कारण देव शिल्पी विश्वकर्मा मानव समुदाय ही नहीं वरन देवगणों द्वारा भी पूजित हैं । देवता, नर, असुर, यक्ष और गंधर्व सभी में उनके प्रति सम्मान का भाव है। इनकी गणना सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवों में होती है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा के पूजन अर्चन किये बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं माना जाता। इसी कारण विभिन्न कार्यो में प्रयुक्त होने वाले औजारों, कल- कारखानों और विभिन्न उद्योगों में लगी मशीनों का पूजन विश्वकर्मा जयंती पर किया जाता है। विश्वकर्मा प्रकाश को वास्तु तंत्र का अपूर्व ग्रंथ माना जाता है। इसमें अनुपम वास्तु विद्या को गणितीय सूत्रों के आधार पर प्रमाणित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि सभी पौराणिक संरचना, भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हैं। भगवान विश्वाकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है। पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित हैं। इस दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 148 वाहिनी के अनेक जवान सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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