हिंदू धर्म में प्रत्येक माह कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार आते हैं. फिलहाल भाद्रपद यानि भादो का महीना शुरू हो गया है जो कि व्रत-त्योहारों के लिहाज से बेहद ही खास है. इस माह सबसे पहला त्योहार कजरी तीज पड़ रहा है तो कि आज यानि 2 सितंबर को मनाया जाएगा. कजरी तीज का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है और पंचांग के अनुसार यह तिथि आज है. कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद ही शुभ और फलदायी माना गया है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना की जाती है. आइए जानते हैं कि कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त.
कजरी तीज 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया पक्ष 1 सितंबर को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो गई है और इसका समापन 2 सितंबर को रात 8 बजकर 49 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार कजरी तीज का व्रत आज यानि 2 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
कजरी तीज का महत्व
जिस तरह करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है, बिल्कुल उसी प्रकार कजरी तीज का व्रत थी अखंड सौभाग्य की कामना से रखते हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं और रात्रि में च्रंदमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं. यह व्रत विशेष तौर पर मध्यप्रदेश , बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. हरियाली तीज की तरह कजरी तीज के दिन भी महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और झूला झूलती हैं. इस दिन महिलाएं एक साथ इकट्ठा होकर कजरी तीज का उत्सव मनाती हैं और कजरी गीत जाते हैं.
कजरी तीज पूजा विधि
सबसे पहले घर में पूजा के लिए सही दिशा का चुनाव करके दीवार के सहारे मिट्टी और गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा घेरा बना लें. इसके बाद उस तालाब में कच्चा दूध और जल भर दें. फिर किनारे पर एक दीपक जलाकर रख दें. उसके बाद एक थाली में केला, सेब सत्तू, रोली, मौली-अक्षत आदि रखें. तालाब के किनारे नीम की एक डाल तोड़कर रोपें. इस नीम की डाल पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माताजी की पूजा करें. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. रेवांचल टाईम्स इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
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