राम की चिडिय़ा राम का खेत खाओ रे चिडिय़ा भर भर पेट
दैनिक रेवांचल टाइम्स सिवनी- राम की चिडिय़ा राम का खेत खाओ री चिडिय़ा भर भर पेट यह कहावत सिवनी जिले के बरघाट क्षेत्र में 2670 लाख की लागत से बने कांचना-मंडी जलाशय परियोजना पर सटीक बैठती है। कंचन मंडी जलाशय में नेताओं और अफसरों ने अपने लालच के चलते शासन की महत्वपूर्ण जलप्रदाय योजना का सत्यानाश कर दिया। बांध तो जैसे-तैसे बन गया मगर नेहर के नाम पर इन लोगों ने लूटपाट मचा दी।
कांचना-मंडी जलाशय परियोजना को मानव अफसर और नेताओं ने कद्दू मानकर यह कहावत चरित्रार्थ कर दी की कद्दू कटेगा और सब में बटेगा। जितना मिला बटोरते गए और आज 4 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नेताओं को कांचना-मंडी जलाशय परियोजना से जिन किसानों को लाभ होना था उन्हें लाभ नहीं पहुंच पाया।
किसी को नहीं किसानों की चिंता
कांचना-मंडी जलाशय का निर्माण बरघाट के तत्कालीन विधायक कमल मर्सकोले के कार्यकाल में शुरु हुआ था, लेकिन इसके काम की बड़ी राशि सत्ता परिवर्तन के बाद विधायक बने अर्जुन सिंह काकोडिय़ा के रहते जारी हुई थी। उन्होंने भी इस पर हमेशा ही लापरवाही बरती। जिन नेताओं को जनता ने अपने फायदे के लिए चुना था, वे नेता ही निजी फायदा भुनाने में लगे रहे। किसी ने भी किसानों की चिंता नहीं की।
बरघाट क्षेत्र में 2670 लाख की लागत वाली कांचना-मंडी जलाशय परियोजना की निर्माण एजेंसी ने बिना काम किए अधिक भुगतान लेकर काम बंद कर दिया। चार साल से जलाशय से लेकर नहरों तक का काम पूरा नहीं हो पाया है। एक दशक पूर्व बरघाट क्षेत्र में कांचना मंडी जलाशय का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। निर्माण के समय से ही यह जलाशय विवादों में रहा। दो वर्ष पूर्व जलाशय का कार्य पूरा हुआ, लेकिन यह किसानों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। किसानों की मानें तो इससे पर्याप्त पानी उनके खेतों को नहीं मिल रहा। इससे जलाशयों को लेकर देखे गए उनके सपने अब भी अधूरे हैं।
ये है वर्तमान स्थिति
कांचना-मंडी जलाशय के पिचिंग और कई काम अधूरे हैं। इसकी नहरों से 2219 हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन चार वर्षों के बाद भी 14 किमी लम्बी मेन केनाल एवं 1.5 किमी की दूसरी नहर का काम अधूरा है। नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण तो हुआ है, लेकिन क्षेत्र के किसानों के खेतों में नहर से पानी नहीं पहुंच रहा है। किसानों में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के रवैये से नाराजगी है।
किसानों की अधिग्रहण की गई भूमि का नहीं मिला मुआवजा
कांचना-मंडी जलाशय की नहर निर्माण के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण का मुआवजा भी अब तक नहीं मिला है। यहां के किसान कैलाश लांजेवार ने बताया कि जलाशय के निर्माण में मेरी भूमि पांच साल पहले अधिग्रहित की गई है, लेकिन अब तक इसका मुआवजा नहीं मिल पाया है। उसका कहना है मेरे खेत से नहर निकाला गया है, लेकिन उस पर कोई रास्ता नहीं बनाया गया। नतीजा खेत के दूसरे हिस्से में जाने के लिए किसान को दो किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। संबंधित विभाग को कई बार पत्र लिखा, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आए हैं।
ईई व एसडीओ पर भ्रष्टाचार के आरोप, चल रही हैं जांच
कांचना मंडी जलाशय के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री (ईई) व एसडीओ पर बिना काम कराए निर्माण एजेंसी को भुगतान का आरोप है। अलग-अलग समय उन पर 10 करोड़ से अधिक रुपए का फर्जी भुगतान किए जाने का आरोप है। इसकी शिकायत पर उनके खिलाफ शासन ने जांच बैठा दिया है। दोनों को कांचना मंडी से हटकाकर संजय सरोवर बांध भीमगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया है। जांच में भी लगातार देरी हो रही है।
इनका कहना है कि
यह बात सही है कि कांचना-मंडी जलाशय के काम में कमियां हैं। निर्माण एजेंसी को किए गए काम से अधिक भुगतान हो चुका है। इसकी जांच भोपाल स्तर से हो रही है। चार साल पहले ही ठेकेदार काम छोडकऱ जा चुका है। अब नए टेंडर लगाने की प्रक्रिया शुुरू हुई है। जिन किसानों का भूमि अधिग्रहण का मुआवजा या अन्य शिकायतें हैं, उनकी जांच व रिपोर्ट बनाने के लिए भी एक टीम बनी है, जो सभी पक्षों की पड़ताल करने आएगी। एक महीने में ये कार्रवाई हो जाएगी।
एनके बेलवंशी कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग क्रमांक 1
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