रेवांचल टाईम्स -पटवारियों की हड़ताल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिया आश्वासन सरकार बनते ही पटवारियों कि 25 साल पुरानी मांग होगी पूरी..
मौजूदा सरकार के आश्वासन और खोखली घोषणा के इंतजार में पटवारी अभी भी हड़ताल में..
पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश पटवारी संघ ने मौजूदा सरकार को वोट नहीं करने की ली थी शपथ
भोपाल मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक है और चुनाव के नजदीक होने से प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से आवेदन निवेदन ज्ञापन रैली के माध्यम से अपनी मांगों को पूरी कराने में लगे हुए हैं। वहीं सरकार भी विभागीय कर्मचारियों अधिकारियों की मांगों पर महापंचायत बुलाकर आश्वासन और घोषणा के साथ-साथ लिखित आदेशों के साथ कई विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की मांग पूरी करने में लगी हुई है। मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के जिन विभागों के अधिकारी कर्मचारियों की मांग पर अमल करना था।वह अमल कर चुके हैं। और उन विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों की मांगों को पूरी करने में कोई समय नहीं लगाया है। वहीं जिन विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की मांगों पर सरकार अमल नहीं करना चाहती। उन विभागों की मांगों पर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है ।अब चाहे उन विभागों के कर्मचारी आवेदन दे निवेदन दे ज्ञापन दें या फिर रैली निकाले या फिर तिरंगा यात्रा क्यों ना निकले जब सरकार को जिन विभागो की मांगों पर अमल नहीं करना है। उन विभागों की मांगों पर ज्ञापनों पर या फिर विरोध प्रदर्शन पर सरकार ध्यान नहीं देती और यही कारण है। कि पिछले 25 सालों से अपनी मांगों को लेकर प्रतिवर्ष आवेदन ज्ञापन और रैली के साथ-साथ हड़ताल करने वाले राजस्व विभाग के पटवारीयो की मांगों पर सरकार ध्यान दे ही नहीं रही है। इस बार भी पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं। परंतु सरकार पटवारीयो की मांगों पर विचार करने तैयार नहीं है और प्रदेश के पटवारी प्रदेश की सरकार से आस लगाए बैठे हुए हैं। वर्ष 2007 में भी मौजूदा सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटवारीयो की मांग पर घोषणा की थी परंतु वह घोषणा आज भी सार्थक साबित नहीं हुई है। इसके बावजूद पटवारी अपनी हड़तालों के जरिए सरकार के आश्वासन पर टिकटिकी लगाये हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं पटवारीयो की 25 साल पुरानी मांग को लेकर पिछले दिनों छिंदवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पटवारी की हड़ताल का समर्थन करते हुए ऐलान किया है कि यदि सरकार उनकी बनती है तो पटवारीयो की 25 साल पुरानी ग्रेड -पे 2800 की मांग और
शासकीय कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना की मांगों को पूरी कर दी जाएगी। वहीं मौजूदा शिवराज सरकार के केवल आश्वासन और खोखली घोषणा के इंतजार में पटवारी अभी भी हड़ताल पर बैठे हुए हैं और निरंतर जिलो पर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ज्ञापन देकर सरकार को चेताने में लगे हुए हैं। परंतु सरकार को जिन विभागों की मांगों को पूरी करना था। उन विभागों की मांगो को मौजूदा सरकार पूरी कर चुकी है और जिन विभागों की मांगों को सरकार पूरा नहीं करना चाहती। उन विभागों के आवेदन निवेदन ज्ञापन रेलियो और विरोधों पर मौजूदा शिवराज सरकार ध्यान दे ही नहीं रही है। और यही कारण है की पटवारी के आवेदन निवेदन बैठकों के बावजूद पटवारी को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठना पड़ा है। मौजूदा सरकार पटवारी की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही जिसका एक कारण यह भी हो सकता है कि पिछले चुनाव मे मध्य प्रदेश पटवारी संघ के पटवारीयो ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन रैली के साथ-साथ हड़ताल भी की थी और मौजूदा सरकार का विरोध करते हुए सरकार को वोट नहीं करने की शपथ भी ली थी। और जिसके बाद मौजूदा सरकार गिर गई था और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी जिसके बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ कमलनाथ ने ली थी भले ही सरकार 18 महीना तक चली और दोबारा शिवराज की भगवा सरकार प्रदेश में पुनः स्थापित हो गई। अपनी मांगों को मनवाने के लिए पिछले चुनाव के समय में मध्य प्रदेश पटवारी संघ के अध्यक्ष बाघेल ने प्रदेश के तमाम पटवारीयो से शिवराज सरकार के खिलाफ वोट नहीं करने की शपथ दिलाई थी ।
यही एक बड़ा कारण हो सकता है कि प्रदेश के पटवारी आवेदन निवेदन करने में लगे हुए हैं और सरकार राजस्व विभाग के पटवारी से पिछले चुनाव में वोट नहीं करने की शपथ को लेकर नाराज हो और पिछले 25 सालों से अपनी मांगों को लेकर प्रतिवर्ष सरकार के सामने खड़े रहने वाले पटवारीयो की मांगों पर सरकार विचार नहीं कर रही है। वर्तमान स्थिति पर पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे हुए हैं। जबकि एक दिन के नायब तहसीलदार संघ के विरोध प्रदर्शन पर सरकार ने नायब तहसीलदारों की मांगों पर आदेश जारी कर दिया है। जबकि सरकार ने राजस्व विभाग के पटवारी की मांगों पर विचार नहीं करने का मन बना ही लिया है। तो फिर पटवारी की मांगों पर सरकार गौर नहीं करेगी और यदि सरकार की मजबूरी नजदीकी चुनाव को लेकर बनी तो पटवारी को केवल खोखले आश्वासन से ही संतुष्टि करनी पड़ेगी। क्योंकि यदि सरकार को पटवारी की मांग पर अमली जामा पहनाना था या पहनना है। तो पटवारी के विरोध के पहले ही पटवारीयो की मांग पर सरकार विचार कर लेती।पटवारीयो की मांग पर सरकार विचार करने तैयार नहीं है। यही कारण है। कि सरकार ने सभी विभागों की महापंचायत बुलाई और उन विभागों की मांगों पर विचार करते हुए आदेश भी जारी किए हैं। लेकिन एकमात्र ऐसा विभाग जो प्रतिवर्ष अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने निवेदन करते आ रहा है। परंतु सरकार पटवारी की मांगों पर विचार करने तैयार ही नहीं है। यही कारण है कि पटवारी की भी महापंचायत सरकार ने नहीं बुलाई है और अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा पटवारी की मांग पर समर्थन करते हुए कांग्रेस की सरकार बनते ही उनकी मांगों को पूरा करने की घोषणा के बाद यदि पटवारी की महापंचायत बुलाई जाती है और पटवारी की मांग पर आश्वासन दिया जाता है। तो पटवारी को आश्वासन पर ही संतुष्टि करनी पड़ेगी। बहरहाल प्रदेश के तमाम पटवारी अभी भी मौजूदा सरकार से आस लगाए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए है।
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