रेवांचल टाईम्स - माँ नर्मदा महापथ शक्ति की उपासना साधना ध्यान योग का विख्यात देश दुनियां का केंद्र बिंदु है जहां से धर्म संस्कृति सभ्यता कला परम्पराओं का प्रगटीकरण हुआ जहाँ हर युग सदी में साधना उपासना पूजा परम्पराओं की सहस्त्र विधियों नियमो विधानों की रचना हुई आज भी देश दुनिया को संदेश दे रहा इस युग सदी की निर्विकल्प उपासना साधना से समाज को जोड़ रहा निर्विकल्प निर्विकार माँ नर्मदा पथ के महायोगी अवधूत दादागुरु भगवान जो हमेशा सगुण उपासना प्रकृति प्रेम पूजा से व प्रत्येक त्योहारों उत्सवों में प्रकृति केंद्रित उपासना सनातन का मूल आधार है जीवंत प्रमाणिकता के साथ बता रहे।
गणपति महोत्सव व अनेक उत्सवों को एक नया स्वरूप देने विगत एक दशक से जन जागरण कर रहे है जिन्होंने गोमाता के गोमय से निर्मित मूर्ति व गोर गणेश की प्राचीन परम्परा को पुनर्जीवित किया अब श्री गणेश की सगुण उपासना का संदेश हम सब को दे रहे है।
हमारी प्राचीन सनातनी परम्परा है हम वृक्षों को देव स्वरूप मानते है व उनकी पूजा करते है।
वे हमारे जीवनदाता के रूप में रिद्धि सिद्धि के दाता के रूप में शक्ति के प्रत्यक्ष स्वरूप है।
देववृक्ष मूर्तियों को मंगलमूर्ति के स्वरूप में श्रंगार कर श्री गणेश की सगुण उपासना करें।
हर युग में सगुण उपासना वरदान है सगुण उपासना का आदर्श हैं श्री गणेश जिन्होंने अपने माता पिता की प्रत्यक्ष उपासना कर उनकी सेवा आज्ञा में रह कर देवताओ में प्रथम पूज्य हुए।
महायोगी दादागुरु का आह्वान-
👉गोमाता के गोमय से गोर गणेश निर्माण करें। जिस प्रकार मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करते है ठीक वैसे ही गोबर से गौर गणेश निर्माण करें ,एक दिन के गणपति।
👉विशुद्ध मिट्टी व गोमय से निर्मित मूर्तियों की स्थापना करें।
👉 वृक्ष में मंगलमूर्ति श्री गणेश की छवि आकृति बनाये देववृक्ष को मंगलमूर्ति के स्वरूप में सजाएं।
दादागुरु के महाव्रत साधना के साथ गणपति उत्सव पर आइये आज शपथ लें संकल्प लें कि हम-
👉सगुण उपासना है राष्ट्र आराधना प्रकृति उपासना से समर्थ गणतंत्र समर्थ भारत का निर्माण करेंगे।
👉पी ओ पी व विषैले द्रव्य पदार्थों रसायनों से निर्मित मूर्तियां ना स्थापित करेंगे ना ही सार्वजनिक स्थलों पर रखेंगे
👉 मूर्ति विसर्जन विसर्जन कुंड का निर्माण कर करेंगे।
👉हमारी प्राचीन गौरवशाली परम्पराओं उत्सवों को नशा मुक्त करने हर संभव प्रयास करेंगे।
नशा नाश की जड़ है धर्म विकास पथ का सबसे बड़ा बाधक व अवरोध है।
नशा मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने हर संभव प्रयास करेंगे। आइए नर्मदा पथ के महायोगी दादागुरु महाव्रत साधना से जुड़िए निर्विकार गुरुवाणी को आत्मसात करें स्वस्थ्य समाज समर्थ समाज की परिकल्पना को साकार करें सनातन धर्म संस्कृति प्रकृति केंद्रित परंपराओं को आत्मसात करें...
जय ॐ जय ॐ जय ॐ मां..
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