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Thursday, August 31, 2023

जिम्मेदारों की बढ़ती लापरवाही से मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़... एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन का यह सख्त सिस्टम...

 




रेवांचल टाईम्स - मण्डला, मंडला जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है जो नर्मदा के तट पर बसा हुआ बहुत ही छोटा एवं शांत आदिवासी रीति-रिवाज की बाहुल्यता है।मंडला के स्वास्थ्य के क्षेत्र पर पिछड़ेपन की हकीकत किसी से छुपी नहीं है।आज स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और बढ़ती लापरवाही के चलते जिले मे लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है जिससे बहुत ही विचारणीय स्थिति निर्मित हो गई है।

चिकित्सक निजी कमाई के चलते लोगों की जिंदगी से कर रहे खिलवाड़

चिकित्सक भगवान का दूसरा रूप माना जाता है, परन्तु आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला में चिकित्सक अपनी डिग्री एवं शिक्षा को पढाई का जरिया बनाया हुआ है। चिकित्सकों द्वारा सम्पूर्ण जिले मे मरीजो को दवाई किसी ब्रांडेड नाम से दवाई लिखने की होड़ मची हुई है जनरिक नाम से (साल्ट नेम) नही लिखी जा रही है,पहले तो यह सिर्फ बडे-बडे जिलो या तहसील स्तर तक ही सीमित था, परन्तु अब यह स्थिति ग्रामीण अंचलों के छोटे-छोटे गांवों तक की हो गई है।आयुष चिकित्सक और झोलाछाप डाॅक्टरों जो एमबीबीएस डिग्री के बगैर इलाज खुलेआम गंभीर बिमारियों का इलाज कर रहे हैं और ऐलोपैथी दवा लिख रहे हैं और इंजेक्शन-बाॅटल लगा रहे है।  ज्यादातर झोलाछाप डॉक्टरों का लिवास पहनकर पश्चिम बंगाल क्षेत्र से आए हुए हैं इन लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले इन चिकित्सकों द्वारा ग्रामीण इलाकों मे रहकर बिना किसी मान्यता-डिग्री,उपाधी धढल्ले से खुलेआम ऐलोपैथी प्रेक्टीस कर  जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है इनके द्वारा 

अपनी-अपनी हिस्सेदारी वाली रिटेल मैडीकल स्टोर दुकानों पर प्रोपागंडा कंपनियों की दवाइयां रखवा दी जाती है और भोले-भाले ग्रामीणों को अच्छे इलाज का झांसा देकर प्रोपागंडा कम्पनी को अच्छी कंपनी कि दवाई बताकर यह दवाई सिर्फ वहीं मिलेगी इन बंगाली चिकित्सकों की सांठ-गांठ वाली इन मेडिकल स्टोरों के संचालकों द्वारा आमजनता को गुमराह कर बड़े डॉक्टरों की तरह पर्ची लिखकर मरीज जो की यह सब समझ नही पाता और इन सब के झांसे के बीच मरिजो को स्टेराइड हाई डोज़ इंजेक्शन लगाने और हायर एंटीबायोटिक दवाओं इंजेक्शन लगाकर आमजनता के जिन्दगी से खिलवाड़ कर शारीरिक रूप से किडनी-लीवर, दिल की गंभीर बिमारी जैसी बिमारियों का शिकार बना रहे है और शारीरिक-मानसिक के साथ -साथ आर्थिक रूप से भी लूटा जा रहा है।

कोई भी मध्यम वर्ग परिवार का व्यक्ति जो खुद किसी परिवार का मुखिया होता है जब वह बीमार हो जाता है तो उसका आय का साधन वैसे ही बंद हो जाता है,परंतु जब इस तरह का कृत्य उसके साथ होता है तो वह आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा प्रताड़ित हो जाता है,मजबूरन अपने बच्चों के लिए रखी गई अपनी पैत्रिक सम्पत्ति को मिट्टी के भाव में बेचना होता है और यह खरीददार और कोई नहीं वो यूपी-बंगाल-बिहार के होते हैं जो उस क्षेत्र से अपराध करके यहां अपनी वसाहट जमा कर बैठ जाते हैं और कोई नेता-ठेकेदार का चोला ओढ़कर अपराध को पनपने में सहयोग करते हैं।

जिम्मेदार मौन होकर लोगों की जिंदगी का तमाशा देख रहे

मण्डला संपूर्ण आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां चिकित्सकों की उदासीनता एवं लापरवाहियों को क्षेत्र की जनता द्वारा नजरंदाज कर दिया जाता है। इस पर सब से ज्यादा संज्ञान लेने की जरूरत तो जिले पर बैठे शासन-प्रशासन और जिम्मेदारों को होना चाहिए, परंतु दुर्भाग्यवश जिम्मेदारों के द्वारा झोलाझाप संघ से मोटी रकम लेकर आंखे बंद कर लोगों की जिंदगी और स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

और जिम्मेदारों की इसी लापरवाह रवैए के चलते मरीज पूर्ण रूप से ठीक भी नही हो पाता और आर्थिक रूप से उन्हें इलाज के नाम पर ठग कर उसका नुकसान हो जाता है। मार्केट पर उदहारणतः बुखार की  पैरासिटामोल साल्ट की बहुत सी दवाइयां अलग-अलग ब्रांड नेम से उपलब्ध है।जिन पर अलग-अलग एमआरपी है,परंतु लिखी वही जायेगी पर्ची पर जिस पर झोलाछाप कि हिस्सेदारी होगी 

           वही इन सबके बीच जो मूल रूप से  मरीज का इलाज प्राथमिकता न हो कर हिस्सेदारी को प्राथमिकता दी जा रही है।यह बहुत ही गंभीर विषय है इस पर तत्काल प्रशासन को संज्ञान ले कर रोक लगाने की जरूरत है, चुकी केंद्र सरकार के द्वारा निरंतर एडवाइजरी जारी करके जेनरिक दवाइयां लिखने को बोला जाता है परंतु मध्यप्रदेश के मंडला जिले पर इन सब बातो का कोई फर्क नहीं होता चुकी यहां पर हिस्सेदारी को प्राथमिकता दी जाती है। दैनिक जग संवाद द्वारा जब इसकी जानकारी निकाली गई तब यह ज्ञात हुआ की जिला स्वास्थ्य पर बैठे हुए कुछ लोगो के द्वारा भी अपने परिवार वालो रिश्तेदारों के नाम से दवाई की किसी पीजी कंपनी की एजेंसी लेकर चिकित्सकों पर दवाव बनाकर अपनी दवाइयों को बेचने का दवाव बनाने का कृत्य किया जा रहा है।इस विषय को लेकर के जब हमारी बात एमपी फार्मासिस्ट एसोसिएशन के नेतृत्व कर्ता से हुई तो उनका भी स्पष्ट रुख था की इस तरह की जितनी  ब्रांडेड दवाओं के नाम पर प्रोपागंडा कम्पनी दवाओं कि बिक्री चल रही है स्वास्थ्य और दवा के क्षेत्र पर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है चुकी यह लोगो के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है। 

 इस पर तुरंत संज्ञान लेकर  

उचित कार्यवाही करने की जरूरत है और मामले में लिप्त सभी लोगो को सामने लाकर मामले को उजागर करने की जरूरत है।

इनका कहना है---

01-आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है, मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किया जावेगा।

                                   डॉ विजय धुर्वे

                                प्रभारी सीएमएचओ 

02-चिकित्सकों द्वारा मरीजों को किसी निश्चित दवा दुकानों पर दवाई लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

                                 अभिषेक झारिया

                                 अध्यक्ष मण्डला

                         एमपी फार्मा.ऐसोसिएशन।

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