रेवांचल टाईम्स - मप्र हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई का हुए राज्य सूचना आयुक्त के उस आदेश निरस्त कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि जा लंबित रहने के दौरान जानकारी उपलब्ध न करायी जा सकती। जस्टिस विवेक अग्रवाल व एकलपीठ ने अनावेदकों को निर्देशित किया है ि वह आवेदक को आरटीआई के तहत चाही ग जानकारी उपलब्ध कराएं।
यह मामला इंदौर निवासी विष्णु बाराट क ओर से दायर किया गया था, जिसमें कहा गया थ कि उन्होंने आरटीआई के तहत परिवहन सुरक्ष स्क्वॉड विशेष जांच दल भोपाल द्वारा राजस्व की चौरी कर किए गए भ्रष्टाचार को उजागर करने के ..उद्देश्य से 1 जनवरी 2018 से 30 नवंबर 2018 तक समस्त वाहनों से वसूल किए गए राजस्व दंड से संबंधित दस्तावेज जैसे परिवहन विभाग मध्यप्रदेश मोटरयान चेकिंग पंचनामा फार्म, डुप्लीकेट रसीद समझौता शुल्क, मेमो रिसीव्ड, द्वितीय प्रति मोटरयान वाहन जब्ती पत्रक रसीदों की प्रमाणित प्रति नियमानुसार जानकारी के समस्त रिकार्ड के दस्तावेज का अवलोकन कराकर जानकारी प्रदाय किए जाने की मांग की थी।
वही क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय हबीबगंज भोपाल मध्य प्रदेश की ओर से लोक सूचना अधिकारी द्वारा कहा गया कि अपीलर्थी ने जो जानकारी चाही थी। उसके संबंध में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जांच की जा रही है, जिसकी सूचना आवेदक को प्रेषित की जा चुकी है। जिस पर उन्होंने अपील की, जो कि निरस्त कर दी गई, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने राज्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला के आदेश 1 अक्टूबर 2020 को निरस्त करते हुए यह आदेश पारित किया कि याचिकाकर्ता के द्वारा जो सूचना अधिकार अधिनियम के तहज जानकारी चाही गई है, उसे उपलब्ध कराया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने पैरवी की।
No comments:
Post a Comment