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Tuesday, June 6, 2023

सर्व शिक्षा अभियान का एक और नया भ्रष्टाचार,खेल इंडिया, खिले इंडिया में जमकर किया भ्रष्टाचार, बांट दी नकली खेल सामग्री





जन शिक्षा केंद्र ने स्कूलों में स्पोटर्स को बढ़ाने 70 करोड़ भेजी थी राशि

भंडारण क्रय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर जिम्मेदारों ने हड़प ली पूरी रकम

रेवांचल टाईम्स - मंडला। आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला सहित प्रदेश में आदिवासियों सहित अन्य समुदायों के बच्चों को स्कूल में ही खेलकूद एवं शारीरिक दक्षता को बढ़ाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल ने 14 नवंबर 2019 को 70 करोड़ 19 लाख 40 हजार रुपए इसलिए आवंटित किए ताकि बच्चों का चहुमुंखी विकास हो सके। लेकिन भ्रष्टाचारीयो ने खेल इंडिया, खिले इंडिया के तहत जारी इस राशि को भी नही बक्शा मंडला जिले में प्रशासनिक पदों पर बैठे जिम्मेदारों ने भ्रष्ट मानसिकता वाले अफसरों के साथ मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। और जिले के सभी विकास खण्डो में संचालित स्कूलों में मिलने वाली खेल सामग्री में शासन द्वारा जारी इस राशि को निकालने से लेकर खेल सामग्री क्रय करने में तमाम तय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूलों को गुणवत्ताविहीन खेल सामग्री वितरित कर दी गई। गौर तलब है कि इस खेल सामग्री को क्रय करने का अधिकार शाला प्रबंधन समिति द्वारा तय शिक्षकों को दिया गया था और उसका भौतिक सत्यापन के लिए 4 सदस्यीय टीम भी बनाई गई थी, लेकिन न तो खेल सामग्री का भौतिक सत्यापन ही किया गया और न ही शाला के शिक्षकों को खेल सामग्री का क्रय करने दिया गया। जिम्मेदारों ने पूरी राशि में लूट-खसोट करते हुए अपने चहेते फर्म से सामग्रियों का क्रय किया और स्कूलों को बांट दी और जो शिक्षक ने विरोध किया तो उसे धमकी दी गई ये भ्रष्टाचारी बच्चों को नही बख्श रहे शायद इनके बच्चे नही है या फिर ये मानव नही है ।

       उल्लेखनीय है कि राज्य शिक्षा मिशन भोपाल द्वारा अपने पत्र क्रमांक एसएसए/अका/ 2019/1582 दिनांक 19 दिसंबर 2019 के जरिए मंडला जिले के सभी प्राथमिक विद्यालयों को 5 हजार रुपए, माध्यमिक शालाओं को दस हजार और हायर सेकेंडरी स्कूल को 25 हजार रुपए स्कूलों में खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा गतिविधियों के लिए खेल इंडिया, खिले इंडिया योजना अंतर्गत उक्त विद्यालयों के अधिकृत शिक्षकों द्वारा अपने-अपने कार्य क्षेत्र के विद्यालयों के लिए खेल सामग्री क्रय करने के लिए दिए थे। नियमों के तहत शाला प्रबंधन समिति के अनुमोदन उपरांत भंडारण क्रय नियमों के पालन करते हुए क्रय संबंधी कार्यवाही कर सामग्री का भौतिक सत्यापन 30 दिसंबर 2019 तक करना था। इसके तहत शासन के निर्देशों के तहत मंडला जिले में जिला स्तरीय मानिटरिंग कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें जिला परियोजना समन्वयक, जिशिके मंडला, के.के. उपाध्याय सहा.परि.समन्वयक, रविंद्र ठाकुर जिला खेल अधिकारी, के.पी. सैयाम सहा.परि.समन्वयक वित्त, हरेंद्र वर्मा सहा. परि. समन्वयक अका, जिला मंडला और विकास खंड स्रोत समन्वयक को बनाया गया। लेकिन कमेटी ने बगैर सत्यापन किए खेल सामग्रियों का स्कूलों में सभी नियमों को ताक पर रखकर बंटवाया, इसमें लाखों रुपए का घपला ग़बन और भ्रष्टाचार किया गया।

शिक्षकों को जांच की धमकी देकर खेल रहे खेल-

इस पूरे मामले में यह बात गौरतलब है कि जिस खेल सामग्री को स्कूल के शिक्षकों को खरीदना था, यह कार्य जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने हाथ में लेकर अपने चहेतों से खरीद लिया, वह भी गुणवत्ताविहीन और उसे शाला के शिक्षकों पर जबरिया थोपकर लाखों की कमाई कर ली। अगर किसी शाला प्रबंधन ने आपत्ति जताई तो उन्हें जांच का भय दिखाकर पंचनामा के जरिए खेल सामग्री थमा दी गई। खास बात यह भी है कि सामग्री क्रय करने तथा उसकी जांच की तिथि 30 दिसंबर 2019 थी लेकिन उसका वितरण अगले साल यानी 2020 की अंतिम जनवरी को किया गया।

तीन साल बाद भी जांच नहीं-

मंडला जिले में खेल इंडिया, खिले इंडिया के तहत स्कूलों में खेल सामग्री की खरीदी और वितरण में मंडला जिले में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने 30 जनवरी 2020 को जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र मंडला और कलेक्टर मंडला को एक शिकायती पत्र आरटीआई एक्टिविस्ट मुकेश श्रीवास द्वारा दिया गया। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर कोई जांच नहीं की गई, न ही भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई की गई और कही न कही गैर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने भी जिले में हो रहे भ्रष्टाचार को होने में बढ़वा दिया जा रहा ये सब की जानकारी होने के बाद भी जांच न होना ये कहा तक सही हैं।

इनका कहना है-

आदिवासी जिले मंडला में योजनाओं में भ्रष्टाचार करना अधिकारियों के लिए आम बात है अब बच्चों को मिलने वाली योजनाओ को भी बख्श रहे है,खेल इंडिया, खिले इंडिया के तहत शासन से मंडला जिले के स्कूलों में खेल सामग्री क्रय करने और वितरण करने लाखों रुपए की राशि आई, लेकिन स्कूलों में जो भी खेल सामग्री वितरित की गई, वो तय मानकों के अनुरूप नहीं थी, न ही गुणवत्ता का ख्याल रखा गया। जिम्मेदारों ने भारी भ्रष्टाचार कर इस राशि का बंटरबांट कर लिया। मेरे द्वारा इसकी शिकायत कर जांच करने कलेक्टर सहित जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र को 30 जनवरी 2020 को की गई, लेकिन तीन साल बाद भी न तो जांच हुई, न ही भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्रवाई नही की गई।

                               मुकेश श्रीवास, 

                     आरटीआई एक्टिविस्ट, मंडला

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