मंदिर हो या पूजा घर एक चीज दोनों जगह जरूर होती है, वह है घंटी या घंटा. बिना घंटा या घंटी बजाए पूजा-पाठ पूरी नहीं मानी जाती है. इसलिए मंदिर के द्वार पर ही घंटा लगा रहता है और लोग प्रवेश करते समय घंटा जरूर बजाते हैं. घंटी बजाने का धार्मिक महत्व है, इसके अलावा वैज्ञानिक तौर पर भी यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि घंटे की आवाज माहौल में सकारात्मकता लाती है. रोजाना घंटी या घंटा बजाने वाले सभी लोग यह नहीं जानते हैं कि घंटी पर किस देवता का चित्र होता है और क्यों होता है?
...इसलिए कहते हैं गरुड़ घंटी
पूजा-पाठ में बजाई जाने वाली घंटी को गरुड़ घंटी कहा जाता है. घंटी पर गरुड़ देवता का ही चित्र अंकित होता है. इसलिए इसे गरुड़ घंटी कहते हैं. पूजा के दौरान गरुड़ घंटी बजाना बेहद शुभ माना जाता है. घंटी की आवाज से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. साथ ही माना जाता है कि गरुड़ घंटी बजाने से भक्त की मनोकामना पूरी होती है. हिंदू धर्म में गरुड़ देव को भगवान विष्णु का वाहन माना गया है. घंटी में गरुड़ देव का चित्र इसलिए होता है ताकि गरुड़ देव वाहन के तौर पर भक्तों की मनोकामना भगवान विष्णु तक पहुंचाते हैं और भगवान अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. साथ ही यह भी माना जाता है कि गरुड़ घंटी बजाने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है.
गरुड़ घंटी से निकलता है नाद
हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि की रचना जिस नाद से हुई है वैसा ही नाद गरुड़ घंटी से निकलता है. इसलिए गरुड़ घंटी से निकले इस नाद को विशेष माना गया है. इसी के चलते हर मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही घंटा लटकाया जाता है, भक्त मंदिर में प्रवेश करते ही घंटा बजाते हैं. इससे माहौल में सकारात्मकता आती है. आरती में भी घंटी या घंटा जरूर बजाया जाता है.
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