मंडला जिले में सूचना अधिकार अधिनियम और सी.एम हेल्पलाईन की उड़ रही धज्जियाँ... - revanchal times new

revanchal times new

निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

Breaking

Monday, June 5, 2023

मंडला जिले में सूचना अधिकार अधिनियम और सी.एम हेल्पलाईन की उड़ रही धज्जियाँ...




अधिकारी घोटाले और भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए करते है भ्रमित और नही देते है। जानकारी...

रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभागों ने जहां जानकारी देने से बचने के लिए अलग-अलग नियम बना रखे हैं वहीं इसके तहत की जाने वाली अपील भी मजाक बन कर रह गई हैं। आलम यह है कि महज 90 दिन में जिस प्रकरण का निराकरण पूरी तरह करना है, उसकी सुनवाई महीनों तक चलती रहती है। इससे अधिकारियों की मंशा खुद हो स्पष्ट हो जाती है। इसी तरह मप्र शासन ने जनता के हित में सीएम हेल्पलाइन शुरू की थी। ताकि इनका लाभ आमजन को को समय पर मिल सके और भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खुलकर सामने आ सके, जिसमें जमकर लीपापोती की जा रही है। वही संबंधित विभाग के अफसर जमीनी स्तर पर काम करने की बजह दफ्तर में बैठकर संबंधित अधिकारियों द्वारा इसका निराकरण कर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है । और सीएम हेल्पलाइन से कॉल होता है कि आपका निराकरण हो गया है तो इसकी पोल खुल जाती है। संबंधित अफसर कागजों में निराकरण झूठी प्रशंसा पाने में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं जिला कलेक्टर भी सीएम हेल्पलाइन की मॉनीटिंग करते हुए अफसरों को फटकार लगाते है ।फिर भी निकारण होना मुनासिब नहीं हो पा रहा है।और लोग न्याय पाने के लिए कभी इस दफ्तर तो कभी उस दफ्तर भटक रहे है लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजह एक दूसरे के पाले में गेंद उछालते हुए देखे जा रहे हैं। फिर भी ऐसे अधिकारियों पर वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई करने की जहमत नहीं बना पा रहे है।


मंडला जिले में कुछ विभाग तो अधिनियम के प्रावधान के अनुसार भी जानकारी नहीं देते है।

मंडला जिले ऐसे विभाग है। जोकि जानकारी मांग ने पर कोई जानकारी प्रदान नही करते है। जैसे की मंडला जिले में खनिज विभाग और पीएचई ,जनपद पंचायत नगर पालिका परिषद आर ई एस पीडब्ल्यूडी इन विभागों में अगर आप ने जानकारी की मांग की गई तो आपको इतना भटका देगे की आवेदक स्वयं ही थकहार कर शांत हो जाता है। और जो कुछ लगे रहते है। उनको हजारों के बिल थमा दिया जाता है। और जानकारी 2 पेज की होती है। जिसमे खनिज विभाग में मंडला जिले में संचालित होने वाले स्टोन क्रेशर की जानकारी मांगी गई थी। और जानकारी नहीं मिलने पर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज की गई थी। मगर आज तक जानकारी नहीं मिली ना सीएम हेल्पलाइन को तो खनिज अधिकारी के द्वारा शासन को गलत जानकारी देकर शिकायत को फोर्स कोल्ज कर जा रहा है।जिसके कारण अधिकारियों के हौंसले बुलंद है। जो पीड़ितों को न्याय दिलाने की वजह सिर्फ कागजों में ही काम करने में विश्वास रखते हैं जनता का भला हो न हो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।वही अधिकारी सिर्फ खाना पूर्ति करते नजर आते है। 


 मंडला जिले के अधिकारी प्रावधान और अधिनियम को नही मानते है। और करते है। जिम्मेदार मनमानी

मंडला जिले सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा-(6)1 के तहत पूछे जाने वाले प्रश्न को उलझाये रखने में अधिकारियों ने महारथ हासिल कर रखी है। और प्रावधान की बुरी तरह से फेल करने के प्रयास में दिनों दिन लामबंध होते जा रहे है, क्योंकि यह कानून केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया है। इसलिए इस कानून का लाभ पूरा जनता को मिले इसके लिए मॉनीटिंग के लिए भी केन्द्र सरकार को अपने स्तर से व्यवस्था करना चाहिए ताकि जनता को सहज में हर जानकारी उपलब्ध हो सके और अपने हित में उसका उपयोग कर सके।वही आवेदन और प्रथम अपील करने के बाद भी अधिकारी जानकारी प्रदान नही करते है। और व्यर्थ का पत्राचार कर शासन को गुम रह करते है।


सूचना का अधिकार अधिनियम और सीएम हेल्पलाइन की अधिकारी उड़ा रहे धज्जियां

मप्र सरकार द्वारा शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन सुविधा का प्रारंभ में अच्छा खासा असर हुआ और पीड़ित लोगों को इस सुविधा का पूरा लाभ मिला, लेकिन अधिकारियों ने इसको भी धज्जिया उड़ा दी और फर्जी तरीके से सीएम हेल्पलाइन निराकरण कर सभी शिकायतों का खात्मा किया जाने लगा, क्योंकि इसमें अधिकारियों की सही जानकारी देने से उनकी कार्यों की पोल खुल रही थी. इसलिए सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतकर्ता 181 अधिकारी की मीलीभगत से दूसरे को खात्मा लगवा दिया जाता है। कई शिकायत

मोबाइल ने की अपडेट कर शिकायत बंद करना एवं फोर क्लोज में महारत हासिल कर लिया गया देखने में आ रहा है कि जिलेभर के कार्यालयों में 30 से 60 शिकायतें पेंडिंग हुई है और उनका किसी तरह का निराकरण नही होता है। इसका असर किसी अधिकारी पर नहीं हो रहा है और किसी अधिकारी पर निलंबन की कार्रवाई नहीं होती है इसलिए सीएम हेल्पलाइन को हल्के में ले रहे है। जनता के हित में दोनों योजनाओं पर केन्द्र व राज्य सरकार की विचार करना चाहिए कि जनता के हित में बनाई गई योजनाएं सफल हो और जनता को इसका लाभ मिले इसके लिए प्रयास किये जाये।

No comments:

Post a Comment