रेवांचल टाईम्स - मंडला ऐसे तो आदिवासी बाहुल्य जिले में भ्रष्टाचार ग़बन और सरकारी धन में लूट का कोई ये पहला मामला नही इस जिले में ऐसी कोई योजना नही है जिसमे विभाग की साठगांठ के बिना ही भ्रष्टाचार न हो और ठेकेदार तो बने ही ही भ्रष्टाचार करने बस उन्हें ज़रा सा मौका मिल जाये इनका कोई दीन ईमान नही है ठेकेदार को केवल काम लेकर उसमे कैसे लीपापोती की जा सके और ज्यादा से ज्यादा पैसा बचा सके और फिर उसमें अधिकारियों का साथ हो जाये तो सोने पे सुहागा चाहें वह लोक निर्माण विभाग, या फिर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग पंचायत विभाग और बचा हुआ शिक्षा विभाग जो अब भ्रष्टाचार में अब्बल हो रहा है।
वही शिक्षा के नाम पर आदिवासी बाहुल्य जिले में किस कदर भृष्टाचार किया जारहा है उसकी बानगी आप जिले के शासकीय शैक्षणिक संस्थानों में देख सक्ते है। हाल ही में सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुँचाने शैक्षणिक संस्थानों की मरम्मत के लिए लाखों करोड़ों के ठेके दे दिए है और ठेकेदार भी अधिकारियों की मिली भगत से भृष्टाचार करने में लगे हुए है। बतादे सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग द्वारा मंडला जिले के करीब 50 शैक्षणिक संस्थाओं की मरम्मत हेतु तकरीबन 10 करोड़ की राशि आवंटित की है। लेकिन उक्त शैक्षणिक संस्थानों में मरम्मत के नाम पर लीपापोती कर भृष्टाचार की नई इबादत लिखी जारही है- जहाँ कोटा स्टोन लगना है वहाँ कडप्पा नाम के पत्थर लगाएं जारहें है और जहाँ पर टाइल्स या खिड़की दरवाजे लगने है वहाँ पर पुराने ही खिड़की दरवाजों को डेंट पेंट कर लगाया जारहा है। टाइल्स की बात करें तो जो टाइल्स टूटा है सिर्फ उसी टाइल्स को निकाल कर लगाया जारहा है। ताज्जुब की बात तो यह कि एक आश्रम में टीनशेड लगे हुए है वहाँ की मरम्मत के लिए करीब 45 लाख रुपये आंवटित किए गये है। अब सवाल यह उठता है कि जिस आश्रम में टीनशेड लगे है वहाँ की मरम्मत में 45 लाख कैसे खर्च हो सक्ते है। जबकि जानकर बताते है कि जितनी राशि मरम्मत के लिए दी गई है उससे कही कम राशि में नया आश्रम भवन बनके तैयार हो जाता। बतादें जनजातीय विभाग ने अपने चहेते ठेकेदारों व खुद की जेब भरने की नीयत से पुराने भवनों का बिना अवलोक किए मन माफिक तरीके से लाखों रुपये आवंटित कर दिए गये है। उसके बाउजूद उक्त शैक्षणिक संस्थानों में प्राकलन के अनुसार कार्य नही कराया जारहा है। जिससे प्रतीत होता है कि जनजातीय विभाग के अधिकारी कर्मचारी ठेकेदारों के माध्यम से बड़े भृष्टाचार को अंजाम देने जारहें है। साथ ही जिन अधिकारी कर्मचारियों को प्रतिदिन मरम्मत के निर्माण कार्यो की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजनी है उन जिम्मेदारों ने भी अपना ईमान ठेकेदार की चौखट पर गिरवी रख दिया- जिसके चलते जिले की मुखिया को शैक्षणिक संस्थानों के मरम्मत कार्य की सही जानकारी नहीं मिल पारही है। वही हमारे सूत्रों ने बताया कि सहायक आयुक्त जनजातीय विभाग के उपयंत्री अपने लग्जरी रूम में बैठकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से मरम्मत के निर्माण कार्यो का निरीक्षण कर रहे है जिसकी वजह से उपयंत्री परमार की कार्य प्रणाली भी उक्त कार्यो में संदिग्ध नजर आरही है। अब सवाल यह उठता है कि जितना पैसा जनजातीय विभाग ने मरम्मत के लिए अपने ठेकेदारों को दिया है उतने से कही कम राशि में बड़ा व नया भवन बनकर तैयार हो जाता। वही शैक्षणिक संस्थानों में मरम्मत के नाम पर हो रहे भृष्टाचार को देखते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
रेवांचल टाईम्स से राहुल सिसोदिया की रिपोर्ट
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