खुद की जमीन पाने दर-दर भटक रहा राष्ट्रीय मानव घोषित बैगा - revanchal times new

revanchal times new

निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

Breaking

Monday, June 19, 2023

खुद की जमीन पाने दर-दर भटक रहा राष्ट्रीय मानव घोषित बैगा





तहसीलदार और सरपंच घुघरी ने बसोरीलाल को किया भूमिहीन 

विधायक नारायण सिंह पट्टा के गृहग्राम में ही बैगाओं की हो रही हैं अनदेखी

ग्राम पंचायत सहित विधायक, कलेक्टर तक से लगा चुका है गुहार, लेकिन सुनने कोई तैयार नहीं...


दैनिक रेवांचल टाइम्स,- मंडला। देश के संकटग्रस्त आदिवासियों की 72 जातियों में से एक बैगा आदिवासियों को पर्यावास अधिकार (हैबिटेट राइट) प्रमाणपत्र मिले हैं। वन अधिकार अधिनियम 2006 में बैगा आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। बैगा आदिवासियों की बाहुल्यता मंडला जिले में है। बता दें कि देश में बैगा विलुप्त होने की कगार पर है। वैसे भी मंडला जिले को आदिवासियों की राजधानी माना जाता है। जिनके सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान की बातें समय-समय पर प्रदेश के मुखिया और सीएम शिवराज सिंह चौहान करते रहते हैं। बैगा आदिवासियों की सरकार की ओर से समस्त प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं और उन्हें राजनीतिक और प्रशानिक संरक्षण भी प्राप्त है। लेकिन मंडला जिले के घुघरी तहसील में एक बैगा परिवार पर अत्याचार करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत घुघरी जो कि वर्तमान विधायक नारायण सिंह पट्टा का गृहग्राम भी है, यहां बसोरीलाल बैगा की पुश्तैनी जमीन को प्रशासन द्वारा हड़पने का मामला सुर्खियां बना हुआ है। गरीब बैगा बसोरीलाल जिस जमीन पर 40 सालों से खेती कर अपने परिवार का उदर-पोषण करता था, उस जमीन को वर्तमान तहसीलदार और सरपंच की मिलीभगत से मुरम डालकर बंजर बनाया जा रहा है। जबकि 2003 में बसोरीलाल को इसी जमीन का पट्टा देने की अनुमति तत्कालीन सरपंच और वर्तमान विधायक नारायण सिंह पट्टा ने ग्राम पंचायत से पट्टा देने की संस्तुति जारी की थी, फिर ऐसा क्या हो गया कि आज तक बसोरीलाल को न तो उस जमीन का पट्टा मिला, न ही पर्यावास अधिकार (हैबिटेट राइट) का प्रमाणपत्र ही मिला। जबकि वन अधिकार अधिनियम 2006 में बैगा आदिवासियों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जिसमें उनकी जमीन को किसी भी हालत में न तो प्रशासन और न ही किसी अन्य द्वारा अतिक्रमण किया जा सकता है। लेकिन बसोरीलाल के साथ प्रशासन ही घोर अन्याय करने पर तुला हुआ है। वह भी राजस्व विभाग के आला अधिकारी तहसीलदार के आदेश पर। जिसने सरपंच के साथ मिलकर बसोरीलाल की जमीन को नेस्तनाबूद करने की ठानी है। बता दें कि विलुप्त होती बैगा जनजाति को भारत वर्ष में राष्ट्रीय मानव का दर्जा भी प्राप्त है। यहां गौर करने वाली बात है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बैगा जनजाति के जीवन यापन से लेकर आवास, भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य व हर तहत की सुविधाएं दी जाती हैं। साथ ही इस जनजाति को संरक्षित और बचाने के लिये मासिक पेंशन भी दी जाती है। जिससे बैगा परिवारों का भरण पोषण सुचारू रूप से हो सके। मंडला जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां पर आदिवासियों के उत्थान व जीवन यापन के लिये कई प्रकार की योजनाएं संचालित हैं परंतु ये योजनाएं लगता है कि सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई हैं। धरातल में वास्तविकता कुछ और नजर आती है। हैरत की बात है कि बैगाओं के उत्थान के लिए मंडला जिले में आदिवासी बैगा विकास प्राधिकरण भी बनाया गया है। मंडला जिले में सरपंच से लेकर विधायक, सांसद सभी आदिवासी हैं, फिर भी बसोरीलाल जैसे ना जाने कितने आदिवासी शोषण के शिकार हो रहे हैं। 



बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं सिर्फ कागजों में-

आदिवासी जिला होने के नाते इस जिले में सभी पदों पर आदिवासियों को संरक्षित किया गया है जहां पर पंच से लेकर विधायक, सांसद तक आदिवासी ही होते हैं और ये जनप्रतिनिधि आदिवासियों की हितों की बातें बड़े-बड़े मंचों से करते हैं। घोषणाएं करतें हैं। ये सारी बातें दिखावटी होती हैं। उन्हें तो सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करना होता है। वादे बड़े-बड़े करेंगे पर वास्तव में इन गरीब आदिवासी बैगाओं की कोई भी सुनने को तैयार नहीं है ना ही इनको कोई न्याय दे पाता है। 

घुघरी का स्थाई निवासी है बसोरीलाल-

बसोरी लाल बैगा घुघरी का स्थायी निवासी है। उसके पास चालीस वर्षों से घास भूमि खसरा नंबर 359, 434 की जमीन है। जिस पर कृषि कार्य कर बसोरीलाल अपने परिवार का पालन पोषण करता चला आ रहा है एवं भूमि पर कच्चा मकान भी है। जिस का इन्द्राज पांच साला खसरा में बतौर दर्ज है। बसोरी लाल बैगा ने इस भूमि का पट्टा की मांग कई वर्षों से करते चला आ रहा है, जिसके लिये सबसे पहले ग्राम पंचायत घुघरी में आवेदन प्रस्तुत किया था जिसमें ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पास कर पट्टा दिये जाने की अनुशंसा की थी। ग्राम पंचायत लाटो में विशेष बैगा शिविर के अंतर्गत उसे यह जमीन फरवरी 2022 में दी गई थी। 

कलेक्टर से लेकर विधायक तक लगा चुका है गुहार-

अपनी जमीन का मालिकाना हक पाने बसोरीलाल कलेक्टर मंडला से लेकर सरपंच और विधायक तक को आवेदन देकर मदद की गुहार लगा चुका है। लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी और तो और घुघरी ग्राम पंचायत में बसोरीलाल को पट्टा देने पूर्व में प्रस्ताव भी पारित किया गया था। लेकिन दिनांक 8-6-2023 को ग्राम पंचायत घुघरी व तहसीलदार के द्वारा बिना किसी नोटिस एवं कार्यवाही के आवेदक का कच्चा मकान व उक्त भूमि से बेदखल कर दिया गया। उक्त कार्यवाही से आवेदक भूमिहीन हो गया है तथा उसके आय का स्त्रोत भी छीन गया है।

विधायक के गृहग्राम में यह कैसा अन्याय-

हैरत की बात है कि विछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा भी इसी गृह ग्राम के रहने वाले हैं और आदिवासी समाज के नेता हैं। आदिवासियों के उत्थान और शोषण को बचाने के लिये बड़ी-बड़ी बाते करतें हैं। अपने ही गृह ग्राम में आदिवासी बैगा को भूमिहीन होने से नहीं बचा पाये हैं। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचों से बड़ी-बड़ी घोषणाएं व आदिवासी के हितों की बातें करते हैं। प्रदेश में पेसा एक्ट भी लागू है। योजना बना रखी है कि किसी भी आदिवासी की भूमि एक इंच भी इधर से उधर नहीं कर सकता और जो पहले से भूमि पर काबिज हैं उन्हें सरकार पट्टा दिलाएगी। पर इस सरकार के प्रशासन में बैठे नुमाइंदे तो आदिवासियों की भूमि ही हड़पने पर आमादा हैं। नियम के तहत कोई भी आदिवासी वन भूमि पर काबिज है तो उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा वितरित किए जाने का प्रावधान है। पर घुघरी निवासी बसोरीलाल का तो मामला ही उल्टा है। उसे प्रशासन-शासन से सहयोग मिलना तो दूर, भूमिहीन कर उसे उसी की जमीन से बेदखल किया जा रहा है। गरीब आदिवासी बसोरीलाल बैगा को भूमिहीन बनाने सरपंच व तहसीलदार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। आदिवासी बैगा बसोरीलाल न्याय और पट्टा पाने के लिये जगह-जगह गुहार लगाते हुए यहां-वहां भटकने को मजबूर हैं। 

इनका कहना है...

       मेरी कृषि भूमि में पंचायत व तहसीलदार के द्वारा बगैर पूर्व सूचना के उपजाऊ जमीन में 50-60 ट्राली मुरम डालकर उक्त भूमि को बंजर बनाया जा रहा है, जबकि मैंने प्रशासन और शासन सहित विधायक से उक्त जमीन का पट्टा देने की गुहार कई बार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

                         बसोरी लाल बैगा,

                      ग्राम पंचायत घुघरी मंडला


No comments:

Post a Comment