आदिवासियो की भूमि में जामगाव का दबंग दिनेश किरार ने किया कब्जा खेत में जाने पर करता है। हमला, पूर्व पटवारी से साठ गांठ कर शासकीय रिकार्ड में की छेड़ छाड़... - revanchal times new

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निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

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Saturday, June 3, 2023

आदिवासियो की भूमि में जामगाव का दबंग दिनेश किरार ने किया कब्जा खेत में जाने पर करता है। हमला, पूर्व पटवारी से साठ गांठ कर शासकीय रिकार्ड में की छेड़ छाड़...





रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में हर नियम क़ानून इस जिले में शिथिल हो जाते है जिला प्रशासन हो या प्रदेश के मुखिया इस जिले में किसी का आदेश नही लागू होता केवल वह आदेश चलता जो इस जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी चाहते है या उन्हें जी मंजूर होता है और वो हर काम हो सकता जो लीगल हो या अनलीगल हो सब संभव है।

           वही मंच से प्रदेश के मुखिया कहते है। की कोई गुंडा बदमाश नही रहने दुगा मगर उनकी बाते सिर्फ हवा में साबित हो रही है। और शासन सत्ता दरकिनार करते हुऐ मंडला जिले के गरीब आदिवासियो की जमीन को गांव के दबंग कब्जा कर रहे है। और कोई बात होती है। तो दंगा फसदा करने की खुली धमकी दी जाती है। जिसके कारण मंडला जिले   गरीब आदिवासियो को धनवान और पैसे वाले लोग डरा धमका कर करोड़ों की जमीन हड़प चूके कुछ मामले न्यायलय में गतिशील है। मगर  शासन प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बना हुआ है। ऐसे अनेक मामले मंडला जिले में है। मगर उनकी सुनने वाला कोई नही है। मगर धीरे धीरे जागरूकता के कारण मामले उजागर हो रहे है।

क्या है। मामला...

ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जिसमें ग्राम पंचायत जामगांव के निवासी दिनेश किरार के द्वारा जमीन चेतराम पावले ने एक वर्ष के लिऐ ठेके मे दिया गया था। जिसका खसरा क्रमांक 868 रकबा 2.4100 है। वही उक्त भूमि नहर से लगी और सिंचाई उक्त है। दिनेश किरार कुछ दिन के पश्चात जमीन को ठेका छोड़ने के लिऐ कहा गया। मगर दिनेश किरार की। मंशा और कुछ थी। मगर उसके  द्वारा पटवारी के साथ मिलकर शासकीय दस्तावेजों में छेड़ छाड़ की गई है। नक्शा में लाल पेन एक लाइन खींचवा दी गई है। जिसके कारण एक विवाद खड़ा कर दिया गया है। वही जानकार कहते है। दिनेश किरार इतना जालिम और गुंडा है। की किसी प्रकार की घटना करने को तैयार रहता है। और ग्राम में अन्य लोगों की जमीन भी दबा कर रखा है। और विवाद होने कारण गरीब आदिवासी परिवार डरता और  जिसके कारण ग्रामवासी भी डरते है। की कोई घटना ना कर दे । जिसके कारण दिनेश किरार का कोई विरोध नहीं करता है। जिसके कारण उसके हौसले बुंलद होते जा रहे और वह आदिवासियो की जमीन लगातार कब्जा कर रहा है। और प्रशासन सिर्फ मुंह देख रहा है। देखना है। क्या दिनेश किरार के कब्जे से गरीब आदिवासी की जमीन मुक्त होगी या फिर कोई विवाद खड़ा होगा। 


इनका कहना है...

मेरे द्वारा दिनेश किरार को जमीन ठेका में दिया गया था। जब मेरे द्वारा जमीन छोड़ने का समय आया तो विवाद करने लगा और मारपीट करने की धमकी देता है। 

                                चेतराम पावले

                              भूस्वामी जामगाव

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