ग्राम पंचायतों में लगे रहे है फर्जी बिल पंचायतों में धुंधले बिलों के जरिए बढ़ा भ्रष्टाचार ग़बन पोर्टल में लग हो रहे फर्जी बिल और हो रहे है भुगतान... - revanchal times new

revanchal times new

निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

Breaking

Saturday, June 10, 2023

ग्राम पंचायतों में लगे रहे है फर्जी बिल पंचायतों में धुंधले बिलों के जरिए बढ़ा भ्रष्टाचार ग़बन पोर्टल में लग हो रहे फर्जी बिल और हो रहे है भुगतान...



रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में आज भ्रष्टाचार ग़बन चरम सीमा में पहुँच चुका है और जिन्हें रोकने की जबाबदारी दी गई है वह भी पेसो की चमक के आगे नतमस्तक हो चुके है और उन्हें भ्रष्टाचार ग़बन करने की आज़ादी दे दी गई है।



         देश और प्रदेश की सरकार चाह रही है कि सब कुछ पारदर्शिता हो जो हो रहा वह ऑनलाईन और पोर्टल के जरिये सब देख सके कि क्या कार्य हुए कितना कार्य हुआ बिल किसका लगा कौन सही या गलत  सब दिखाई पड़े की सही गलत क्या पर आज सरकारी पोर्टल में खुलके भ्रष्टाचार किया जा रहा है फर्जी बिल लगा रहे है ऐसे ऐसे बिल लग रहे है सीमेंट के दुकान से स्टेशनरी ख़रीदी जा रही है और किराना दुकान से रेत लोहा खरीदने के बिल पोट्रल में लग रहे और भुगतान हो रहे आज कोई इन बिलों की रेख देख नही कि जा रही और इन फर्जी बिलों से बेजा फर्जी भुगतान लिया जा रहा है कुछ बिल ऐसा भी है जो पोर्टल में बिल लगे है वह पड़ने में भी नही आ रहे है।



      वही हाल जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों के जहाँ पर फर्जी बिल लगाकर भुगतान किया जा रहा जिसकी समय समय पर शिकायतें होती भी है पर उन शिकायत की फाइल धूल खाती रहती है। वही विकास खण्ड मवई, भुआ बिछिया, निवास, नारायणगंज जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली डूब क्षेत्रों की पंचायतों में धुंधले बिलों को पोर्टल पर अपलोड करना आम बात हो गई है , पंचायत के कर्मचारी द्वारा हजारों के बिलों को धुंधला कर के अपलोड कर आम जनता को भ्रमित किया जा रहा है, परंतु जनपद प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है।



भ्रष्टाचार छिपाने का प्रयास, आखिर कब तक जिले की जनपद पंचायत नारायणगंज अंतर्गत डूब क्षेत्रों की पंचायतों में पंचायत दर्पण के बिल को पूरी तरह धुंधला देखा गया है, कोई भी व्यक्ति पंचायत दर्पण के बिलों का अनुमान नहीं लगा सकता है,सचिव जानबूझ कर धुंधला बिल लगाते है, जिससे किस फर्म में किस सामग्री का बिल लगा है पता न चल पाये,सूत्रों की माने तो ग्रामवासी अगर सचिव से पूछते हैं कि किस सामग्री का बिल लगा है तो सचिव जवाब देते है नेट से निकाल लीजिये, जब पंचायत दर्पण पर लोग बाग देखने पहुंचते है तो वहां बिल ही धुंधला मिलता है, कुल मिलाकर भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए यह खेल खेला जाता है।


आला अधिकारी मौन क्यों , क्या है मिलीभगत 

प्रशासन को चुनौती देते हुये ‌डूब क्षेत्रों की ग्राम पंचायतें धुंधला बिल लगाती हैं , धुंधले बिल से यह जाहिर नहीं हो पाता है, कि बिल सही लगा है या गलत आखिर उपर बैठे उच्चाधिकारी इसको रोक क्यों नहीं पा रहे हैं, यह भी एक बडा सवाल है ,‌ कि कहीं उच्चाधिकारियों की रजामंदी से यह सब तो नहीं हो रहा है, शायद इसी वजह से उच्चधिकारी मौन रहते हैं, उपर बैठे अधिकारी पंचायतों के कर्मचारियों के काले कारनामों या धुंधले बिल की कभी जांच तक नहीं करते है,कुल मिलाकर कार्यवाही न होना अधिकारियों के कमीशन की तरफ इशारा करता है


बिलों में हो रही हजारों की हेरा फेरी, जिम्मेदार है मौन

पंचायतों में लगने वाले बिलों में हजारों रुपए की हेरा फेरी की जा रही है परंतु जिला पंचायत प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है , जिला पंचायत के प्रशासनिक अधिकारी ग्राम पंचायतों में सिर्फ नाम मात्र की जांच का हवाला देकर चुप्पी साध लेते हैं

No comments:

Post a Comment