नवीन चेहरों से बदलेगी पानसेमल विधानसभा की तस्वीर - revanchal times new

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Wednesday, June 7, 2023

नवीन चेहरों से बदलेगी पानसेमल विधानसभा की तस्वीर



रेवांचल टाईम्स - जिले की आदिवासी बाहुल्य पानसेमल विधानसभा में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। बड़वानी जिले में विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर जहां प्रमुख दल सक्रिय हो गए हैं। वहीं दोनों प्रमुख दलों में नए चेहरे दस्तक देतें दिखाई दे रहे है, जिन्हें आम नागरिकों का समर्थन भी मिल रहा है। इस विधानसभा के मतदाताओं की चिंता कारण स्थायी नैतृत्व का अभाव रहा है। स्थायी नैतृत्व के अभाव के चलते पानसेमल विधानसभा क्षेत्र विकास की उन सौगातों से दूर ही रहा जो ऊर्जावान और सक्रिय नैतृत्व के बल पर प्राप्त हो सकती थी। इस विधानसभा क्षेत्र में बडे उद्योगों का अभाव है। विधानसभा में अनुसूचित जनजाति वर्ग का बाहुल्य है। अधिकांश लोग खेती और मजदूरी से अपना जीवन यापन करते है। रोजगार की समस्या यहां भी सर उठाए खड़ी है। मजदूरों का पलायन क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में से एक है। इस विधानसभा के तीन बड़े शहर है। पानसेमल, खेतिया और निवाली इनमें खेतिया में जिनिग प्रेसिंग उधोग स्थित है। सीमावर्ती शहर होने से व्यवसाय के साथ यहां अपराध भी फलते-फूलते रहें हैं, अवैध शराब का धंधा यहां जोरो पर है। एक राज्य से दूसरे राज्य अवैध शराब के वाहन एमपी के खेतिया से ही महाराष्ट्र के पार खेतिया पहुँचतें है। कपास उधोग पर मंडी टेक्स की मार है। जिसके चलते व्यवसायी खुद अपने उधोग महाराष्ट्र शिफ्ट कर रहे है। इस वजह से मजदूरों का पलायन बड़ी समस्या बन गया है। व्यवसायी मुकेश जैन खेतिया के अनुसार मंडी टेक्स के कारण कपास व्यवसाय प्रभावित हुआ है। एमपी की तुलना में महाराष्ट्र राज्य में मंडी टेक्स भी कम है और व्यापार के अनुकूल माहौल भी है। खेतिया के व्यवसायी महाराष्ट्र राज्य की सीमा में व्यवसाय करना अधिक उपयुक्त मान रहे है। पानसेमल विधानसभा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मामले में भी बेहद पिछड़ा है। खेती मुख्य व्यवसाय है। किन्तु सिंचाई के साधनों पर किसी भी सरकार और प्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया। ग्राम मेलन के कृष्णा चौधरी ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया ग्राम मेलन में जीवनदायिनी उमरी नदी है। जो तीन नदियों का संगम है। इस पर डेम बनाने की मांग बरसो से की जा रही है। किंतु भाजपा-काँग्रेस दोनों दलों की सरकार इस नदी पर एक डेम का निर्माण नही करा पाएं। पानसेमल क्षेत्र में अनुभाग होने से सरकारी कार्यालयों का मुख्यकेन्द्र है। निवाली इस क्षेत्र में आदिवासी शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। यहां स्वर्गीय कांता बहन त्यागी द्वारा स्थापित बालिका कस्तूरबा आश्रम विधालय एव दिव्यांग आश्रम स्थित है। इस आश्रम से क्षेत्र में आदिवासी खासकर बालिका शिक्षा को बल मिल सका है। सामाजिक कार्यकर्ता राजा शर्मा के अनुसार कांता बहन त्यागी द्वारा बालिका शिक्षा के क्षेत्र में बरसों पूर्व किये प्रयास अब निमाड़ का नाम रोशन कर रहे है। निवाली के कस्तूरबा आश्रम और विधालय ने बालिका शिक्षा की जो नींव रखी थी, इस नींव से निवाली ही नही सम्पूर्ण बड़वानी जिले में बालिका शिक्षा का प्रसार हो पाया है। निवाली प्रारंभिक शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र है। क्षेत्र में उधोग और रोजगार मूलक शिक्षा का अभाव अब भी है। किसी भी सरकार ने पानसेमल क्षेत्र में उधोग और रोजगार पर ध्यान नही दिया। वर्ष 2023 में क्षेत्र के मतदाताओं का पुराने चेहरों से मोह भंग होता दिख रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक कांग्रेस की चंद्रभागा किराड़े है। जिन्होंने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के दीवानसिंह पटेल को 25 हजार से अधिक मतों से पराजित कर लोकसभा में जीत का रिकार्ड दर्ज किया था। किंतु इस रिकॉर्ड विजयी के बाद भी सरकार नहीं होने के कारण क्षेत्र की समस्या को पुरजोर ढंग से नहीं उठा पाने के परिणामस्वरूप चंद्रभागा किराड़े के विरुद्ध विरोध के स्वर सुनाई दे रहे है। भाजपा के दीवानसिंह भी बड़ी हार के बाद भाजपा का चेहरा बन पाए इसकी उम्मीद कम ही है। उम्मीद कन्हैयालाल सिसौदिया की भी नहीं के बराबर है, वें भाग्य आजमा चुके है। दीवानसिंह पटेल पूर्व में इस विधानसभा का नैतृत्व कर चुके है। इस विधानसभा का नैतृत्व तो मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री आदिवासी नेता बाला बच्चन भी कर चुके है, किन्तु क्षेत्र का समुचित विकास अब तक नहीं हो सका है। इन हालातों में जनता के बीच से नवीन चेहरों को क्षेत्र की बागडौर सौपें जाने की आवाज सुनाई दे रही है। इन चेहरों में कौन आगे है, कौन दमदारी से हाईकमान तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाया है। क्षेत्र में इन नए चेहरों की स्थिति क्या है। इन सभी की पड़ताल की तो जनता से ज्ञात हुआ की नए चेहरों पर जनता की निगाह है, उनमें काँग्रेस के प्रदीप जाधव, प्रकाश खेड़कर, प्रोपेसर जितेश्वर खरतें, गजानन्द ब्रह्मणे, राजेश कनोजे, रमेश चौहान की चर्चा जोरों पर है। भारतीय जनता पार्टी से भी युवा चेहरों की मांग है, जिनमे श्याम बरडे, प्रकाश सोलंकी, विकास डावर, जुलाल वसावे के नाम जनता के मध्य में भी सुनाई दे रहें है। नए चेहरों में भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में पहिचान रखने वाले श्याम बरडे ग्राम रामपुरा पोस्ट जलगोन के निवासी होकर राजनीति में सक्रिय युवा है। सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर भाजपा के लिए तन-मन से समर्पित है। पूर्व में अपनी पत्नी को जिला पंचायत सदस्य बनाने में सफल हुए थै। एमए हिंदी साहित्य तक शिक्षित श्याम भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री भी रह चुके है। उनके परिवार का भाजपा जनसंघ एव संघ से पुराना जुड़ाव है। समाज मे अच्छी पकड़ रखने वाले श्याम क्षेत्र में युवा चेहरों में काफी चर्चित है। पानसेमल विधानसभा क्षेत्र से प्रोपेसर प्रकाश सोलंकी की उम्मीदवारी के चर्चे भी विधानसभा के लोगो की जबान पर है। निवाली तहसील के ग्राम चाटली के निवासी प्रकाश छात्र जीवन से संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे है। उनकी पत्नी भी पानसेमल कालेज में हिंदी की प्राध्यापक है। आदिवासी समाज से उनका गहरा जुड़ाव है। आदिवासी एकता परिषद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके है। सोलंकी को संघ से जुड़ाव का लाभ मिलने की भी चर्चा है। विधानसभा में एक और युवा और शिक्षित चेहरा विकास अर्जुन डावर की भी बहुत चर्चा है। ग्राम मंसूर के निवासी है। निवाली जनपद के अध्यक्ष रह चुके है। अभी कुछ माह पूर्व ही काँग्रेस से भाजपा में शामिल हुए है। सामाजिक और जातीय गणित इस युवा के अनुकूल है। भाजपा से टिकिट की दौड़ में कन्हैयालाल सिसौदिया का  नाम भी चर्चा में है। वें रिटायर शिक्षक है। विधानसभा में भाजपा की और से पूर्व में भाग्य आजमा चुके है किंतु सफल नही हो सके। चर्चा में जुलाल वसावे पानसेमल का नाम भी है। भाजपा की तरह ही कांग्रेस में अनेकों उम्मीदवार टिकिट की दौड़ में शामिल है। इनमें वर्तमान विधायक चंद्रभागा किराड़े का नाम इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि वर्ष 2018 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को 25 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। यह अंतर खरगोन-बड़वानी लोकसभा की 10 विधानसभाओं में सबसे अधिक था। इसके बावजूद चंद्रभागा के टिकिट पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे है। इस असमंजस की स्थिति से युवा उम्मीदवारों को बल मिलता है। काँग्रेस से युवा चेहरों में प्रकाश धुरसिंह खेड़कर का नाम विधानसभा के मतदाताओं की जुबान है। ग्राम मनकुई पानसेमल के निवासी प्रकाश का परिवार पीढ़ियों से कांग्रेस समर्थित बना हुआ है। अब प्रकाश के रूप में पार्टी से उम्मीदवारी की मांग की जा रही है। प्रकाश एमए एलएलबी है। 36 वर्षीय यह युवा चेहरा क्षेत्र की जनता की पसंद बना हुआ है। प्रकाश के पिता श्री धुरसिंह खेड़कर भी टिकिट की मांग कर चुके है। इस बार  भी पिता-पुत्र दोनों मांग कर रहे है। इस परिवार का बरसो से क्षेत्र में प्रभाव बना हुआ है।  इसी क्रम में निवाली के प्रदीप जाधव का नाम भी जनचर्चा का विषय बना हुआ है। बेहद मृदुभाषी और शालीन स्वभाव के प्रदीप ने अध्यापक के पद से त्याग-पत्र दिया फिर ग्राम पंचायत निवाली के सरपंच और उप सरपंच के चुनाव में विजयी हुए। समाज शास्त्र से मास्टर डिग्री प्राप्त प्रदीप ब्लाक कांग्रेस निवाली के अध्यक्ष एवं अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष भी रह चुके है। आमजन के साथ सरकारी महकमे में अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले 51 वर्षीय प्रदीप कांग्रेस के मजबूत नेता के रूप में भी चर्चित है। पानसेमल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की और से युवा शिक्षित एवं सामाजिक पकड़ रखने वाले 41 वर्षीय प्रोपेसर जितेश्वर खरतें सेंधवा महाविधालय में समाजशास्त्र के सहायक प्राध्यापक है। इस विषय मे पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की है। इस लिहाज से समाज की समझ उनमें अधिक है। वें छात्र जीवन मे भारतीय राष्ट्रीय छात्र सगठन के पदाधिकारी भी रहें है। परिवार का बरसो से कांग्रेस से जुड़ाव रहा है। ग्राम घोडलिया पानी मे खरतें  परिवार की सदस्य जिला जनपद सदस्य में सबसे अधिक मतों से विजय रही, वही इनकी बहु निवाली बुजुर्ग से कांग्रेस की पार्षद के रूप में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। जितेश्वर कि शालीनता और समाज से जुड़ाव कांग्रेस हाईकमान के नॉलेज में है। जिसका लाभ मिलने की पूर्ण सम्भावना है। कांग्रेस पार्टी की और से दावेदारी गजानन्द ब्रह्मणे के द्वारा भी की जा रही है। क्षेत्र के आदिवासी वर्ग में गजानन्द ब्रह्मणे का नाम चर्चा में है वें आदिवासी एकता परिषद मध्यप्रदेश के वर्तमान अध्यक्ष है, आदिवासी मुक्ति संघठन के महासचिव समाज की सेवा के लिए पशु कल्याण अधिकारी के पद से त्याग-पत्र और आदिवासी समाज के कल्याण में लगे हुए है। जन संगठन से राजनीति की और आना चाहते है। जनसंगठन से राजनीति में आने के चाह तो राजेश कनोजे कुंजरी भी रखते है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में आदिवासी वेशभूषा में शामिल होने पर इन्हें गुरुजी के पद से निलंबित कर दिया गया था। आदिवासी समाज की सेवा में लगे राजेश सामाजिक सेवा में रत एक ऊर्जावान चेहरा है। काँग्रेस की और से रमेश चौहान का नाम भी चर्चा में है। जिन्होंने जिला जनपद सदस्य के चुनाव में हजारों मतों से विजयी हासिल की है।  बड़वानी जिले की इस आदिवासी बाहुल्य सीट पर भाजपा कांग्रेस दोनों की नजर है। राजपुर विधानसभा से अलग होकर 2008 में आस्तित्व में आई इस विधानसभा का नैतृत्व प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति के आदिवासी चेहरे एमपी के पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन भी कर चुके है। वर्तमान में महिलानेत्री चंद्रभागा इस विधानसभा की विधायक है। क्षेत्र के नागरिकों में प्रगति और विकास की चाह है। जनसामान्य नए चेहरों की तरफ आशा की दृष्टि से देख रही है। नए चेहरे कौन होंगे यह राजनीतिक दलों को ही तय करना है। जनता नवीन चेहरों की मांग कर रही है। ऐसे शिक्षित चेहरे जो इस आदिवासी विधान सभा से जुड़ी शिक्षा, चिकित्सा, सड़क पानी बिजली की बुनियादी सुविधाओं के अलावा उधोग व्यवसाय की समस्या का निराकरण कर सके। पानसेमल विधानसभा क्षेत्र की आवाज बुलंद कर सके।

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                           नरेंद्र तिवारी पत्रकार

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