दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नागपुर के देवलापार स्थित गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र से पांच दिवसीय पंचगव्य एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने का प्रशिक्षण लेकर वापस हुए मंडला के जागरूक किसान अब भोजन,हवा,पानी और धरती को विषाक्त रसायन मुक्त बनाने पंचगव्य और जैविक खेती के अनगिनत फायदों को जनजन तक पहुंचाएंगे।प्रशिक्षित किसानों की ओर से पी.डी.खैरवार ने जानकारी दी है,कि अब प्रशिक्षित किसान जिले ही नहीं बल्कि दूर-दूर के परिवारों को बताएंगे कि बेतरतीब रसायन खाद एवं कीटनाशक पदार्थों के उपयोग से जानलेवा नुकसान कैसे होता है।इसको पूरी तरह खत्म करने पंचगव्य और जैविक खेती की आवश्यकता को बारीकी से बताएंगे।साथ ही स्वस्थ जीवन यापन के लिए प्राकृतिक रूप से दिनचर्या बनाने की समझाइश भी करेंगे।आपने यह भी बताया है,कि 23 जून से 27 जून तक चले इस पांच दिवसीय कार्यशाला के दौरान गो आधारित कामधेनु कृषि तंत्र,ग्राम रोजगार,पंचगव्य चिकित्सा,भारतीय गोवंश की महत्ता,गौशाला संचालन आधारित उद्यमी प्रशिक्षण शिविर में गोमूत्र गोमय गोदुग्ध गोदधि गोघृत,इन पंचगव्यों द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण एवं उपयोगिता को प्रायोगिक तरीके से बताया गया है। इस प्रशिक्षण में केंचुआ खाद अणुखाद और तमाम प्रकार की खाद्य तथा कीट नियंत्रक निर्मित और कामधेनु कृषि तंत्र का प्रशिक्षण भी दिया गया है।निवास ब्लाक से प्रशिक्षित किसान सहजान परस्ते ने बताया है,कि मंडला जिले के सभी क्षेत्रों से जागरूक किसान इस पांच दिवसीय कार्यशाला में शामिल होकर देसी गोमूत्र गोबर दूध,घी और छाछ जैसी कीमती वस्तुओं से सुबह बिस्तर छोड़ने से लेकर रात्रि में विश्राम पर जाने तक उपयोग में आने वाली भोजन सहायक डेली उपयोगी तमाम सामग्रियां जैसे गो अर्क, जैविक अनाज,गोधनवटी,गोमयलेप साबुन,गोशैम्पू,गोदंतमंजन,भोजन के वैकल्पिक रूप को पूरा करने वाले गोउत्पादों,गोबर,गोमूत्र और वनस्पतियों से तैयार किए जाने वाले कंपोस्ट खाद कचरा खाद एवं गोसींग से खाद बनाकर अत्यंत कम लागत में बहुत ज्यादा फायदा देने वाली खेती करने का तरीका, फसलों एवं वातावरण को नुक्सान पहुंचाने वाले कीड़ो़ को रोकने कीटनियंत्रक दवाइयां,गोमच्छरमार क्वाइल,गोधूप,गोअगरबत्ती,गोमूर्ति बनाने से लेकर गोमूत्र वह गोबर संकलन की विधि,पानी का उपयोग,सभी प्रकार के वनस्पतियों का औषधीय प्रयोग,बंजर भूमि को स्थाई रूप से उपजाऊ बनाने जैसे गुर मुख्य रूप से इस कार्यशाला में किसानों ने सीखा है। कार्यशाला में मवई से शामिल हुए किसान अंतराम धुर्वे ने बताया है,कि प्रशिक्षण के दौरान यह सारी की सारी बेशकीमती सामग्रियां सिर्फ और सिर्फ बिना दूध देने वाली देसी गायों से तैयार कर दिन प्रतिदिन घटते जा रहे देशी गोवंश पालन को बढ़ावा देने और बूचड़खानों में कटने के लिए तस्करी होने से गोधन को बचाए रखकर बिना दूध देने वाली गायों से दुधारू गायों से भी 100 गुना ज्यादा फायदा लेने की कला इस कार्यशाला में बताई गई है।बताया गया है कि, पंचगव्य से भूजल स्तर को कम समय में बढ़ाते हुए दिन प्रतिदिन गिरते जा रहे जलस्तर को रोके जाने की समझ भी इस कार्यशाला से बढ़ी है।
प्रशिक्षक सुनील मानसिंहतक,रामजी मदनकर,महेश जी बोकड़े,वैद्या नंदनी ताई भोजराज,वैद्या श्यामला ताई रेखड़े,डॉक्टर संजय एकापुरे सनत कुमार गुप्ता एवं हितेंद्र चोटकर के द्वारा अलग अलग विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण केन्द्र से अंकित जी ने प्रारंभ से अंत तक कार्यशाला की देखरेख की।तमिलनाडु, हरियाणा,महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के किसानों ने बड़ी संख्या में प्रशिक्षण का लाभ लिया।
जनजागृति सामाजिक विकास संस्थान मंडला की ओर से कार्यशाला में पहुंचे मंडला जिले के अलग अलग ब्लाकों से बारह किसानों ने अब मंडला सहित बड़े क्षेत्र में भी गोवंश वृद्धि,पंचगव्य से शुद्ध प्राण वायु, शुद्ध पानी,शुद्ध भूमि को बढ़ावा देकर कैमिकल्स विषाक्त पर्यावरण को खत्म करने सजीव आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने प्रयास करने काम करने की बात की गई है।
मंडला जिले के अलग अलग ब्लाकों से सहजान परस्ते,पी.डी.खैरवार,अंतराम धुर्वे, राजेश नरते,नवदीप चीचाम,चंद्रकिशोर चीचाम,संदीप धार्वैया,कन्हैंया मोंगरे, राहुल धुर्वे,संजय मरावी,हरलाल कन्हरिया,प्रेम सिंह धुर्वे उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment