प्राचीन काल में आयुर्वेद ही किसी बीमारी करने का एक मात्र जरिया था. जिससे बड़ी से बड़ी बीमारी का संपूर्ण इलाज हो जाता था. आज भी बहुत से लोग आयुर्वेद पर ही भरोसा करते हैं क्योंकि आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों से लाइलाज बीमारियों तक का इलाज हो सकता है, हालांकि इसमें थोड़ा वक्त लगता है. लेकिन ये ऐलोपैथी पद्धति के इजाल से आज भी बेहतर माना जाता है. आयुर्वेद में ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियां बताई गई हैं जिन्हें हर बीमारी के इलाज के लिए मुफीद माना जाता है. जिनसे न कोई साइड इफेक्ट होता है और इंसान पूरी तरह से ठीक हो जाता है.
अडूसा
4-5 पत्तों को तुलसी के कुछ पत्तों, गिलोय के छोटे टुकड़े व लेमनग्रास के पत्तों के साथ कूटकर एक गिलास पानी में उबालें. जब यह मात्रा आधी रह जाए, तो छानकर सुबह-शाम पिएं. यह खांसी-जुकाम दूर करने की अचूक दवा है.
गिलोय
इम्यून सिस्टम मजबूत करती है. डेंगू व स्वाइन फ्लू जैसे मौसमी रोगों, डायबिटीज, घुटनों में दर्द, मोटापा और खुजली की समस्या में आराम पहुंचाती है. इसके तने का 4-5 इंच का टुकड़ा लेकर कूट लें और एक गिलास पानी में उबालें. पानी की मात्रा आधी रहने पर छानकर पीने से लाभ होगा.
ग्वारपाठा
जलने पर इसका इस्तेमाल जेल की तरह लगाने से छाले नहीं पड़ते. चेहरे पर इसका गूदा लगाने से मुंहासे दूर होते हैं. इसके गूदे में नींबू का रस मिलाकर बालों पर लगाएं. एक घंटे बाद सिर धोने से रूसी की समस्या दूर होकर बाल मजबूत होते हैं. यह त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं में लाभकारी होता है.
सतावरी
इसकी जड़ को काटकर कूट लें. जड़ के एक चम्मच रस को शहद के साथ लें. यह खून की कमी और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी है.
अमरबेल वनौषधि
अमरबेल को पीसकर इसके लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है. दिन में तीन बार इसका काढ़ा शहद के साथ बराबर मात्रा में इस्तेमाल करने से रक्त विकार दूर होते हैं. लिवर की सिकुड़न को दूर करने में अमरबेल का काढ़ा 20-25 मिलीग्राम दिन में 2 बार कुछ हफ्तों तक पीना चाहिए. करीब 25 ग्राम अमरबेल को गाय के दूध से बनी छाछ के साथ पीसकर दिन में दो बार खाली पेट तीन दिन तक लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है. यह त्वचा, रक्त विकार और लिवर के रोगों में लाभदायक है.
सतावरी
इसकी जड़ को काटकर कूट लें. जड़ के एक चम्मच रस को शहद के साथ लें. यह खून की कमी और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी है.
अमरबेल वनौषधि
अमरबेल को पीसकर इसके लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है. दिन में तीन बार इसका काढ़ा शहद के साथ बराबर मात्रा में इस्तेमाल करने से रक्त विकार दूर होते हैं. लिवर की सिकुड़न को दूर करने में अमरबेल का काढ़ा 20-25 मिलीग्राम दिन में 2 बार कुछ हफ्तों तक पीना चाहिए. करीब 25 ग्राम अमरबेल को गाय के दूध से बनी छाछ के साथ पीसकर दिन में दो बार खाली पेट तीन दिन तक लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है. यह त्वचा, रक्त विकार और लिवर के रोगों में लाभदायक है.
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इम्यून सिस्टम मजबूत करती है. डेंगू व स्वाइन फ्लू जैसे मौसमी रोगों, डायबिटीज, घुटनों में दर्द, मोटापा और खुजली की समस्या में आराम पहुंचाती है. इसके तने का 4-5 इंच का टुकड़ा लेकर कूट लें और एक गिलास पानी में उबालें. पानी की मात्रा आधी रहने पर छानकर पीने से लाभ होगा.
Thursday, May 25, 2023

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इन जड़ी-बूटियों में छिपा है हर बीमारी का इलाज! इंसान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है आयुर्वेद
इन जड़ी-बूटियों में छिपा है हर बीमारी का इलाज! इंसान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है आयुर्वेद
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