मण्डला 17 मई 2023
प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखंड नैनपुर के ग्राम पंचायत
इन्द्री में गोड़ी पेंटिंग को बढावा देने एवं आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से
जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से आजीविका उद्यम एवं
विकास कार्यक्रम अंतर्गत ग्रामीण विकास एवं महिला उत्थान संस्थान के द्वारा
स्व-सहायता समूह की 30 महिलाओं को गोड़ी चित्रकारी एवं कढाई-बुनाई का प्रशिक्षण
द्वितीय बैच का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में नाबार्ड से जिला विकास प्रबंधक
देवब्रत पाल, महात्मा गांधी नेशनल फैलो कृति सिंघई, ग्राम पंचायत सचिव सालगराम पटेल, आजीविका परियोजना नैनपुर सीआरपी मथुरा धुर्वे, संस्था मुख्य, क्षेत्रीय समन्वयक मनीष
सिंगौर, कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंगौर एवं मास्टर ट्रेनर अनुप परते
द्वारा मां सरस्वती के तैल्य चित्र पर पूजन-अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया
गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये डीडीएम द्वारा बताया कि
गौड़ी चित्रकारी गौड़ राजाओं की विरासत रही है। गौड़ी चित्रकारी में विभिन्न शैलियों
का समावेस कर बारीक डिजाईन से प्रकृति को समीप रखकर चित्र का चित्रण किया जाता है।
महात्मा गांधी नेशलन फैलो कृति सिंघई ने कहा कि महिलाओं द्वारा जो भी चित्रकारी
बनाई जा रही है उसमें सफाई का विशेष ध्यान रखें एवं लगातार घर में इसका अभ्यास
करें। उन्होंने दीदियों द्वारा बने सामग्री को बाजार में किस प्रकार से बेचा जा
सकता है इसके बारे में भी जानकारी दी। साथ ही साथ गोड़ी चित्रकारी ऑनलाईन
इंस्ट्राग्राम के माध्यम से भी बेची जा रही है उसके बारे में भी बताया गया।
नैनपुर विकासखंड के इंद्री क्षेत्र की आदिवासी बहनें
स्व-सहायता समूह से जुड़कर छोटी-छोटी बचत कर रही हैं एवं नाबार्ड के मार्गदर्शन में
गौड़ी चित्रकारी एवं कढ़ाई-बुनाई का प्रशिक्षण प्रारम्भ किया गया है जो सराहनीय है।
इस कार्य हेतु जिला प्रशासन एवं एम.जी.एन.एफ. कृति सिंघई द्वारा लगातार फॉलोअप कर
गोड़ी चित्रकारी के बने हुये सामानों को विभिन्न मंचों एवं इंस्टाग्राम के माध्यम
से विक्रय कराने में सहयोग किया जा रहा है, इससे लोगों की आय में
वृद्धि होगी और क्षेत्र से पलायन रूकेगा। विगत प्रथम बैच के प्रशिक्षण के समापन के
बाद द्वितीय बैच का प्रशिक्षण का प्रारंभ किया गया है। प्रथम बैच की दीदियों के द्वारा गौड़ी चित्रकारी
बनाई जा रही है जिसको प्रदर्शनी स्थलों में, कान्हा रिसोर्ट, एम.पी.टी इन्द्री में निर्मित सामग्री को रखा गया जिससे
बेहतर आमदनी प्राप्त हो रही है। इस कला एवं आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु
अगामी समय में 60 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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