जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा कर पहुँची बेंटिलेटर में, सीएमएचओ की लापरवाही से स्वास्थ्य व्यवस्था हुई जर्जर जर्जर ... - revanchal times new

revanchal times new

निष्पक्ष एवं सत्य का प्रवर्तक

Breaking

🙏जय माता दी🙏 शुभारंभ शुभारंभ माँ नर्मदा की कृपा और बुजुर्गों के आशीर्वाद से माँ रेवा पब्लिकेशन एन्ड प्रिंटर्स का हुआ शुभारंभ समाचार पत्रों की प्रिंटिग हेतु संपर्क करें मोबाईल न- 0761- 4112552/07415685293, 09340553112,/ 9425852299/08770497044 पता:- 68/1 लक्ष्मीपुर विवेकानंद वार्ड मुस्कान प्लाजा के पीछे एम आर 4 रोड़ उखरी जबलपुर (म.प्र.)

Friday, May 5, 2023

जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा कर पहुँची बेंटिलेटर में, सीएमएचओ की लापरवाही से स्वास्थ्य व्यवस्था हुई जर्जर जर्जर ...



रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की खुलेआम उड़ाई जा रही है धज्जियाँ जिम्मेदार है मौन जहाँ एक तरफ शासन के भ्रष्टाचार को रोकने तथा आमजनता के बीच पारदर्शिता की कड़ी को मजबूती  के लिए बनाया गया है ताकि सरकार की योजनाओं का बेहतर लाभ एवं योजनाओं से पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा सके,परन्तु ऐंसा नहीं है जहां जिम्मेदारों ने शासन की योजनाओं को अपनी निजी सम्पत्ति तथा शासकीय वित्तीय व्यवस्था को पुस्तैनी जायदाद बना रखा है। मामला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मण्डला का है जिन्होंने लापरवाहियों तथा भ्रष्टाचार के खेल में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को जर्जर कर दिया है।यह कोई कहने और सुनने की बात नहीं कि स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की रैंकिंग क्या है,यह स्पष्ट प्रमाण साक्ष्य के साथ जुटाए गए हैं जिसमें भ्रष्टाचार के खेल का मुखिया स्वयं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्रीनाथ सिंह बना हुआ है और अपने नुमाइंदों को संरक्षण देने तथा उनके करतूतों पर पर्दा डालने की कीमत बसूल करने के लिए अपने गुर्गों को तैयार कर रखा है।

आरटीआई प्रभारी ने भी सीएमएचओ को नकारा

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय मण्डला में पदस्थ सूचना का अधिकार अधिनियम शाखा प्रभारी प्रमोद मसराम द्वारा आरटीआई के अंतर्गत आने वाले आवेदनों को लेकर समय सीमा में आवेदक तक जवाब पहुंचाने तथा आवेदन  संबंधित सूचना देने एवं आवेदक से सम्पर्क कर जवाब की प्रति प्रदाय करने को लेकर दैनिक जग संवाद द्वारा पूछा गया तो आरटीआई प्रभारी श्री मसराम द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्रीनाथ सिंह एवं विभाग के आला-अधिकारियों के समक्ष स्पष्ट जवाब दिया गया कि मेरे पास इतना फुरसत नहीं है कि मैं आवेदकों को फोन लगाकर सम्पर्क करुं तथा जवाब की प्रति प्रदाय करुं,वहीं जवाब को सुनकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भी दंग रह गए तथा उन्होंने उक्त जवाब को लेकर कमेंट किया कि इस कार्यालय में केवल में स्वयं अकेले फुरसत बैठा हुआ हूं बाकी सब बहुत व्यस्त हैं।पत्र क्रमांक DN/1662/28-04-23 द्वारा आवेदक को 04/05/2023 को उपस्थित होने को आदेशित किया गया। जानकारी प्राप्त करने हेतु आवेदक के उपस्थित होने पर आरटीआई शाखा प्रभारी द्वारा आवेदक एवं सीएमएचओ के साथ -साथ दुर्व्यवहार एवं मारपीट पर उतारू हो गए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस तरह वर्ताव करना जहां आवेदक और मीडिया और विभागीय अधिकारियों का दल मौजूद हों परन्तु अधिकारी का मूक रहना स्पष्ट करता है कि अधिकारी भ्रष्टाचार के अंगूठे के नीचे दबा हुआ है। जहां सूचना का अधिकार अधिनियम अंतर्गत आवेदन में आवेदक का मोबाइल नंबर इसलिए रहता है कि संबंधित प्रभारी द्वारा आवेदक से फोन पर सम्पर्क कर जवाब एवं अन्य जानकारी की पूछताछ एवं आदान-प्रदान किया जा सके, परन्तु आरटीआई प्रभारी प्रमोद मसराम द्वारा जानकारी छुपाने को लेकर जवाब डाॅक द्वारा भेजने की बात कहकर आवेदकों को गुमराह किया जाता है और महिनों बीत जाने के बाद भी आवेदकों को डाॅक प्राप्त नहीं होता है नतीजा आवेदकों को मजबूर होकर अपीलीय अधिकारियों की चौखट खटखटाना पड़ता है और बाद में जानकारी देने की बजाय आवेदन की बोली लगाकर आवेदक को खरीदने की रणनीति तैयार किया जाता है ताकि उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी को सरलता से छुपाया जा सके।

सीएमएचओ का भ्रष्टाचार चरम सीमा से अधिक हो रहा

वही जानकारी के अनुसार शासन द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था की गति को संचालित करने के लिए तत्कालीन व्यवस्था हेतु वर्ष 2018 में निष्चेतना विभाग के डाॅ श्रीनाथ सिंह को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभार सौंपा गया।जिले में वरिष्ठता के आधार पर अनुभवी एवं आरक्षणयुक्त चिकित्सकों की लाइन लगी हुई है। इसके पहले डाॅ कीर्तिचन्द्र सरोते को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का दायित्व सौंपा जा चुका है और उनके द्वारा सराहनीय दायित्व निभाया गया है।जहां सरकार और क्षेत्रीय सांसद-विधायकों तथा मंत्रियों द्वारा आदिवासी बाहुल्य जिला को लेकर आदिवासियों के विकास के गाने गाए जा रहे हैं आये दिन आदि उत्सव में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है और दूसरी तरफ अपनी निजी कमाई को लेकर उन आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है आदिवासियों को मात्र वोट बैंक का जरिया मान कर मौजूदा सरकार द्वारा उनका उपयोग किया जा रहा है,जहां तत्कालीन प्रभार एक प्राथमिक व्यवस्था होता है परन्तु डॉ श्रीनाथ सिंह द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था की गति को दरकिनार कर स्वयं की प्रगति में विशेष जोर लगाया गया और नेताओं तथा मंत्रियों की जी-हुजूरी करके एक बार फिर वर्ष 2019 में डाॅ श्रीनाथ सिंह द्वारा सीएमएचओ की कुर्सी की कीमत प्रदेश में बैठे आला-अधिकारियों से लेकर मंत्री-विधायक और नेताओं को चुकाया गया है,ताकि इस कुर्सी में बैठकर ट्रांसफर-अटैच, गैरहाजिरी पर पर्दा,निर्माण कार्यों, स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था, निजी अस्पतालों का निरिक्षण रिपोर्ट,दवाई दुकानों-पैथोलाॅजी के  पंजीयन एवं निरिक्षण,सुषेन योजना में हिस्सेदारी,नर्सिंग कॉलेजों,पैरामेडिकल काॅलेजों में मासिक बसूली,झोलाछाप डॉक्टरों से हिस्सेदारी,सीएचसी के स्टाॅफों से कीमत बसूल कर उनकी सुख-सुविधा अनुसार जिला कार्यालय एवं मनमानी स्थानों में अटैच कर मोटी रकम बटोरना,अपने मूलभूत दायित्वों से गायब रहने वाले कर्मचारियों एवं चिकित्सकों की करतूतों को नजरंदाज करने तथा वेतन कटौती से बचाने की हिस्सेदारी बसूलना जैसे अनेकों कारनामे है जो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की कुर्सी के एवज में डाॅ श्रीनाथ सिंह द्वारा अंजाम दिया जा रहा है।

         वही सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदकों द्वारा जानकारी मांगी जाती है तो जानकारी को छुपाने को लेकर आवेदकों को जवाब प्रस्तुत नहीं किया जाता, नतीजा आवेदक को अपीलीय अधिकारी का दरवाजा खटखटाना होता है परन्तु जिम्मेदारों ने अपीलीय अधिकारी से भी अपील निरस्त करने तथा जानकारी नहीं दिए जाने का पत्र जारी कराकर उसकी चढ़ोत्तरी पहुंचाई जाती है। आदिवासी जिले में आरटीआई को लेकर स्वास्थ्य विभाग में सबसे अधिक अपीलीय आवेदन दर्ज किए गए हैं, अब सवाल यह उठता है कि जहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वयं एक अपीलीय अधिकारी हैं बावजूद इसके इस विभाग और अधिकारी के विरुद्ध  आये दिन अपील की जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग प्रमुख द्वारा जानबूझकर यह लापरवाही और मनमानी रवैया अपनाया जा रहा है।

इनका कहना है--------

01-- मैं अपने मन से काम करता हूं तुम्हें लगे सीएमएचओ से जिससे लगे बता दो। मेरे पास इतना फुरसत नहीं कि मैं आवेदकों को फोन करुं और बुलाऊं।

                      प्रमोद मसराम

                   आरटीआई प्रभारी

                स्वास्थ्य विभाग मण्डला।

02--जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है।सरकार को सीनियरटी का ध्यान रखते हुए सीएमएचओ की व्यवस्था किया जाना चाहिए।

                       विधायक बिछिया मण्डला।

03--प्रभारी को बोलता हूं ताकि वह समय में जानकारी एवं जवाब आवेदकों को दिया करें। और में जल्द ही जानकारी दिलवाता हुं।

                      डॉ श्रीनाथ सिंह

                सीएमएचओ मण्डला।

No comments:

Post a Comment