मंडला। एक सप्ताह से स्वामी सीताराम वार्ड के यादव भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन की कथा में कथा वाचक पं. संतोष शास्त्री पदमी वाले ने श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि विपत्ति के समय में साथ निभाने वाला ही सच्चा मित्र होता है। श्री कृष्ण और सुदामा बचपन के मित्र थे, परंतु समय के प्रभाव से सुदामा को दरिद्रता ने घेर लिया। यहां तक कि घर में खाने तक के लिए दाने नहीं बचे। तब पत्नी सुशीला के कहने पर सुदामा भगवान श्री कृष्ण के यहां गए। यहां वे द्वारिकाधीश के महल का पता पूछने लगे तो द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। जब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। तब द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना तो प्रभु सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने। सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। इस पूरी कथा को जीवंत सुंदर झांकी के माध्यम से छोटे-छोटे बच्चों ने प्रस्तुत किया। इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की। 13 मई से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का आज शनिवार को पूजन, हवन एवं भण्डारा के साथ समापन होगा।
Saturday, May 20, 2023

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विपत्ति के समय में साथ निभाने वाला ही सच्चा मित्र
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