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Saturday, May 27, 2023

आदि उत्सव से इंद्र देव हुए नाराज दिखाया अपना रौद्र रूप 7 मिनट में सात करोड़ को किया स्वाहा...स्थानीय विधायक क्या नही है आदिवासी, मंच से नदारद






रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिला होने वाला जिला जिसमे आदिवासी परम्परा सालों से निभाई जा रही है वही आदिवासी के हितों से हटकर मंडला जिले में आदिवासियों का आयोजन विगत कुछ सालों से किया जा रहा है जिसमें आदिवासियों के उत्थान और उनके विकास  की बात तो कही जाती है मगर ये सब कागज़ो में सिमट कर रह जाती है बड़े जोर से उत्सव मना रहे हैं। वही जिले में निवासरत आदिवासियों का शोषण भी लगातार जारी है कार्यक्रम में बड़ा नेता या मंत्री इस आयोजन में भागीदारी करता है, तो हर ग्राम पंचायत से आयोजन को सफल बनाने के लिए गांव गांव से आदिवासियों को भीड़ बढ़ाने के लिए उन्हें ट्रैक्टरों और माल वाहकों में ठसा ठस भर भर कर आयोजन स्थल में लाया जाता है और बाहर से अतिथियों को यह अहसास कराया जाता है कि इस ज़िले के जनप्रतिनिधियों को आदिवासियों की बहुत चिंता है और ये जनप्रतिनिधि उनका सब ख्याल रखते है पर क्या कोई देख रहा कि जो गाँव गाँव से आये भोलेभाले आदिवासीयो की खाने पीने की व्यवस्था है या नही है पर आयोजन में भीड़ जरूर देखनी चाहिए ऐसा ही इस बार मंडला के विकास खण्ड भुआ बिछिया की ग्राम पंचायत रामनगर में सम्पन्न हो रहे आदिउत्सव में भी किया गया जहाँ की केवल सत्ता पक्ष के ही जनप्रतिनिधि मंच में नजर आए और वही विधानसभा बिछिया  जो कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है एव वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के विधायक नारायण पट्टा जिनका आदिवासी समाज मे अच्छा खासा दखल हुआ करता है उन्ही के विधानसभा में आयोजित आदिउत्सव में उनका मंच एव कार्यक्रम में न दिखाई पड़ना इतने बड़े आदिउत्सव में प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है शायद जिला प्रशासन एव आयोजक विधायक नारायण सिंह पट्टा को आदिवासी नही मानते वही कार्यक्रम को लेकर जनचर्चा व्याप्त है कि यह आयोजन वर्तमान केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते जी का था या फिर जिला प्रशासन की भूमिका क्या है। वही जानकारी के अनुसार और आमंत्रण पत्र में फग्गनसिंह कुलस्ते का नाम ही मुख्य रूप से आयोजक के रूप में देखने को मिल रहा है जबकि उक्त आदिउत्सव में खर्च होने वाली राशि का व्यय जिला प्रशासन के माध्यम से जिला की सबसे बड़ी विकास संस्थान जिला पंचायत के द्वारा किया जा रहा है। वही सरकार से जिले में संचालित आदिउत्सव के लिए आबंटित राशि दी गई है उसका प्रयोग कहे या दुरुपयोग आयोजन में पहुंचे अतिथियों के सत्कार को लेकर कान्हा नेशनल पार्क भ्रमण और आलीशान होटलों में उनके रुकने खाने की फूल व्यवस्था जो कि मुख्य रूप से आदिउत्सव में खर्च की जानी थी उस राशि को विभाजित किया गया वही देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूर्ण हो चुके है किंतु मंडला एव डिंडौरी जिले के मूल निवासी बैगा और आदिवासी आज अपनी मूलभुत सुविधाओं से वंचित है वही पलायन में मजदूर वर्ग से जुड़ा अस्सी प्रतिशत लोग आज भी इन जिलों से बाहर है फिर भी जिले में आदिउत्सव मानना और इस उत्साव में करोड़ों रुपये खर्च करना यह छलावा है या दिखावा इन भोलेभाले आदिवासियों के साथ वही स्थानीय नेताओं ने तो विरोध नहीं किया मगर इंद्र देवताओं ने इसका पुरजोर विरोध किया आंधी तूफान और ओले के गिरने के कारण चंद मिनट में ही पूरा पंडाल हवा में उड़ गया और 7 करोड रुपए पानी में बह गये, और शायद ईश्वर को भी यह छलावा जो कि भोलेभाले आदिवासियों के साथ किया जा रहा है न गवारा हुआ। अब देखना यह है कि इसी तरह के आयोजन जिले में लगातार होते रहेंगे या फिर आदिवासियों के लिए कोई उचित कार्य योजना तैयार की जाएगी जिससे आदिवासी वर्ग से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति अपनी जीवन शैली में सुधार ला सकेंगा।


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