दैनिक रेवांचल टाइम्स - मंडला नए शिक्षण सत्र के साथ ही प्राइवेट स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। जहां पर प्रवेश के नाम पर बच्चों के अभिभावकों से मनमाना रुपए वसूले जा रहे हैं। व्हाट्सएप के जरिए शिक्षण सामग्री खरीदी किए जाने का संदेश जिसे विज्ञापन कहा जा सकता है लेकिन इनके इस मनमाने वसूली पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है। वहीं वजह है कि प्राइवेट स्कूल मालामाल होते जा रहे हैं। देखा जाए तो प्राइवेट स्कूलों अब विद्यालय नहीं बल्कि माल बन गए हैं। शिक्षण संस्थाएं कमाए गए रुपयों से बड़ी बिल्डिंग बनाकर सामाजिक कार्यक्रम करा कमाई कर रहे है। अभिभावकों से विद्यालयों के द्वारा मनमानी फीस वसूली जा रही है। हालांकि अभिभावक इस पर अपनी आवाज को तो उठा रहे हैं। लेकिन उनकी आवाज को सुनने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि प्राइवेट स्कूलों के संचालक इसको अब व्यापार बना लिए हैं। लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। इसको देखते हुए अभिभावक भी अपने बच्चों को ऐसे प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ाने को मजबूर है। फीस लेने के बाद भी इनका पेट नहीं भरता तो यह शिक्षण सामग्री प्राइवेट दुकानों से लिए जाने का अभिभावक पर दबाव बनाते हैं व्हाट्सएप में दुकानों के नाम दिए जाते हैं इन दुकानों से स्कूल का कमीशन सेट होता है जिसके चलते अभि- भावक को अपने जेब से मोटी रकम देनी होती है। इस कार्यप्रणाली को दुकानों का विज्ञापन कहा जा सकता है जिसे स्कूल के द्वारा चलाया जा रहा है। आज नगर में हर अभिभावक को जानकारी होती है कि कौन सी सामग्री कहां पर लेनी है और कहां मिलेगी। किंतु स्कूलों द्वारा दुकान को चिन्हित किए जाने से दुकानदारों के भाव आसमान पर होते हैं ग्राहकों का संवैधानिक अधिकार मोलभाव की कोई गुंजाइश नहीं होती ।
Wednesday, April 5, 2023

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नए शिक्षण सत्र के साथ ही प्राइवेट स्कूलों की मनमानी स्कूलों द्वारा व्हाट्सएप के जरिए शिक्षण सामग्री खरीदी जाने का संदेश
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