रेवांचल टाईम्स - मण्डला आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण केंद्र और प्रदेश से दूसरे जिलों से अधिक बजट मिलता है पर दीमक के तरह बेठे कुछ अधिकारी कर्मचारी सरकारी धन में अपनी बकैती जमाते नजर आते है और खुद तो जनता के विकास के लिए सरकारी राशि मे अपना ईमान गवा देते है, और आपना ईमान धर्म बेच कर कमाए हुए रुपये में अपनी शान शौकत दिखाते है और अगर जांच होती है तो अबैध तरीके से कमाया गया धन से दूसरों को भी धन का लालच दिखते है पर आज भी हर कोई अपना ईमान नही बेच रहा है। शायद इन भ्रष्ट को अब धीरे धीरे समझ आ रहा है।
वही भ्रष्टाचार का गढ़ बना निवास का नगर पंचायत आये दिन इस नगर परिषद में नए नए कारनामें उजागर हो रहे है वही परिषद के भ्रष्ट मुखिया आँख मुँद कर सरकारी काम काज में रिश्वत से धन अर्जित किया और अपनी नॉकरी से हाथ धो बेठे पर इनकी जड़े इनके सहयोगी आज भी बेठे है और जल्द ही इनके द्वारा किये गए भ्रष्टाचार को जाँच में उजागर हो सकता है पर जनता का बड़ा सवाल की आखिरी इनकी जांच करेगा कौन और आखिर कब जिला मुख्यालय सहित जबलपुर भोपाल में बैठे जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों की नींद खुलेंगी और इनके किये गए कारनामों की जांच बैठाइगे, वही झाड़ू लगवाने के लिए डिंडोरी से लाये एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी मोहन मरूआ ने अधिकारियों के साथ मिलकर निवास की जनता के विकास में आने वाले पैसे से कैसे अपना विकास किया है अगर इसकी भी लोकायुक्त विभाग में जांच हो जाये तो जिले की जनता एक बार फिर भौचक रह जायेगी नगर परिषद सहित नगर में जनचर्चा बनी की आखिर कैसे फर्जी फाइलें चला चला कर यह दिन दुगनी और रात चौगनी तरक्की की है और ये कर्मचारी ने अधिकारियों के साथ साथ अपना भी जेब भरा है जेब भरने के क्रम पिछले कई माहो से चल रहा था मगर कहा जाता है कि अति का अंत जरूर होता है उसी अति का अंत हुआ जिसमें इनके भ्रष्ट मुखिया सीएमओ और एक कमर्चारी लोकायुक्त पुलिस की गिरफ्त में आ गया वही अब इस दैनिक वेतन भोगी मोहन मरूआ और उपयंत्री रोजिया डॉगरे के काम का अंत होना बाकी है देर है पर अंधेर नही है इनके द्वारा अभी हाल में ही टिंचिंग ग्राउण्ड में चली जेसीबी का बिल 19 जनवरी को 38 हजार के लगभग का निकाला गया जिसमे इस दैनिक वेतन भोगी ने 12 हजार अंदर किये जाने की चर्चा बनी हुई है । जबकि जे सीबी मशीन केवल 6 घंटे ही काम की 6 घण्टे का बिल 38 हजार निकल गया जो स्थनीय लोगो के समझ के परे है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमे जे सी बी वाले को 6 घण्टे का 13 हजार दिया गया 13 हजार में सी एमओ और उपयंत्री रोजिया डोगरे ने पैसा लिया ।वही इस मोहन मरूआ के द्वारा स्वछता, अभियान में डीजल, सामग्री क्रय, लोक निर्माण विभाग, जलप्रदाय, योजनाओं की सैकड़ो फाइल चलाई है जिनमे इनकी ही हेड राइटिंग मिलेगी जिनमे इसने अच्छा कमीशन लिया है । अगर इन सब की जांच हो जाये तो जिले की जनता फिर से चकित हो जाएगी कि एक दैनिक वेतन भोगी जो झाड़ू लगाने के लिए लाया गया था आज उसके पास इतनी सम्पति कैसे हो गई, वही रोजिया डोगरे जो स्वच्छता के नाम से नगर पंचायत के पैसे से अपना जेब भर रही है इसकी भी जांच हो जाये तो स्वच्छता के नाम से आया पैसे में नगर की सफाई हुई है या फिर केवल पैसे की सफाई की है वह भी सामने आ जायेगा ।
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