मण्डला 18 मार्च 2023
रानी दुर्गावती शासकीय
स्नातकोत्तर महाविद्यालय मण्डला में कौशल विकास के उन्नयन में नई राष्ट्रीय शिक्षा
नीति 2020 की भूमिका के अवसर और चुनौतियों के विषय पर आयोजित दो
दिवसीय अखिल भारतीय राष्ट्रीय शोध सेमीनार का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर जबलपुर
जी.एस. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार पाहवा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा
नीति 2020 का उद्देश्य भारतीय शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाकर
ज्ञान के क्षेत्र में, कौशल विकास के क्षेत्र
में और रोजगार के क्षेत्र में भारत को सुपर पावर बनाना है। उन्होंने कहा कि नई
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की वर्तमान जरूरत व वैश्विक मानकों के अनुरूप व
सार्वभौमिक है। विद्यार्थी अपनी क्षमतानुसार रचनात्मक, शोधात्मक एवं
तार्किक ढंग से कौशल का उन्नयन करें।
पंजाब राव
देशमुख इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी नागपुर महाराष्ट्र के विषय विशेषज्ञ प्रो. मुकुल
बुरघाटे ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों
के समग्र विकास के साथ ही रोजगार, स्वरोजगार के अवसर पैदा
करने और नौकर की जगह मालिक बनने की अवधारणा पर आधारित है। विद्यार्थी अपनी समझ के
अनुरूप अवसर का उपयोग करें। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रो. शैलेन्द्र कुमार
भारल ने नई शिक्षा नीति को अत्मनिर्भर की दिशा में उठाया गया एतिहासिक कदम बताया।
उन्होंने कहा कि ईमानदारी से क्रियांवयन करने पर इस नीति से भारत पुनः विश्वगुरू
बन सकता है। बालाघाट के जटाशंकर त्रिवेदी कॉलेज के प्रो. पी.एस. कातुलकर ने नई
शिक्षा नीति को एतिहासिक बताते हुए कहा कि इसमें इन्टर्नशिप बॉकेशनल कोर्स
मल्टिस्ट्रीय पाठ्यक्रम के समावेश से शिक्षा का वैश्विकरण होगा जिससे ज्ञान के
क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा पुनः स्थापित होगी। शासकीय कन्या महाविद्यालय
किरणापुर बालाघाट की प्राचार्या प्रो. सुनीता ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
में केवल शिक्षा की ही नहीं अपितु संस्था की गुणवत्ता पर भी जोर दिया गया है।
भारतीय ज्ञान परम्परा में व्यक्तित्व विकास को शिक्षा का श्रेष्ठ लक्ष्य निर्धारित
करते हुए प्रो. ए.एस. बघेल ने नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के समग्र विकास के
लक्ष्य तक पहंुचने की प्रक्रिया पर बात की। विश्व बैंक परियोजनांतर्गत म.प्र. शासन
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित और रानी दुर्गावती महाविद्यालय मण्डला के
वाणिज्य संकाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए
प्राचार्य डॉ. राजेश चौरसिया ने कहा कि विद्यार्थियों में कौशल है पर विकास की
इच्छा नहीं है और विकास कर भी लिया तो उपयोग करने का तरीका पता नहीं है। नई शिक्षा
नीति इस कमी की पूर्ति के लक्ष्य की प्राप्ति की अवधारणा पर आधारित है। वाणिज्य
संकाय के विभागाध्यक्ष और संयोजक डॉ. अनिल गुप्ता ने देश-प्रदेश से पधारे
ख्यातलब्ध मनीषी विद्वानों का स्वागत करते हुए संगोष्ठि की उपादेयता विषय की
प्रासंगिकता व महत्ता से अवगत कराते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महाविद्यालय
के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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