दिल की सेहत के लिए अच्छे खानपान के साथ एक्सरसाइज या शारीरिक गतिविधी भी जरूरी है। ऐसी कई रिसर्च बताती हैं कि व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली से कार्डियोवस्कुलर डिसीस (सीवीडी) यानी दिल से जुड़े रोगों का खतरा कम होता है। कई अध्ययनों में भी पता चला है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाले व्यक्ति को दिल के रोग होने का खतरा 30 से 40 प्रतिशत कम होता है। लेकिन एक नई रिसर्च के अनुसार बहुत ज्यादा कसरत करना आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है। रिसर्च में दावा किया गया है कि बहुत ज्यादा हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करना दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। आपने सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो देखे होंगे जब एक्सरसाइज करते वक्त लोगों को हार्ट अटैक आ गया। ऐसे में इस तरह के जोखिम से बचने के लिए मॉडरेट यानी संतुलन बनाकर ही एक्सरसाइज करनी चाहिए।
रिसर्च में हुए ये खुलासे
जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, शोधार्थियों ने वर्कआउट के समय और तीव्रता का दिल की बीमारियों के साथ संबंध जानने की कोशिश की। शोधकर्ताओं की टीम ने इसके लिए उम्रदराज पुरुष एथलीटों को अपनी रिसर्च में शामिल किया था। इस दौरान टीम ने पाया कि तेज-तेज हैवी वर्कआउट करने से कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस बीमारी का खतरा बढ़ता है। कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस की बीमारी में आपके दिल की धमनियों के ऊपर और अंदर प्लाक यानी वसा और बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। रिसर्च के निष्कर्षों के मुताबिक, तेज गति के हाई इंटेंसिटी वर्कआउट महत्वपूर्ण रूप से हाई एथेरोस्क्लेरोसिस और कैल्सीफाइड प्लाक बीमारी के खतरे से जुड़े हैं। इससे पता चलता है कि हाई इंटेंसिटी वर्कआउट एथलीटों में भी कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ा सकते हैं।
इंटेंस वर्कआउट क्यो हो सकता है खतरनाक?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के पूर्व सलाहकार और साओल हार्ट इंस्टीट्यूट के संस्थापक, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ बिमल छाजेर का कहना है कि दुनिया भर में लंबे समय से माना जाता रहा है कि आप जितनी ज्यादा शारीरिक मेहनत करेंगे, आपको दिल की और बाकी कई और बीमारियों का जोखिम उतना ही कम होगा। लेकिन लगातार हो रहीं नई-नई रिसर्च से पता चलता है कि हल्की फिजिकल एक्टिविटी ही सीवीडी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।' साथ ही एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाई इंटेंस वाले व्यायाम मिडिल ऐज मैन यानी 35 से 45 साल की उम्र के पुरुषों और उम्रदराज एथलीटों में कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रगति का कारण बन सकते हैं। कुछ व्यायाम या वर्कआउट हृदय पर अत्यधिक बोझ डालने के लिए जाने जाते हैं, जिससे शरीर उच्च कैटेकोलामाइन स्तर का उत्पादन करता है जो किसी व्यक्ति की हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ा सकता है। तेज हृदय गति एथेरोस्क्लेरोसिस के खतरे को तेज कर सकती है।
इंटेंस वर्कआउट से हो सकती है ऐसी समस्याएं
कैटेकोलामाइन एक प्रकार का न्यूरोहार्मोन है जिसके बढ़ने से हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है जिससे सिरदर्द, पसीना आना, दिल की धड़कना तेज होना, छाती में दर्द और एन्जाइटी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं जो दिल के लिए सही नही हैं। वहीं, कोरोनरी एथेरोस्क्लेरोसिस एक ऐसी स्थिति है, जहां हृदय में मौजूद धमनियों की भीतरी दीवारों के अंदर फैट और कोलेस्ट्रॉल का प्लाक यानी एक तरह की परत बनने लगती है। ये धमनियां पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाने के लिए जिम्मेदार होती हैं और इस प्लाक के गठन के कारण ब्लड सप्लाई का रास्ता संकीर्ण हो जाता है और शरीर में रक्त का प्रवाह प्रभावित होने लगता है। धमनियों में इस रुकावट और ठीक तरह से रक्त प्रवाह ना होने के कारण व्यक्ति विभिन्न प्रकार की कार्डियोवस्कुलर डिसीस से पीड़ित हो सकता है।
शरीर पर बोझ ना डालें
एक्सपर्ट के अनुसार,स्वस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी है कि संयम और संतुलन बनाया जाए। जब आप कम या हल्के तीव्रता वाले व्यायामों के साथ समय के साथ समान परिणाम प्राप्त कर सकते हैं तो शरीर को कई घंटों के हाई इंटेंसिटी वर्कआउट का बोझ डालने की कोई जरूरत नहीं है। जब शरीर इसके लिए तैयार नहीं होता है तो ना केवल दिल बल्कि बाकी अंगों पर भी बहुत अधिक बोझ डालने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।
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