क्या कार्यपालन यंत्री आकर स्वछता अभियान को सही करेगे देखना है बाकी
रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला के अंतर्गत आने वाली निवास नगर पंचायत में अनेको मामले रोजाना सामने आ रहे है। मगर वाह जे डी पी जोलेते और कार्यपालन यंत्री प्रदीप मिश्रा कार्यवाही के नाम पर आँख कान और मुँह बंद कर कर गाँधी जी तीन बंदर जैसे बन बैठे है जैसे कुछ जानकारी ही नही है या फिर मामला दवाने रखने के लिए बजन ले लिया गया है यहां रहे प्रभारी सीएमओ वीकेश कुम्हरे कार्यपालन यंत्री के खास होने के कारण बेख़ौफ़ पैसे लेकर काम कर रहे थे जिसके कारण उनके भ्रष्टाचार का घड़ा फ़ूड गया और वो पकड़े गए एक प्रभारी सीएमओ को इतनी शह उच्च अधिकारी के कारण थी पैसा उच्च अधिकारी को भी दिया जा रहा था जब तो ये कार्यवाही नही कर रहे था अब ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जहां उपयंत्री रोजिया डोगरे ने स्वच्छता के फर्जी दस्तवेजो पोर्टल में अपलोड करा दिए है देखने में आया कि निकाय में इतने कर्मचारी होने के बाद भी उपयंत्री रोजिया डोगरे द्वारा एनजीओ लगाकर स्वच्छता के फर्जी दस्वावेज बनवाकर पोर्टल में अपलोड करा दिए है और पीआईयू अभिनव गर्ग द्वारा उनको आगे भेज दिया गया है जबकि अभिनय गर्ग को भी पता है कि जमीनी स्तर पर निवास नगर पंचायत में कोई गतिविधियां नही हुई है उसके बाद भी उनने दस्वावेज सही कह कर भारत सरकार के पोर्टल में अपलोड कर दिए है जो जांच का विषय है अगर दस्तवेजो को देखा जाए और जमीनी हकीकत देखी जाए तो जमीन आसमान का अंतर सामने आएगा वही निकाय में लगभग 60 कर्मचारी होने के बाद भी उपयंत्री रोजिया डोगरे ने अपनी मनमर्जी से एनजीओ लगाकर दस्तवेजो बनवाये है अब एनजीओ का लाखो का भुगतान भी नगर पंचायत के पैसे से किया जाएगा । इतने कर्मचारी होने के बाद भी लाखों रुपये का भुगतान एनजीओ को करना पूर्ण रूप से गलत है वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया है कि एनजीओ के भुगतान में भी कमीशन मिलेगा अब देखना है कि इनके द्वारा कितना भुगतान एनजीओ को किया जाता है और इसकी जानकारी परिषद के पदाधिकारियों को दी जाती है ।वही एक तरफ एनजीओ को लाखों का भुगतान किया जाएगा दूसरी तरफ सफाई कर्मचारी झाड़ू, तसला, आदि सामग्री को तरस रहे है उस पर किसी का ध्यान नही है जनकारी के अनुसार एक दो दिन में प्रदीप मिश्रा निवास आ रहे है जो सभी गतिविधियों को देखेंगे क्या वो भी रोजिया डॉगरे के साथ मिलकर स्वच्छता की गतिविधियों को निवास में पूरा बता देंगे जो अब उनके आने के बाद ही पता लगेगा ।
वही सवाल एक यह भी है कि एक तरफ रोजिया डोगरे कार्यवाही से बचने के लिए अपने आप को स्वच्छता नोडल न होने की बात कह रही है और दूसरी तरफ एनजीओ लगाकर स्वच्छता के दस्तववेज अपलोड करा रही है।
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