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Wednesday, February 22, 2023

अगर सर्दी-जुकाम, बुखार में अपनी मर्जी से खरीदकर खा लेते हैं ये दवाएं तो हो जाएं सावधान, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा



जब घर में किसी को सर्दी जुकाम होता है तो हम अपनी मर्जी से बिना डॉक्टर की सलाह लिए मेडिकल स्टोर पर जाकर दवाई ले आते हैं और उन्हें लेना शुरू कर देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि ये आपकी सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। साल 2019 में लगभग 50 लाख लोगों की मौत एक खास वजह से हुई थी। मौतों का ये आंकड़ा 2020 में कोरोना से हुई मौतों के लगभग दोगुना है। इन मौतों की वजह क्या थी इस पर एक स्टडी हुई। इस स्टडी में पाया गया कि दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो तबियत खराब होने के बाद अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक खरीदकर खा लेते हैं। लेकिन ऐसा करना इतना खतरनाक है कि जब आप डॉक्टर की दी गई दवाएं खाते हैं तो वे आप पर असर नहीं करतीं।

डॉक्टर की दवाएं नहीं करती असर
दरअसल, डॉक्टर की दवाएं आप पर असर इसलिए नहीं करती, क्योंकि आपका शरीर एंटीबायोटिक रेसिसटेंस हो चुका होता है। आसान भाषा में समझें तो ऐसे लोगों के शरीर पर हैवी से हैवी एंटीबायोटिक दवाओं का असर बंद हो जाता है। दरअसल शरीर में मौजूद इंफेक्शन वाले बैक्टीरिया धीरे-धीरे एंटीबायोटिक के खिलाफ मजबूत हो जाते हैं। ऐसे में जब कोई गंभीर इंफेक्शन हो जाता है तो मरीज पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना ही बंद कर चुकी होती हैं। द लैसेंट की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा एंटीबायोटिक खाने से शरीर पर असर कम होने लगता है। इस रिपोर्ट में खासतौर पर एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) का जिक्र किया गया, जिसे टॉफियों की तरह हर घर में बिना डॉक्टरी परामर्श के इस्तेमाल किया गया।

लोग मेडिकल स्टोर से मर्जी से खरीदते हैं एंटीबायोटिक्स
द लैंसेट की रिपोर्ट का दावा है कि भारत में अधिकतर एंटीबायोटिक दवाएं तो बिना सेंट्रल ड्रग रेगुलेट की मंजूरी के बिक रही हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि भारत में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल संतुलित तरीके से नहीं किया जाता। यानी, लोग मेडिकल स्टोर पर जाते हैं और एंटीबायोटिक खरीद लेते हैं और खा लेते हैं।

ये है वजह
भारत में मेडिकल और हॉस्पिटल्स का सिस्टम जटिल है। प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक भी दो तरह के हैं। जो छोटे कस्बों में हैं वहां इसी तरह की एंटीबायोटिक मरीजों को प्रिस्क्राइब कर दी जाती हैं। जो थोड़े बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल और क्लीनिक हैं, वहां लोग छोटे-मोटे रोगों की वजह से इसलिए नहीं जाते क्योंकि वो डॉक्टर की फीस से बचना चाहते हैं।

आंकड़े चौंकानें वाले
साल 2000 से 2010 के बीच एंटीबोयोटिक की खपत दुनियाभर में 36 प्रतिशत बढ़ी है।
2019 में कुल दवाओं में 77.1 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाएं बिकीं। जितनी भी एंटीबायोटिक दुनिया में बेची गईं, उनमें से 72.1 प्रतिशत एप्रूव ही नहीं थीं। ऐसे में अगर आप किसी भी तरह की दवा मेडिकल स्टोर से या किसी से पूछकर या समान्य बीमारी होने पर किसी दूसरे के पर्चे को देखकर खरीदकर खा लेते हैं तो ऐसा ना करें। किसी भी तरह की बीमारी होने पर डॉक्टर से जरूर सलाह लें। इसके साथ ही डॉक्टर एंटीबायोटिक का जो कोर्स आपको बताते हैं, उसे जरूर उसी तरह से पूरा करें, जैसी पर्ची में उन्होंने लिखकर दिया है।

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