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Monday, February 13, 2023

सर्व शिक्षा अभियान के डी. पी. सी. का महिला कर्मचारी से रिश्वत लेते सोशल मीडिया हुआ विडियो वायरल, कर्मचारियों ने लगाए गंभीर आरोप...देखे वीडियो...



रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले में भ्रष्टाचार और भ्रस्टो का बोल बाला है आये दिन नये नए अधिकारियों के कारनामें निकल कर लोगो के सामने आ रहे पर जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही न करते हुए जांच के नाम पर बचाते नजर आते है वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा केन्द्र मण्डला में पदस्थ डीपीसी बी.पी.ठाकुर द्वारा भ्रष्ट आचरण,और अपने पद का खुला दुरूपयोग कर रहे है और डंके की चोट में रिश्वत माँग रहे वही रिश्वत लेते हुए का एक वीडियो तेजी से सोसल मीडिया में वायरल हो रहा है जहाँ पर एक महिला कर्मचारी अपने हाथों रिश्वत देती नजर आ रही है जिसको लेकर शिक्षा विभाग में बड़ी सरगर्मी मची हुई है।

           वही जिला शिक्षा केन्द्र मण्डला में जिला परियोजना समन्वयक के पद पर पदस्थ बी.पी.ठाकुर के द्वारा गत एक वर्ष से समग्र शिक्षा अभियान में भ्रष्ट आचरण व अनियमितता की जा रही है। डीपीसी बीपी ठाकुर शासन के द्वारा लिखित परीक्षा में शामिल नहीं हुए है। डीपीसी पद के लिए अयोग्य है। इनकी आयु 59 वर्ष है। मंडला आदिवासी जिला है। यहां कुल 15 बालिका छात्रावास संचालित है। छात्रावासो में पदस्थ वार्डन, अधीक्षक विगत पांच वर्षो से पदस्थ है यह शासन के नियम विरूद्ध है। जिन्हें हटाने के लिए जिला कलेक्टर मंडला द्वारा आदेश अगस्त 2022 में जारी किये गये थे लेकिन डीपीसी द्वारा लंबे समय से पदस्थ वार्डनो से वसूली की जाती है। जिससे वार्डनो की अभी तक प्रतिनियुक्ति समाप्त नहीं की गई है।

        वही भ्रस्ट डीपीसी बीपी ठाकुर द्वारा हर माह प्रति 100 सीटर छात्रावास में 15 हजार रुपये और 150 सीटर में 20 हजार रूपयेऔर 50 सीटर छात्रावास में 10 हजार रुपये प्रतिमाह यह बोलकर लिये जाते है कि यह मेरा हक है। और मुझे ये पैसे शिक्षामंत्री, आयुक्त संचालक भोपाल को तीन लाख रूपये प्रति माह देना पडता है। डीपीसी ठाकुर का कहना है कि जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और अन्य भोपाल के अधिकारियो को मैनेज करना होता है। इस प्रकार आदिवासी जिले में बालिका छात्रावासो में जमकर अनियमितताएं की जा रही है। बालिकाओ को गुणवत्तायुक्त भोजन भी नहीं मिल रहा है और ना ही शासन की गाइडलाइन अनुसार संसाधन दिये जा रहे है। वसूली के लिए हर दो माह में वार्डन, अधीक्षको की बैठक मंडला मुख्यालय में की जाती है।

वही जिले के बीआरसी और कार्यक्रमो की फाइल मुख्यालय मंडला बुलाई जा रही है। प्रति फाइल पांच से दस हजार रूपये लेकर भुगतान कार्यवाही के लिए बढाई जा रही है। फाइल में राशि नहीं मिलने पर उसे महीनो तक लंबित किया जा रहा है। डीपीसी के द्वारा निर्माण कार्यो में स्वयं जाकर निरीक्षण कर घटिया निर्माण के एवज में रूपये की मांग की जाती है। मंडला जिले में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है। यहां तक निर्माण कार्य के मामले में जो काम अपूर्ण है या कागजो में दर्ज  है उन्हें समग्र शिक्षा अभियान के पोर्टल में अपूर्ण कार्यो को पूर्ण बता दिया गया है। डीपीसी को आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से नोटिस भी जारी किया गया है लेकिन इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। जिला कलेक्टर द्वारा दिये गये निर्देशो का पालन भी नहीं किया जाता। जनशिक्षक की नियुक्ति से लेकर उपयंत्री के तबादले बिना कलेक्टर के अनुमोदन के कर दिये गये है। वर्तमान में मवई विकासखण्ड में कोई भी उपयंत्री पदस्थ नहीं है। जो कि मंडला के डीपीसी के द्वारा स्कूलो के निरीक्षण के लिए दो वाहन जो बिना परमिट है उन्हें संचालित किया जा रहा है। इन वाहनो का उपयोग जबलपुर और बीजाडांडी व अन्य छात्रावासो में अधिक किया जाता है। स्कूलो का निरीक्षण नहीं किया जा रहा है। औपचारिक भ्रमण कर बीजाडांडी, निवास, नारायणगंज दर्ज कर डीपीसी द्वारा अपने निवास स्थान जबलपुर सप्ताह में दो दिन जाने के लिए वाहन का उपयोग किया जा रहा है। इसकी जांच कराई जावे।

       वही जिले में पदस्थ सभी बीआरसी नैनपुर, मवई, मंडला, घुघरी, बीजाडांडी से पूछताछ किये जाने पर इनके द्वारा राशि आहरण के लिये रूपये की मांग की जाती है। जनशिक्षको का वेतन रोक दिया जाता है। इसके लिए भी अतिरिक्त राशि की मांग की जाती है। वही कर्मचारियों ने इस भ्रस्ट अधिकारी के खिलाफ जांच दल बनाते हुए संबंधित विभागीय कर्मचारियो से जानकारी लेकर कार्यवाही की जाने की मांग की है।

जिला कलेक्टर द्वारा समग्र शिक्षा और साक्षर भारत अभियान में लापरवाही व प्रगति/लक्ष्य पूर्ति नहीं होने के कारण 15 दिवस का वेतन काटने के आदेश हुए थे। इसके बाद भी डीपीसी बीपी ठाकुर के द्वारा लेखा शाखा में गोलमाल कर कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करते हुए वेतन प्राप्त कर लिया गया है।

    वही जिले की छात्रावास वार्डन ने बताया कि डीपीसी के द्वारा बालिका छात्रावासो का निरीक्षण शाम के समय करते हुए रात्रि का भोजन छात्रावास में ही बनवाया जाता है जबकि बालिका छात्रावास में रात्रि के समय पुरूषो का प्रवेश वर्जित है। जनशिक्षको की पदस्थापना में डीपीसी के द्वारा बिना कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ के अनुमोदन के बीस-बीस हजार रूपये लेकर आदेश जारी किये गये है। उमेश झारिया जनशिक्षक के स्थान पर अनिल चतुर्वेदी को रानी अवंती बाई संकुल में जनशिक्षक बना दिया गया है। उक्त आदेश कलेक्टर के संज्ञान में नहीं है। संजीव कुमार वर्मा माध्यमिक शिक्षक वरिष्ठ मूल शाला को बिना कलेक्टर अनुमोदन के महाराजपुर में जनशिक्षक नियुक्त कर दिया गया है।

मवई विख जो कि नक्सल प्रभावित है यहां सैकडो की संख्या में शाला भवन जर्जर व मरम्मत के अभाव में संचालित है। वही मवई विकासखण्ड में एक भी उपयंत्री पदस्थ नहीं है। यहां पदस्थ रहे उपयंत्री आकाश सनोडिया से रकम लेकर बिना समिति अनुमोदन के मंडला जनपद शिक्षा केन्द्र में पदस्थ कर दिया गया है। इसके लिए उपयंत्री ने 25 हजार रूपये डीपीसी बीपी ठाकुर को दिये है। यह कार्यवाही डीपीसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैै। वही जिले के अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी ने मध्यप्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से निवेदन किया  है कि ऐसे भ्रस्ट डीपीसी मंडला बीपी ठाकुर को तत्काल हटाने की कार्यवाही करते हुए उनके कार्यकाल की जांच कराई जावे। इनके द्वारा किये गये भ्रष्ट आचरण का आडियो और वीडियो मंडला जिले में वायरल है। इससे प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है और आदिवासी बालिकाओ के साथ प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा गर्त में जा रही है। डीपीसी बीपी ठाकुर से संबंधित खबर प्रकाशन के बाद धमकी दी जाती है कि मानहानि का दावा किया जायेगा। और जिले में नो उपयंत्री है जो ज्यादा रिश्वत देता है वह उनके उतना ही करीब रहता है वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मवई विकास खण्ड में एक भी उपयंत्री पदस्थ नही है बल्कि चार चार उपयंत्रियों को मवई का चार्ज दे रखा है इनसे सभी विभाग के अधिकारी कर्मचारी परेशान है क्योंकि ये सब से अपना हिस्सा माँगते ही नजर आते है और जिला प्रशासन में बैठे जिम्मेदार कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अपनी मीठी मीठी बातों में उलझा कर उनके नाम से भी रिश्वत लेने की जानकारी मिली है क्या अब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को भी रिश्वत के किये इस अधिकारी की आवश्कता पड़ रही है यह सोचनीय विषय है कि खुद तो भ्रस्ट है और अपने बड़े अधिकारियों के नाम बता कर रिश्वत की माँग करना कितना सही है ये तो ये जिम्मेदार अधिकारी ही बता पाऐगे अब शोसल मीडिया में तेजी से रिश्वत लेते हो हुए हो रहे इस वीडियो में क्या कार्यवाही होती है या फिर इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा,

        वही रिश्वत ले रहे रिश्वतखोर डी पी सी सर्व शिक्षा के अधिकारी बी पी ठाकुर से उनका पक्ष जानने के लिए उन्हें दूरभाष से संपर्क किया तो उन्होनें रेवांचल की टीम का कॉल अटेंड ही नही किया शायद उन्हें पता चला चुका था कि उनकी करनी अब सोशल मीडिया में आ चुकी है तो शायद कुछ समय के लिये शर्म आ गई होगी जिस कारण न वह अपना कोई जाबाब नही दे पा रहे है उनके कॉल नही रिसीव करने के कारण उनका पक्ष नही रख सके।

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