मण्डला 13 फरवरी 2023
कृषि विज्ञान केन्द्र
मण्डला के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. के.व्ही. सहारे के मार्गदर्शन में
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. प्रणय भारती द्वारा लाभदायक डेरी फार्मिंग एवं पशुधन
प्रबंधन अंतर्गत जिले के कृषकों को बैकयार्ड मुर्गी पालन पर क्षमतावर्धन प्रशिक्षण
दिया गया। प्रशिक्षण में बैकयार्ड हेतु मुर्गी की नस्ल का चुनाव, चूजों की देखभाल करना, मुर्गियों में आहार
प्रबंधन, विभिन्न मौसम में रखरखाव एवं बिमारियों से रोकथाम व उपचार
आदि पर ग्राम कन्हारीकला विकासखंड बिछिया के कृृषकों को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ.
प्रणय भारती ने कहा कि मुर्गीघर अपने आवास के साथ एवं स्थानीय सामग्रियों से बनाया
जा सकता है। जहां तक हो सके, घर को पूर्व-पश्चिम दिशा
की ओर बनाएं। यदि संभव हो तो मुर्गीघर को इकट्ठे हुए पानी,
बाढ़
आदि से बचाने हेतु घर के फर्श को जमीन से करीब 1 फुट ऊंचा बनाएं
ताकि बीट आदि नीचे इकट्ठा हो जाए जिसे बाद में खाद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता
है। लकड़ी अथवा बांस या मिट्टी का फर्श समतल करके बनाया जा सकता है। इस तरह किसान
संतुलित आहार व रोग प्रबंधन कर अपने लागत को कम करते हुये अपनी आय में वृद्धि कर
सकते हैं। मुर्गी की तुलना एक मशीन या
फैक्ट्री से की जा सकती है, जो ग्रामीण परिवेश में
उपलब्ध जैविक अनुपयोगी पदार्थों को पौष्टिक प्रोटिन (अंडा या मांस) में बदल देती
है। देसी मुर्गी घर के आस-पास उपलब्ध चारे एवं कीड़े-मकोड़ों को बड़ी चतुरता एवं
चपलता से हासिल करती है। मुर्गियों को नियमित हरा चारा एवं स्थानीय उपलब्ध आहार
प्रदान करने से उनकी बढ़त केवल स्वयं द्वारा चरने से ज्यादा तेजी से हो सकती है
जिससे ग्रामीण पशुपालक लाभान्वित हो सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान पशुपालन विभाग
की तरफ से डॉ. भुरमुदे ने मुर्गी पालकों को पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं के
बारे में विस्तार से बताया एवं योजनाओं का लाभ लेने हेतु प्रोत्साहित किया।
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