रेवांचल टाईम्स - आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव एवं विकास यात्रा के बीच अपना आधार तलाशता मध्य प्रदेश अतिथि शिक्षक
वही मध्यप्रदेश में विगत 20 वर्षों से बीजेपी सरकार है स्वयं को प्रदेश के मामा कहने वाले मुख्यमंत्री ने प्रदेश के शासकीय शालाओं में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 2008 अतिथि शिक्षक की अस्थाई व्यवस्था का शुभारंभ अल्प मानदेय में किया
जिसके बाद से प्रदेश का गरीब बेरोजगार, शिक्षित वर्ग ने मजबूरी बस जीवनयापन हेतु विद्यालयों में सेवा देना प्रारंभ किया,
समय-समय पर होती चुनावी घोषणाओं में नियमितीकरण के दिवास्वप्न को दिखाकर राजनीतिक पार्टियों ने कार्य में रुचि पैदा कर दी,
2013 चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की चुनावी घोषणा की, किंतु सरकार बनने के बाद भी इन्हें स्थाई नहीं किया गया
गरीब अतिथि शिक्षक सरकारी नौकरी एवं स्थाई रोजगार की उम्मीद में कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य करने लगा
2008 से लेकर 2018 तक सरकार ने नियमित शिक्षकों की कोई भर्ती नहीं की और देखते ही देखते अतिथि शिक्षकों की अस्थाई व्यवस्था शिक्षा विभाग का अभिन्न अंग बन गया
अतिथि शिक्षकों ने ना केवल शैक्षणिक व्यवस्थाओं को संभाला बल्कि शिक्षक विहीन विद्यालयों में भी समस्त शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों का संचालन पूर्ण निष्ठा इमानदारी से किया
सरकार की चुनावी घोषणा के अनुसार नियमितीकरण के लिए ध्यानाकर्षण हेतु आवेदन, निवेदन, ज्ञापन, एवं आंदोलन किए गए परिणाम स्वरूप घोषणाओं पर घोषणाएं की गई समितियां गठित हुई किंतु अतिथि शिक्षकों को लाभ प्राप्त नहीं हुआ
2018 का चुनाव से पूर्व सरकार ने नियमित शिक्षकों की भर्ती निकालकर अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था को डगमगाने उखाड़ने का कार्य किया दशकों से नियमितीकरण की उम्मीद से लगातार कार्य कर रहे अतिथि शिक्षक आर्थिक तंगी की वजह से इच्छा मृत्यु एवं आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो गए हजारों अतिथि शिक्षकों ने जीवन से ज्यादा मरना आसान समझा और काल के गाल में परिवार को बेसहारा करके समा गए
2018 विधानसभा चुनाव में दोनों राजनीतिक पार्टियों ने अतिथि शिक्षकों को मुख्य मुद्दा बनाया
फिर भी उतार-चढ़ाव के राजनीतिक समीकरण के बाद भी अतिथि शिक्षकों को किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं हुआ इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना का भयानक समय में भी विद्यालय बंद होने के उपरांत हमारे अतिथि शिक्षकों ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान, ऑनलाइन शिक्षा, सर्वे जैसे कार्यों में शिक्षा विभाग का सहयोग किया जिसका मानदेय भी सरकार द्वारा प्राप्त नहीं हुआ प्रदेश के 70 से अधिक सांसद, विधायकों ने कोरोना कॉल के मानदेय देने हेतु सहानुभूति पत्र लिखा जिसका शासन प्रशासन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा
अर्थात अतिथि शिक्षक को कोई लाभ नहीं मिला,
2018 के विज्ञप्ति अनुसार नियमित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शिक्षा मंत्री के प्रयासों से प्रारंभ हुई जिसमें 10 को सेवा दे रहे बहुत से अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो गए,
शिक्षा विभाग का नाजायज कर्मचारी वर्ग (अतिथि शिक्षक) अपने नाम के लिए, अधिकार के लिए एवं जीवन यापन के लिए
सहारे की तलाश में बेसहारा होकर आज भी यहां-वहां भटक रहा है मंत्री विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक, ग्राम सरपंच से लेकर राज्यपाल प्रधानमंत्री तक आवेदन, निवेदन, ज्ञापन की प्रक्रिया लगातार हमारे साथियों द्वारा की गई
*मानव विकास मंत्रालय एवं पीएमओ द्वारा भी कोई सुनवाई नहीं की गई
आज प्रदेश का अतिथि शिक्षक जिंदगी से उम्मीद हार कर अपने आधार परिवार के पालन पोषण की उम्मीद तलाश रहा है विकास यात्रा दरवाजे से निकाली जा रही है, आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है
मैं प्रदेश के नेता, मंत्री, विधायकों के साथ साथ शिक्षाविदों, समाजसेवी, अभिभावकों एवं आम जनमानस प्रिंट मीडिया सोशल मीडिया के कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता हूं कि
प्रदेश के अतिथि शिक्षकों के स्थायीकरण हेतु समर्थन करें
शिक्षकों के साथ हो रहे अत्याचार के लिए आवाज बने, विकास यात्रा से अछूते अतिथि शिक्षकों के भविष्य निर्धारण हेतु आवाज़ उठाएं।
अतिथि शिक्षक करे पुकार
जीवनयापन हेतु स्थायीकरण करें सरकार
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