रेवांचल टाईम्स - आदिवासी जिले मंडला में रसूकदार और राजस्व की मिली भगत से शासकीय भूमि को करवा चुके है निजी शासकीय अभिलेखों में शासकीय भूमि होने के बाद भी भूमि के कमी होने से नैनपुर का विकास रुका हुआ
• नैनपुर नगर पालिका का आधा हिस्सा रेलवे के अधीन हुआ
नैनपुर। शासकीय भूमि की कमी ने नगर का विकास को अवरूद्ध कर दिया है। नैनपुर नगरपालिका क्षेत्र में जिस प्रकार से शासकीय भूमि का अकाल आ गया है। उसको देखकर अब यह लगता है कि नैनपुर नगरपालिका क्षेत्र का विस्तार होना अतिआवश्यक है। कारण यह है कि नैनपुर में पड़ी शासकीय भूमि लगभग न के बराबर रह गई है। जिसके कारण कोई भी शासकीय भवन के निर्माण के लिये शासन को कई बार सर्वे करना पड़ता है और भूमि का चयन करना पड़ता है। वही राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के चलते नैनपुर के रसूखदरों ने तो अपने नाम पर शासकीय भूमि को दर्ज करवा लिया है । नैनपुर नगर में राजस्व विभाग में कुछ ऐसे भी पटवारी राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार अधिकारी आए जोकि नगर के नेताओं से मिलकर शासकीय भूमि निजी भूमि में दर्ज करवा लिया है। और शासन की बेस कीमती भूमि को कब्जा करवा दिया हैं जिसके चलते आज शासकीय भवन के लिए भूमि नही मिल पा रही है। और शासन स्वयं के लिऐ आज भूमि तलाश रहा है।
नगर के नेताओं का सबसे ज्यादा कब्जा है शासकीय भूमि में
विकास की गति धीमी होने की वजह एक यह भी है कि नैनपुर नगरपालिका क्षेत्र का आधा हिस्सा रेलवे के अधीन हो गया है। रेलवे के आधिपत्य होने के कारण यहां पर नगरपालिका का हस्तक्षेप न के बराबर रह गया है और रही सही शासकीय जमीनों पर कुछ रसूखदारों ने अवैध कब्जा कर लिया अब नगर के विकास के लिये जमीन का अभाव पड़ गया है। जिससे की नैनपुर एक निश्चित स्थान में ही सीमित हो गया है। शासकीय भूमि की किल्लत इतनी अधिक हो गई है।
शासकीय भवनों, विद्यालयों एवं अस्पताल बनाने के लिये अधिकारियों एवं पटवारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। इससे पूर्व नगर का कन्या माध्यमिक विद्यालय के लिये शासन द्वारा तहसील कार्यालय के पीछे भूमि आवंटित करा दी गई। परंतु पुनः इसका स्थान बदलकर वार्ड नं. 10 में कर दिया जहां पर भूमि आवंटित करा दी गई। गौरतलब यह है कि नैनपुर में कुछ अवैध कालोनियों का भी विकास अब हो चुका है। जिसे राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौन स्वीकृति मिल चुकी है। मगर इन अवैध कब्जाधारियों के लिऐ शासन ने आज तक ऐसा कोई भी हल नहीं निकला है। वही निवारी में तो रोड और नाली के ऊपर पक्की दुकान बना कर किराये में दी गई है
मगर प्रशासन ने आज तक निवारी चौराहे का कब्जा हटा नही सक्त यह एक बड़ा सवाल है।
अवैध कब्जा की कार्यवाही सिर्फ खाना पूर्ति रह गई है।
नगरपालिका क्षेत्र में एवं धनौरा व अतरिया जैसी ग्राम पंचायतों को मिलाना आवश्यक हो गया है क्योंकि यह सब पंचायते नैनपुर नगरपालिका क्षेत्र से लगी हुई है परंतु ये ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आती है। अगर शासन इन पंचायतों को नगरपालिका क्षेत्र से जोड़ तो नगर का विकास भी संभव हो सकेगा और विकास के लिये उपयोगी भूमि का भी बहुत हद तक समस्या से निदान हो जायेगा। अतः शासन नगर की आम समस्या को देखते हुये इन क्षेत्रों को नगरपालिका क्षेत्र से जोड़े जिसके लिये शासन तेजी से काम करें और शासकीय भूमि का अभाव समाप्त करें ताकि नगर के विकास को एक गति मिल सके। और अवेध कब्जा धारियों से मुक्ति मिलने के असर नहीं दिखाई दे रहे है।
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