रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के अंतर्गत आने वाली नगर परिषद निवास में पदस्थ इंजीनियर तकनीकी मामले में कितनी जानकर है इसका अंदाजा टिंचिंग ग्राउंड में बने एमआरएफ के स्टाफ रूम के दरवाजा को देखकर लगाया जा सकता है यह दरवाजा ऐसा लगा है कि अगर कोई खोले तो वह हाथ मे आ जायेगा न तो दरवाजा के होल फास को अच्छे से कभर किया गया है और न ही सही तरीके से लगाया गया है इसमे तकनीकी रूप से यह तक नही देखा गया कि इसको किस तरफ खुलना और बंद होना चाइये इससे पता चलता है यहां पदस्थ उपयंत्री को कितना तकनीकी अनुभव है जबकि इन्ही की देखरेख में बनाया गया स्टाफ रूम खुद ही बया कर रहा है कि इसमें कितनी गुणवत्ता से काम कराया गया है ।और काम कितना अच्छा हुआ है ।
दरवाजा खुलते ही आ जाये हाथ मे यहां के स्टाफ रूम का दरवाजा इतनी मजबूती से लगाया गया है कि अगर कोई इसे जोर से खींच दे तो पूरा दरवाजा हाथ मे आ जायेगा तकनीकी ज्ञान होने के बाद भी इतनी लापरवाही होना समझ के परे है ।नगर के लोगो का कहना है कि उपयंत्री रोजिया डोंगरे द्वारा क्या बिना देखे ही इसका मूल्यांकन कर बिल पास किया गया है जो लगते ही साथ दरवाजा बाहर आ गया है ।
सेड का भी यही हाल देखा गया कि पिछले के माहो से यहां के एमआरएफ का सेड गायब था जिसकी खबर प्रकाशित की गई और आज जो सेड लगा है वह भी देखने लायक है नगर परिषद के निकले हैंडपंप के पाइप से सेड लगा तो दिया गया मगर यह भी ऐसा लगा है कि कुछ दिनों में यह भी उड़ जाएगा। देखने मे आया कि 20 एमएम गिट्टी की जगह इनके द्वारा 40 एमएम गिट्टी सेड में लगाई गई है जो कितनी मजबूत होगी यह इंजीनियर से ज्यादा कोई नही समझ सकता ।
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