मंडला 2 जनवरी 2023
मलबरी कृमिपालन व ककून उत्पादन से आत्मनिर्भर हुई रेशम स्वावलम्बन समूह
नेवरगांव निवासी अभिलाषा। अभिलाषा बताती है कि मैं ग्राम पंचायत पुरवा निवासी हूं
एवं मेरे परिवार के पास मात्र एक एकड़ की भूमि थी जिस पर हम इतना अनाज उत्पादन नहीं
कर पाते थे कि अपने परिवार का पूरे वर्ष पालन-पोषण कर सकें। मेरे परिवार में मेरे
पति व बच्चों सहित 4 सदस्य हैं, जिनकी जिम्मेदारी मेरे पति एवं मुझ पर है। हमें रोजगार की तलाश में गांव से
बाहर जाना पड़ता था तथा कभी-कभी ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा में काम मिल जाता था।
अभिलाषा कहती है कि हमारे गांव में रेशम विभाग द्वारा रेशम केन्द्र खोला गया
इस केन्द्र में मुझे काम करने के लिए मनरेगा योजना के तहत अवसर मिला। मैंने
केन्द्र के अधिकारी से कोसाबाड़ी के कार्य की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि रेशम
योजन से रोजगार का नियमित व सतत साधन प्राप्त होता है। इसमें मेहनत करने से आगे के
जीवन को अच्छा बनाया जा सकता है। अभिलाषा आगे बताती है कि रेशम केन्द्र द्वारा
मुझे 1 एकड़ भूमि दी गई जिसमें पौधे लगाने व उनकी देखरेख की पूरी
जिम्मेदारी मुझे दी गई। प्रभारी अधिकारी के मार्गदर्शन से मुझे रेशम के कीड़े पालने
में सहयोग मिला मैंने मलबरी कीडे़ पालने की पूरी जानकारी ली। मैं पिछले लगभग 3-4 सालों से कोसा उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर रही हूं, जिसके कारण मेरे परिवार की माली हालत में पहले की तुलना में बहुत सुधार आ गया
है। मनरेगा योजना और रेशम विभाग के सहयोग से अब मुझे अपने गांव में ही रोजगार का
एक बहुत अच्छा साधन मिल गया है।
मैं वर्ष 2015-16 में इस कार्य से जुड़ी और वर्ष 2016-17 में 105.00 किग्रा ककून उत्पादन से मुझे 26 हजार से ज्यादा की आमदनी हुई। वर्ष 2017-18 में 211.00 किग्रा ककून उत्पादन से 66 हजार से ज्यादा, 2018-19 में 194 किग्रा ककून उत्पादन से 51 हजार रूपए से ज्यादा, 2019-20 में 221.90 किग्रा ककून
उत्पादन से 45 हजार से ज्यादा तथा 2020-21 में 208.500 किग्रा ककून उत्पादन से 53 हजार से ज्यादा की आमदनी हुई। इस वर्ष 2021-22 में भी मैंने अब तक 365.100 किग्रा को
ककून उत्पादन किया जिससे रू. 69 हजार रूपए से ज्यादा की
आय प्राप्त हो चुकी है। रेशम योजना से मुझे आय के साथ-साथ निरंतर लाभ भी मिल रहा
है। मैं सभी महिलाओं व पुरूषों को भी रेशम योजना से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती
हूं।
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