रेवांचल टाइम्स - इस बार एक ही माह सूर्य और चंद्र दोनों ग्रहण पड़ रहे है !जिसे देश में प्राकृतिक अपदाएँ भी बढ़ सकती है !देश में तनाव एवं सीमा पर विवाद की स्तिथि बन सकती है
चंद्रग्रहण के सम्बन्ध में पौराणिक एवं ज्योतिषविद आचार्य किशोर उपाधयाय ने बताया 8 नवम्बर देव दिवाली के दिन खग्रास अर्थात पूर्ण चंद्रग्रहण है !ग्रहण की शुरुआत दिन में 2:42 बजे से है किन्तु भारत में ग्रहण का प्रारम्भ चंद्रोदय के समय शाम 6:9बजे दिखेगा और मोछ शायं 6:29बजे तक है !भारत में सभी जगह देखा जा सकेगा चूंकि भारत में ग्रहणकाल में ही चंद्रोदय है !अतः ग्रहण का सूतककाल 9घंटे पहले अर्थात प्रातः 8:9बजे से लगेगा यह ग्रहण मेष राशि पर है !जो की ग्रहण का फल भरणी नछत्र वालो के लिए विशेष अनिष्टकारक है !ग्रहण शुभाशुभ फल के सम्बन्ध में ज्योतिषिचारयो के अलग -अलग मत हो सकते है !धर्मालंबियो से आग्रह है भ्रम में न पड़े!चूकि बुध शुक्र कि दृष्टी चंद्र पर रहेगी अतः वृष सिंह कन्या तुला धनु मकर एवं मीन राशि के जातको को अशुभ है जबकि मिथुन कर्क वृच्छिक कुम्भ राशि जातको को शुभ फल प्रदान करेगा
नियमो के पालन से मिलेंगे शुभ संकेत
आचार्य जी ने बताया कि आज के समय में धर्म और मान्यताओं पर कम विश्वास किया जा रहा है !किन्तु यह मूल सत्य है !कि जो लोग ग्रहणकाल सूतककाल में नियमधर्म का पालन नहीं करते उन्हें अशुभ अवश्य मिलता है !इस लिए सभी मनुष्यो को ग्रहणकाल सूतककाल के नियमो को मानना चाहिए !75वर्ष से अधिक आयु के वृद्धो एवं 10वर्ष से कम आयु के बच्चो तथा असाध्य रोगियों को छोड़ कर सूतककाल में अन्न और जल का ग्रहण नहीं करना चाहिए सिर्फ दवा ओषधियो का सेवन कर सकते है किन्तु ग्रहणकाल में सभी को भोजन व जल नहीं लेना चाहिए !गर्भवती मताएँ ग्रहणकाल में खुले आसमान में कदापि ना निकले क्योंकि इसका असर बच्चे पर पड़ता है
ग्रहणकाल अनिष्टकाल माना जाता है अतः इस समय कोई भी काम न करे और ना घर से बाहर निकले !घर के सभी रूम में प्रवेश ना करे !मन को संतापमय बनाकर अपने ईष्ट का ध्यान और भजन करना चाहिए!सूतककाल से ही मूरतिस्पर्श व पूजा पूर्णतः वर्जित है !सूतककाल ग्रहणकाल के दौरान पूर्णिमा का दीपदान बिलकुल न करे !सूतककाल के पूर्व ही तुलसीदल तोड़ ले बाल वृद्ध एवं रोगियों के भोजन व जल में तुलसीदल व गंगाजल मिश्रित कर दे !ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान एवं गृहशुद्धि अवश्य करे।
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