जबलपुर। दूरगामी सोच के बिना तैयार शासकीय योजनाओं का क्या हश्र होता है, इसका अंदाजा आदिवासी बालक क्रीड़ा परिसर को देखकर लगाया जा सकता है। तिलहरी में 13 करोड़ से आदिवासी खेल प्रतिभाओं के लिए बनी अधोसंरचना का उपयोग शुरू नहीं हो पाया है। इनडोर हॉल, हॉस्टल, कोच व पीटीआई के लग्जरी आवास खाली पडे़ हैं। मैदान जंगल में तब्दील हो गया है।संभाग और जिले के आदिवासी बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने के लिए आदिवासी विकास विभाग की योजना धरातल पर नहीं आ पाई है। 11 एकड़ क्षेत्रफल में बनी इस अधोसंरचना का उपयोग नहीं हो पा रहा है। एक भी बच्चे का प्रवेश दो साल में नहीं हो पाया है। जबकि 42 कमरों का सर्वसुविधा युक्त हॉस्टल यहां बना हुआ है। उसका ताला सिर्फ साफ-सफाई के लिए खुलता है। विभाग ने पूरा परिसर यूं ही खाली छोड़ रखा है जबकि कई जगहों पर आदिवासी बच्चों को हॉस्टल की सुविधा तक नहीं है।
इस खेल परिसर में इनडोर हॉल बना है। इसमें प्रमुख खेलों का प्रशिक्षण और अभ्यास दोनों हो सकता है। लेकिन यह सुनसान पड़ा है। जो मैदान है, उसमें खेल गतिविधियां नहीं बल्कि जंगली झाडि़यां उगती हैं। उसकी सफाई के लिए एक रुपए का बजट भी विभाग की तरफ से जारी नहीं किया जाता है। ऐसे में परिसर जंगल की तरह नजर आता है। यहां पर एथलेटिक्स ट्रेक या साइक्लिंग वेलोड्रम बनाने का प्रस्ताव बना था।
एक कोच की नियुक्ति, पीटीआई नहीं
यहां एक खिलाड़ी नहीं है, लेकिन कोच तैनात है। वह किसे प्रशिक्षण देता है, यह सोचने वाली बात है। कोच के लिए दो आवास भी बने हैं। पीटीआई के लिए छह आवास हैं। हालांकि उनकी नियुक्ति आज तक नहीं की गई। कार्यालय और हॉस्टल अधीक्षक का बंगला है। अभी अधीक्षक और दो कर्मचारी यहां हैं। इनडोर हॉल में ताला लगा हुआ है। ऐसी ही हालत हाॅस्टल की है। कुल मिलाकर इस अधोसंरचना का उपयोग न के बराबर है।
100 खिलाडि़यों के लिए बना स्थान
आदिवासी क्षेत्र में कई प्रतिभावान बच्चे हैं। खेलों में भी उनकी अलग धाक रहती है। जब 100 सीटर हॉस्टल रांझी में एक छोटे से भवन में चलता था, तब वहां कोई सुविधाएं नहीं थीं। 90 बच्चों को भर्ती किया गया था। कोच और पीटीआई की कमी के बावजूद वे शालेय खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते थे। अब जब सुविधाएं हो गई हैं तो बच्चों की भर्ती ही नहीं की जा रही है।
यह है स्थिति
- वर्ष 2020 में बनकर तैयार हुआ परिसर।
- 11 एकड़ जगह में 13 करोड़ से निर्माण।
- अधीक्षक सहित 9 लोगों के लिए आवास।
- कार्यालय भवन और इंडोर हाल बना।
- 43 कमरों का सर्वसुविधायुक्त हॉस्टल।
- आउटडोर के लिए नहीं बन पाई योजना।
इनका कहना है ....
आदिवासी क्रीड़ा परिसर का निर्माण हो चुका है। शासन से अभी इसके खोलने की अनुमति नहीं मिली है। इसलिए यह बंद पड़ा है। जहां तक रखरखाव की बात है तो कोई बजट नहीं मिलता, इसलिए साफ-सफाई प्रभावित होती है।
पीके सिंह, प्रभारी सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग
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