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Sunday, October 16, 2022

बीएसडब्ल्यू एवं एमएसडब्ल्यू की कक्षाएं बनी राजनीति का अखाड़ा, मुख्यमंत्री की योजना मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास में लग रहा पलीता




रेवांचल टाईम्स - नियमों को ताक में रख कर की गयी परामर्शदाताओं की भर्ती, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़

मण्डला-मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास योजना का संचालन कर उन सभी कामकाजी छात्र/छात्राओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया ताकि कामधाम के चक्कर कोई शिक्षा से बंचित न हो सके। जिसके  लिए प्रदेश में सप्ताह में एक दिन रविवार को कक्षा का संचालन किया जाने लगा। उक्त योजना का प्रदेश में संचालित करने हेतु जन अभियान परिषद् जिम्मेदारी दी गयी। और इस योजना की संबधिता चित्रकूट विश्वविद्यालय से रहती है। इसी तारतम्य में यह योजना मण्डला जिले  के नौ विकास खण्डों मे संचालित हो रही है। जहां ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र/छात्राएं अपना भविष्य सम्हालने हेतु प्रवेश लेकर अध्ययन कर रहे हैं पर उन भोलेभाले बच्चों को यह नहीं मालुम की इस योजना का जिले में संचालित करने वाला विभाग जन अभियान परिषद मण्डला द्वारा  खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहा है।  जिले में राजनीतिक संरक्षण और विभागीय अधिकारियों की तानाशाही पूर्ण रवैया के कारण मुख्यमंत्री की यह योजना में पलीता लगा रहा है। केवल खानापूर्ति कर और फोटो सेशन कर यह योजना का संचालन जिले में अच्छा बताया जा रहा है पर जमीनी हकीकत कुछ और है जिसकी सूक्ष्म जांच होने पर हो रही लापरवाही से पर्दा उठ सकता है।


परामर्शदाताओं की भर्ती  नियमों के विरूद्ध -


सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिले में बीएस डब्ल्यू एवं एम एस डब्ल्यू की कक्षाओं के अध्यापन कार्य हेतु जो भर्ती जन अभियान परिषद के जिला समन्वयक ने की है उसमें घोर अनियमितता के साथ लेनदेन के चक्कर में नियुक्त कर दी है। बताया गया की चित्रकूट विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त एवं दो-तीन बर्षो का बीएसडब्ल्यू की कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराने का अनुभव होने के बाद भी उन्हें इस बर्ष न रखकर नये परामर्शदाताओं की नियुक्ति कर दी गयी जो नियम के विरूद्ध है। क्या कारण है की अनुभव वाले को बाहर का रास्ता दिखाते हुए, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त एवं बिना प्रशिक्षण प्राप्त परामर्शदाताओं की भर्ती की गयी। जिसकी जिला प्रशासन को सूक्ष्म जांच कराकर उचित बैधानिक कार्यवाही करना आवश्यक है अन्यथा उन गरीब बच्चों शासन की मंशा अनुसार लाभ नहीं मिल सकेगा और उनका भविष्य अंधकारमय में हो जायेगा। 


प्रक्षिशित टीम द्वारा निरीक्षण का अभाव -


जिले के समस्त विकास खण्डों में संचालित उक्त कक्षाओं का निरीक्षण योग्य, प्रशिक्षित अधिकारियों द्वारा नहीं कराया जा रहा है जिससे  इन बैचलर की उपाधि प्राप्त कर रहे बच्चों को अध्यापन कार्य मनमाने तरीके से करवाया जा रहा है। जबकि निरीक्षण का दायित्व कक्षा संचालित विद्यालय के प्राचार्य को दिया है पर वह निरीक्षण केवल कागजों तक सीमित है। कुछ प्राचार्यों ने नाम न छापने की शर्त में यह बताया की हम तो अपने स्कूल के अतिथि शिक्षकों को अध्यापन कार्य के लिए जिला समन्वयक को बोले थे पर वे अपने हिसाब से भर्ती कर अध्यापन कार्य करवा रहे हैं जिनसे पढ़ाते भी नहीं बनता, अगर सही निरीक्षण किया जाये तो बहुत  कम योग्य परामर्शदाता ही मिल पायेंगे। 

     जबकि वहीं स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती मे शासन के सख्त निर्देश है  की बिना डीएड या बीएड के भर्ती नहीं की जा सकती तो फिर यह कालेज की पढ़ाई में ऐसा क्यों?  


प्रदेश के मुखिया की मंशा में लगा रहे पलीता -


     प्रदेश के मुखिया ने उन बच्चों को अध्ययन के लिये यह योजना संचालित की है जो किन्हीं परिस्थिति बस कालेज की पढ़ाई नहीं कर सके वे इस योजना के तहत अपना आगे का अध्यापन कार्य कर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। जिसके लिए शासन द्वारा भोजन से लेकर पुस्तक, किराया आदि के लिए विभाग जन अभियान परिषद को पर्याप्त आवंटन दे रही है। पर इस में भी घोर लापरवाही होने की शिकायते जन चर्चा में है। जिससे यह स्पष्ट होता है की जिले में जन अभियान परिषद  द्वारा प्रदेश के मुखिया की मंशा में पानी फेरते नजर आ रहे हैं। 


योजना बनी राजनैतिक अखाड़ा-


जिले में संचालित बीएसडब्ल्यू एवं एमएसडब्ल्यू कक्षाओं के अध्यापन कार्य में संलग्न परामर्शदाताओं में से अधिकांश राजनैतिक पद या संरक्षण प्राप्त है जो अपनी राजनीति की पकड़ बताकर काम कर रहे हैं इन्हें कोई बोलने वाला नहीं है वे पढ़ाएं या न पढ़ाएं उनके सामने सब नतमस्तक हैं भले ही बच्चों की पढ़ाई चौपट हो जाये उन्हें क्या लेना देना बस उन्हें मानदेय से भर मतलब है। अगर इसकी जांच करायी जाये तो बहुत से परामर्श दाता राजनैतिक पदाधिकारी निकलेंगे।


क्या जिले में योग्य परामर्शदाताओं का अभाव-


जन चर्चा में है की हमारे जिले में संचालित योजना में दूसरे जिले व्यक्ति को क्यों परामर्श दाता नियुक्त किया गया क्या जिले में काबिल परामर्शदाताओं की कमी जिला समन्वयक को समझ आती?  जबकि लोगों का यह कहना है जिले में ही व्यक्ति को रखकर लाभ दिया जाना उचित था। 


 जिला प्रशासन से जन मांग है की हमारे मुखिया द्वारा संचालित यह योजना में हो रही घोर लापरवाही की जांच कराकर वैधानिक कार्यवाही की जाये‌ ताकि प्रदेश के मुख्यमंत्री का सपना साकार हो सके।


इनका कहना है -

आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया, जल्द ही  जानकारी लेकर व्यवस्था में सुधार हेतु विभाग को आदेशित किया जायेगा।


 इंजी.कमलेश तेकाम

उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति अध्यक्ष

जिला पंचायत, मण्डला।

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