रेवांचल टाईम्स - आदिवासी अंचलों में सरकार ग्रामीणों को मकान लाईट पक्की सड़क और भी ऐसी मुलभूत सुविधाएं लोगों को दी जा रही है पर वह अधितर केवल कागज़ो तक ही सीमित है और कागज़ो के आंकड़ों पर सब सम्पन्न है सब को सब मिल रहा है देश और प्रदेश सरकार भी बहुत खुश है कि हम जनता के लिए हर वो काम कर रहे है जो उन्हें आवश्कता पर क्या सरकार के नुमाइंदों ने कभी जमी हकीकत का पता किया कि क्या आज भी जंगलों और पहाड़ों के बीच रह रहे ग्रामीणों को समय समय मे क्या सुविधाएं मिल रही है। किसी जिम्मेदार को देखने की फुर्सत नही है और तो ओर जिनको अपना मत देकर सरकार तक पहुँचाये है उन्हें भी मुड कर देखने की फ़ुर्सत नही है।
वही जानकारी के अनुसार डिंडौरी मुख्यालय से लगे विकास खंड अमरपुर में 3 दिनों से पूरी रात अमरपुर वासी ओर आसपास के ग्राम अंधेरे के आगोश में है। लोगों ने प्रशासन से विधुत व्यवस्था जल्द दुरुस्त करने की लगाई गुहार।
जनपद पंचायत अमरपुर लगातार तीन दिनों से अंधेरे के आगोश में समाया हुआ है,इसका मुख्य कारण विधुत विभाग की उदासीनता हैं कहीं खम्बे गिर रहें हैं तो कहीं ट्रांसफर ख़राब हो रहें हैं और बिजली दफ्तर के लोगों ने इसे दुरूस्त करने की जहमत नहीं उठा रहें इसका परिणाम यह है कि यहां के निवासरत ग्रामीणों को अब अंधेरे के साये में ही रात गुजारने को मजबूर हैं।
बारिश के मौसम में तीन दिन से बिना बिजली के गुजारा करना ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। रात के समय पूरे गाँव में अंधेरा पसरा रहता है,बिजली विभाग के कुछ जिम्मेदार ऐसी उदासीनता दिखा सरकार की अटल ज्योति अभियान की मंशा को पलीता लगा रहे है।
जबकि लोक सेवा गारंटी के तहत 7 दिनों में ट्रांसफार्मर बदलने और महीने में बिजली खंभे को दुरुस्त करने का प्रावधान है पर विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीणों को अंधेरे में रात गुजारने की मजबूरी बन गई हैं। इस प्रकार जनपद क्षेत्र के और भी अनेक गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं जबकि शासन का कहना है कि कोई भी गांव विद्युत विहीन नहीं होगा परंतु विभागीय लापरवाही के कारण बरसात के मौसम में भी भयमुक्त जीवन गुजार रहें हैं। साथ ही अब दुकानों में मिट्टी तेल भी नहीं मिल पा रहा हैं। जिससे समस्या और भी विकराल हो गई है। और गरीबो को अंधेरे में गुजर बसर करना पड़ रहा है आज इन आदिवासियों के लिए मुलभुत सुविधाओं के लिए सरकार से लाखों नही करोड़ों रुपये आते पर नतीजा सिफर है।
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