रेवांचल टाईम्स - आदिवासी बाहुल्य जिले मंडला में नगर पालिका प्रशासन इन दिनों दोनों हाथों से पैसे बटोरने में लगी हुई है पर नागरिकों को सुविधाएं ज़ीरो उपलब्ध करा रही है आज लोगों को चलने के लिये सड़क नही मिल पा रही है जगह जगह जनवरों का राज है सड़क चौराहे में घूमते बैठे हुए मिल जाएगे फिर वर्तमान में दूसरी गैंग कुत्तों की घूम रही है और लोगो के द्वारा जगह जगह अतिक्रमण किया जा चुका है और नगर पालिका प्रशासन केवल अपनी आय बढ़ाने में लगी है जनता को सुविधा मिले न मिले पर टैक्स समय मे मिलता रहे।
वही चाहे गणेश उत्सव हो या दुर्गा उत्सव न्यायालय के आदेश अनुसार मूर्ति विसर्जन कुंड में किया जाता है जिसके चलते प्रतिवर्ष नगर पालिका द्वारा विसर्जन कुंड का निर्माण किया जाता है साल में दो बार विसर्जन कुंड का निर्माण नगर पालिका द्वारा किया जाता है एक बार के कुंड निर्माण में लगभग ढाई लाख रुपए खर्च आता है साल भर मैं 500000 का खर्च नगर पालिका द्वारा कुंड निर्माण में किया जाता है यदि किसी कुंड को पक्का सीमेंट ई करण करके बनाया जाए तो एक बार में लगभग 10 से 15 लाख का खर्च आएगा जो हमेशा के लिए काम आएगा वा मूर्ति विसर्जन के बाघ इस कुंड का उपयोग मछली पालन के लिए किया जा सकता है जिससे नगर पालिका की राजस्व में बढ़ोतरी होगी और लगभग 5 सालों में कुंड निर्माण की लागत से 2 गुना कमाई नगर पालिका को प्राप्त होगी इस बारे में नगर पालिका अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने भी इस प्रस्ताव को स्वागत योग्य माना देखना यह है कि क्या हर साल इसी तरह से कुंड का निर्माण होता रहेगा कुंड की आड़ में ऊपरी कमाई नगरपालिका करती रहेगी या नगरपालिका के हितों को ध्यान में रखते हुए पक्का सीमेंट की करण कुंड का निर्माण अगले वर्ष तक किया जावेगा इस तरफ उच्च अधिकारियों को ध्यान देना जरूरी है।
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