रेवांचल टाईम्स - मंडला जिले के ग्राम चिरईडोगरी में फुल्की खाने के कारण लगभग 25,30 बच्चे बीमार हो वह भी फ़ूड पॉइज़निंग से, प्रशासन और विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम न पहुँचे, और वही निवास विधायक ने कहा कि मैं चुप रहूं यह संभव नहीं,, जवाब तो देना होगा,,
वही जिले में आये दिन बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर जिला प्रशासन कितना गंभीर है ये तो समझ मे आ रहा है कि जिन विभागों को जाँच करनी चाहिए वो आँखों मे पट्टी बांध जेब गर्म कर घर मे आराम कर रहे है जिले में खाने पीने की मिलावट वालो को खुली छूट दे रखी हुई है जब कोई घटना घटित होती है तब जाके कुंभकर्णी नीद में सो रहे जाग जाते है और वही राटा रटाया जाबाब की जांच करेंगे और कब करेगे और किसके सामने ये नही बताते है आज कितनी जाँच हुई ये किसी को पता नही है।
वही गंभीर ये मामला है जिसमें छोटे छोटे बच्चे रोते बिलखते उल्टी दस्त बुख़ार से ग्रसित हो, और सुबह से केस बड़ रहे हो, उसके बाद भी सरकारी रवैया उसमें कलेक्टर को इस विषय पर संज्ञान में लेने की बजाय, मेरे द्वारा वहां की व्यवस्था जिसमें विशेषज्ञ और प्रशासनिक दल का न पहुँचने की बात कहने पर कलेक्टर द्वारा गुस्सा ज़ाहिर कर फोन काट देना ग़लत और अनुचित बात है अगर व्यवस्था में कोई कमी रहेगी तो हम जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी होती है उक्त संबंध में संबंधितों से बात करें जवाब मांगें,, फ़ूड विभाग के द्वारा सैंपलिंग न करा पाना,, सुबह की घटना के बाद रात बारह एक बजे फ़ूड इंस्पेक्टर का वहां होना समझ से परे है,, उनका काम तो घटना स्थल पर से लोगों से हिस्ट्री लेकर पॉइज़निंग केस संबंधी सैंपलिंग करना और मरीजों से कॉमन सोर्स का पता कर जांच करना होता है जो सुबद ही हो जाना चाहिये था,, रात को एक बजे वहां होना अजीब बात है,,
फ़ूड पॉइज़निंग के केस लगातार बढ़ना, मिलावट की बराबर सैंपलिंग चेकिंग नहीं होना यह लापरवाही बड़े हादसे का बुलावा हो सकता है,क्योंकि 3-4 महिने पहले मण्डला के ही मोहगांव ब्लॉक के सिंगारपुर में ऐसी ही घटना घट चुकी जिसमें 100से ज्यादा लोग फ़ूड पॉइज़निंग के शिकार हुए थे वह भी फुल्की वाले से खाने से फैला था, फिर भी नहीं जागे,,
कलेक्टर का व्यवहार बोलने में गुस्सा और फोन काट देना गलत,
कई बार देखा ऐसा व्यवहार कि कोई विषय पर बात कलेक्टर मण्डला से करने जाओ या बात करें वे अपने तरीके को ही सही मानती हैं या सुनना चाहती है लगता है बाकी कोई बोले तो गुस्सा स्पष्ट झलकता है जो मेरे साथ हुआ और फोन बंद किया!! जबकि मैं सामान्य बात एक डॉ जनप्रतिनिधि होने के नाते किया नहीं सुनने की स्थिति में मुझे रात को ही अस्पताल में बच्चों को देखने जाना पड़ा निरीक्षण के बाद मीडिया को भी बाईट दिया अस्पतालवहीं बातें फिर
ACS मो सुलेमान जी से बात करने पर कोई भी प्रशासनिक action वर्क या जवाब नहीं मिलना बड़ा आश्चर्य बात है!!
आज सुबह भी बच्चों की स्थिति वैसी ही बनी हुई है,।
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